हिंदु धर्ममें उल्लेखित ईश्वरप्राप्तिके मूलभूत सिद्धांतोंमेंसे एक सिद्धांत ‘देवऋण, ऋषिऋण, पितृऋण एवं समाजऋण, इन चार ऋणोंको चुकाना है । इनमेंसे पितृऋण चुकानेके लिए ‘श्राद्ध’ करना आवश्यक है । माता-पिता तथा अन्य निकटवर्ती संबंधियोंकी मृत्योपरांत, उनकी आगेकी यात्रा सुखमय एवं क्लेशरहित हो तथा उन्हें सद्गति प्राप्त हो, इस उद्देश्यसे किया जानेवाला संस्कार है ‘श्राद्ध’ ।

श्राद्ध पक्ष में श्री गुरुदेव दत्त नामजप करें !

१. श्री गुरुदेव दत्त तारक नामजप

२. श्री गुरुदेव दत्त मारक नामजप

३. ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ तारक नामजप

४. ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ मारक नामजप

यह विविध प्रकारके ‘श्री गुरुदेव दत्त’ के नामजप सुनने हेतु भेंट दे !

भगवान दत्तात्रेय के विविध प्रकार के नामजप

‘कोरोना’ महामारी की पृष्ठभूमि पर श्राद्धविधि कैसे करें ?


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क्या श्राद्ध करना आवश्यक है ?

श्राद्धसंबंधी शंकानिरसन

श्राद्धसंबंधी खंडन

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  • पितृपक्ष में महालय श्राद्ध कब करें ?
  • ब्राह्मणस्वागत और अन्नप्रोक्षण
  • श्राद्धीय भोजन का पूर्वायोजन
  • महालय श्राद्धविधी का ब्राह्मणभोजन
  • तर्पण

 

हिन्दुओं के लिए धार्मिक शिक्षा की आवश्यकता !

हिन्दुओं के लिए धार्मिक शिक्षा की आवश्यकता बतानेवाला शासन प्रायोजित ऑनलाइन श्राद्ध !

हाल ही में एक हिन्दी मासिक में समाचार छपा था कि शासन की ओर से ऑनलाइन श्राद्ध की सुविधा दी गई है । उसे पढकर मेरी स्थिति इस पर हंसे अथवा रोएं जैसी हो गई । श्राद्ध प्रत्यक्ष किया जाता है, यह शासन की समझ में क्यों नहीं आता, इस बात का मुझे आश्‍चर्य हुआ । जब, ऑनलाइन भोजन अथवा विवाह नहीं हो सकता, तब श्राद्ध कैसे हो सकता है ? इस पर भी आश्‍चर्य की बात यह है कि यह सुविधा देनेवाला शासन हिन्दुत्वनिष्ठों का है ! मुझे आशंका है कि श्राद्ध के नाम पर हिन्दुओं से करोडों रुपए कमाने के लिए ही शासन का हिन्दूप्रेम जागृत हुआ है ।

– (परम पूज्य) डॉ. आठवले (१३.२.२०११)

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