लेख
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद के नियमों...
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् । अर्थात, धर्माचरण के लिए (साधना करने के लिए) शरीर का स्वस्थ...
शांत निद्रा के लिए सरल आयुर्वेदीय उपचार
शांत निद्रा के लिए सरल आयुर्वेदीय उपचार जान ले ।
भोजन बनाते समय विविध कृतियों में कैसा भाव रखें...
कहते हैं ‘जैसा अन्न, वैसा मन’। अर्थात भोजन बनाते समय हमारे मन में जैसा भाव...
अन्नसेवन यह एक ‘यज्ञकर्म’ है
हिन्दू धर्मशास्त्र में नामजप सहित सात्त्विक अन्नसेवन को ‘यज्ञकर्म’ कहा है । ‘यज्ञकर्म’ करने से...
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है । सूर्य नमस्कार को एक संपूर्ण व्यायाम माना जाता...
उत्तम स्वास्थ्य हेतु भोजन निश्चित समय पर करना आवश्यक...
एक आहार पचने के बाद ही दूसरा आहार करना चाहिए, यह भोजन का सबसे सरल...
कृत्रिम शीतपेयों के दुष्परिणाम
स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें, तो इन पेयपदार्थों में जीवनसत्त्व अथवा खनिज तत्त्वों का नामोनिशान...
अन्न एवं रोग में परस्पर संबंध, साथ ही पाचनशक्ति...
आदिमानव प्रकृति में मिलनेवाले कंदमूल, फल एवं पशुओं की शिकार कर उसका मांस खाता था...
युवकों, समय का सुनियोजन कैसे करेंगे ?
मनुष्य जीवन में समय के जितनी अन्य कोई भी बात महत्त्वपूर्ण है । अंग्रेजी में...
समयपर सोकर प्रातःकाल में जागने से मिलनेवाले लाभ
आज की इस भागदौडभरे जीवन में लोगों की जीवनशैली बहुत बिगड चुकी है । लोग...
आहार का मन से संबंध
आहार से संबंधित धर्मशास्त्र द्वारा बताए नियमों का पालन न करने से जो हानि होती...
आहार एवं रुचि-अरुचि
केवल जीभ की रुचि-अरुचि की पूर्ति करना तथा रसों के स्वाद में फंसना, विदेशी संस्कृति...
‘फास्ट फूड’ और जंक फूड
बर्गर, पिज्जा, वेफर्स, चिप्स और अन्य ‘फास्ट फूड’ लोकप्रिय हैं । ‘फास्ट फूड’ बाह्यतः स्वाद में...
शर्करा एवं चाय-कॉफी के दुष्परिणाम
हमारी संस्कृति में जिसका कोई स्थान नहीं, ऐसी चॉकलेट अनेक रोगों विशेषतः दांतों के अनेक...
सोते समय शरीर की स्थिति कैसी होनी चाहिए ?
नींद का उद्देश्य शरीर को विश्राम मिले, यह होता है । इस दृष्टि से जिस...
रसोई के संदर्भ में पुछे जानेवाले प्रश्न
दूध पूर्णान्न है; क्योंकि दूध को सगुण चैतन्य का स्रोत माना गया है । जो...
तरकारी काटनेकी उचित पद्धति
तरकारी धोनेके उपरांत काटना आरंभ करें । उसे जलसे धोते समय उसमें कुछ मात्रामें सात्त्विक अगरबत्तीकी...
घरमें संग्रहित अनाजकी आध्यात्मिक देखभाल कैसे करें ?
आजकल सभी स्थानोंपर काली शक्तिका आवरण बढ गया है । इसलिए घरके अनाजपर भी आवरण आता...
चाय के गंभीर दुष्परिणाम !
कर्करोग और हृदयरोग रोकनेवाले एन्टी-ऑक्सिडेन्ट नामक पदार्थ केवल बिना दूध की चाय में है ।...
भोजन बनाने के लिए एल्युमिनियम अथवा हिंडालियम के बरतनों...
एल्युमिनियम अथवा हिंडालियम के बरतन शरीर के लिए हानिकारक है । भोजन बनाने के लिए...
सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर...
सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर निम्नांकित कोड लिखे हैं, तो उसमें...
चावल पकाते समय संस्कार महत्त्वपूर्ण !
चावल पकाने की हमारी पारंपरिक पद्धति क्या है ? प्रथम चावल के १६ गुना पानी...
