आपातकाल का सामना कैसे करें ?
गत सदी में पोलिओ, प्लेग, मलेरिया जैसी भयंकर महामारी के कारण लाखों लोगों की मृत्यु हुई थी, ऐसा हमने केवल सुना था । उसके उपरांत शास्त्रज्ञों विभिन्न शोध कर उन पर टीका, दवाईयां खोज कर निकालीं । इससे इन महामारी के उपर उपाय भी मिला । विज्ञान की प्रगति की यह कहानियों सुनने के पश्चात सभी की ऐसी मानसिकता ही बन गई थी कि अब भविष्य में ऐसी स्थिति निर्माण ही हो नहीं सकती । उसके साथ मानवी बुद्धि और प्रभुत्व का अहंकार इनके कारण हमे देवता-धर्म यह संकल्पना पिछडी, अंधश्रद्धा लगने लगी । ऐसे समय ही प्रकृति मानव को उसकी मर्यादा का भान करवाती है । अनेक संत-महापुरुष सतत स्वार्थ त्यागकर धर्म के मार्ग पर चलने का आवाहन कर रहे है, अन्यथा आगामी काल मे नैसर्गिक आपत्तियां तथा महामारी जैसा संकट आने की पूर्वसूचना वो दे रहे थे; मात्र हम सभी ने उनकी ओर ध्यान ही नहीं दिया ।
हम जानने का प्रयास करेंगे कि आपत्ति क्या है, आपत्ति क्यों आती है, उसपर क्या उपाय है, कौनसी साधना करें और कैसे करें, साधना में गुरु का महत्त्व इत्यादि समझने का प्रयास करेंगे ।
Video – आपातकाल का सामना करने हेतु आवश्यक तैयारी का संक्षिप्त विवरण
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विश्वविख्यात भविष्यवेत्ता नॉस्ट्रॅडॉमस तथा संताे के द्वारा बताया गया भविष्य
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‘कोरोना’ जैसे महासंकट और साधना
आपातकाल में जीवनरक्षा हेतु आवश्यक पूर्वतैयारी
विश्वयुद्ध, भूकंप, विकराल बाढ आदि के रूप में महाभीषण आपातकाल तो अभी आना शेष है । यह महाभीषण आपातकाल निश्चित आएगा, यह बात अनेक नाडीभविष्यकारों और द्रष्टा साधु-संतों ने बहुत पहले ही बता दी है । उन संकटों की आहट अब सुनाई देने लगी है । ‘कोरोना’ विषाणुरूपी संकट चीन के कारण उत्पन्न हुआ है, यह कहते हुए अमेरिका सहित कुछ यूरोपीय देशों ने चीन के विरुद्ध ताल ठोंकना आरंभ कर दिया है । तात्पर्य यह कि विश्वयुद्ध अब निकट आता दिखाई दे रहा है । यह भीषण आपातकाल कुछ दिनों का अथवा महीनों का नहीं, अपितु वर्ष २०२० से २०२३ तक तीन वर्षों का होगा । अर्थात, यह काल भारत में ‘हिन्दू राष्ट्र’ (ईश्वरीय राज्य के समान आदर्श राज्य) की स्थापना होने तक रहेगा । आपातकाल में बिजली की आपूर्ति ठप हो जाती है । पेट्रोल, डीजल आदि की आपूर्ति घट जाती है । इससे यातायात ठप हो जाता है । यातायात ठप होने से शासन सब स्थानों पर सहायता नहीं पहुंचा पाता । शासन के अन्य कार्यों में भी बहुत बाधाएं आती हैं । रसोई-गैस, खाने-पीने की वस्तुएं आदि अनेक महीने नहीं मिलती या राशन की दुकानों पर मिलती हैं । डॉक्टर, वैद्य, औषधियां, चिकित्सालय आदि की उपलब्धता कठिन होती है । ये सब बातें ध्यान में रखकर आगामी आपातकाल का सामना करने के लिए सबको शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, आध्यात्मिक आदि स्तरों पर पहले से तैयारी करनी आवश्यक है ।
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संतोंने भविष्यवाणी की है कि आगामी तीसरे महायुद्धमें आण्विक आक्रमणोंसे करोडों लोगोंकी मृत्यु होगी । भविष्य, भीषण प्राकृतिक आपदाओंसे भरा होगा । ऐसे आपातकालमें यातायातके साधन खण्डित हो जाएंगे, जिससे रोगियोंको चिकित्सालयतक पहुंचाना, चिकित्सकोंकी उपलब्धि तथा दुकानोंमें औषधियां मिलना दुर्लभ होगा । उस आपातकालका सामना करनेके लिए सनातन संस्थाने, ‘आपातकालकी संजीवनी’ सिद्ध होनेयाली ग्रंथमाला निर्मित की है । इस ग्रंथमालासे दिए उपचार, न केवल आपातकालकी दृष्टिसे, अपितु सर्व प्रकारसे लाभदायक हैं; क्योंकि ये व्यक्तिको स्वयंपूर्ण तथा कुछ मात्रामें परिपूर्ण भी बनाते हैं । ‘आपातकालकी संजीवनी’ ग्रंथमालासे संग्रहित किए लेख वाचक पढें और कृति करें ।