हिंदू धर्मग्रंथ मांसभक्षण का समर्थन नही, निषेधही करते है...
"वेदों मे मांसभक्षण" का झूठा और निराधार प्रचार यवनों और मलेक्षों द्वारा हमारी संस्कृति को...
हाथ-पैर धोना तथा कुल्ला करनेके संदर्भमें आचार
शौच एवं लघुशंका जैसी कृति करते समय पैरके संपर्कमें आई रज-तमात्मक तरंगोंका पैर धोनेसे जलमें...
प्रकृतिनुसार वस्त्रोंका रंग
प्रकृतिनुसार वस्त्रोंका रंग कैसा होता है ? व्यक्तिकी रुचि-अरुचि उसकी प्रकृतिके अनुरूप होती है एवं...
भोजनके संदर्भमें सर्वसाधारण सूत्र
अन्न प्राणस्वरूप है, उसे सम्मानपूर्वक ग्रहण करनेसे ही बल एवं तेजसमें वृद्धि होती है ।
केलेके पत्तेपर भोजन परोसनेकी पद्धति
रंगोलीके माध्यमसे भूमितरंगों एवं शक्तितरंगोंका भोजनकी थालीके नीचे आच्छादन बन जानेसे भोजनके घटक पदार्थ भी...
थाली कैसे परोसनी चाहिए ?
नामजप कर भोजन आरंभ करें । भोजन करते समय भी नामजप करते रहें । समय-समयपर...
भोजनके लिए बैठनेवाले व्यक्तिकी सिद्धता (तैयारी)
भोजनकी थालीके चारों ओर रंगोली बनाना उचित है । क्योंकि अन्नको ब्रह्मस्वरूप माना गया है...
भोजन करनेका स्थान एवं बैठनेकी दिशा
अन्न-सेवन एक यज्ञकर्म ही है । यह यज्ञकर्म, पूर्व दिशामें तेजकी शक्तिरूपी धारणाद्वारा पिंडमें संचारित...
नींदसे जागनेपर भूमिवंदना क्यों करते है ?
रात्रिकालमें तमोगुण प्रबल होता है । ‘भूमिसे प्रार्थना कर ‘समुद्रवसने देवी...’ श्लोक कहकर भूमिपर पैर...
मस्तकपर तिलक धारण करनेका कारण क्या है ?
यहांपर हम जानेंगे तिलक धारण करनेके संदर्भमें आचार, संध्याके संदर्भमें आचार, तुलसीको जल देना और...
हाथसे कपडे धोते समय कमरसे क्यों झुके ?
झुककर कपडे धोनेसे नाभिचक्र निरंतर जागृत स्थितिमें रहता है । वह देहकी पंचप्राणात्मक वायु-वहनको पोषित...
हिंदु धर्ममें बताया गया मुंडनके संदर्भ में शास्त्रीय ज्ञान
यहां पर आप हिंदु धर्ममें बताया गया मुंडनके संदर्भ में शास्त्रीय ग्यान जान सकते है...
हिंदु धर्ममें बताए गए वस्त्र धारण करनेसे क्या लाभ...
हिंदु धर्ममें स्त्री एवं पुरुषद्वारा धारण किए जानेवाले वस्त्रोंकी रचना देवताओंने की है । इसीलिए...
शौचविधि करनेसे पूर्व, जनेऊ दाहिने कानपर क्यों लपेटें ?
हाथ-पैर धोकर, कुल्ला करनेके उपरांत जनेऊ कानसे हटाएं । इसका आधारभूत शास्त्रीय कारण यह है...
झाडू लगाते समय पूर्व दिशाकी ओर कूडा क्यों ना...
पूर्व दिशाकी ओरसे देवताओंकी सगुण तरंगोंका पृथ्वीपर आगमन होता है । कूडा रज-तमात्मक होता है,...
दिन में क्यों नहीं सोना चाहिए ?
दिन और रात, इन दो मुख्य कालों में से रात के समय साधना करने में...
संध्या के समय देवता के समक्ष दीप क्यों जलाएं...
संध्यासमय, अर्थात् दीप जलानेके समय देवता व तुलसीके समीप दीप जलानेसे घरके चारों ओर देवताओंकी...
ब्रशका उपयोग करनेकी अपेक्षा उंगलीसे दांत स्वच्छ क्यों करें...
उंगलियोंसे दांत स्वच्छ करते समय दांत स्वच्छ होनेके साथ ही मसूडोंका मर्दन अपनेआप होता है...