महाशिवरात्रि क्यों मनाते है ?
भगवान शिव रात्रि का एक प्रहर विश्राम करते हैं । उनके इस विश्राम के काल को ‘महाशिवरात्रि’ कहा जाता हैं । महाशिवरात्रि दक्षिण भारत एवं महाराष्ट्र में शक संवत् कालगणनानुसार माघ कृष्ण चतुर्दशी तथा उत्तर भारत में विक्रम संवत् कालगणनानुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है । इस वर्ष महाशिवरात्रि १८ फरवरी २०२३ को है ।
महाशिवरात्रि का महत्त्व क्या है ?
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव जितना समय विश्राम करते हैं, उस काल को ‘प्रदोष’ अथवा ‘निषिथकाल’ कहते है । पृथ्वी का एक वर्ष स्वर्गलोक का एक दिन होता है । पृथ्वी स्थूल है । स्थूल की गति अल्प होती है अर्थात स्थूल को ब्रह्मांड में यात्रा करने के लिए अधिक समय लगता है । देवता सूक्ष्म होते हैं, इसलिए उनकी गति अधिक होती है । यही कारण है कि, पृथ्वी एवं देवताओं के कालमान में एक वर्ष का अंतर होता है । पृथ्वी पर यह काल सर्वसामान्यतः एक से डेढ घंटे का होता है । इस समय भगवान शिव ध्यानावस्था से समाधि-अवस्था में जाते हैं । इस काल में किसा भी मार्ग से, ज्ञान न होते हुए, जाने-अनजाने में उपासना होने पर भी अथवा उपासना में कोई दोष अथवा त्रुटी भी रह जाए, तो भी उपासना का १०० प्रतिशत लाभ होता है । इस दिन शिव-तत्त्व अन्य दिनोंकी तुलना में एक सहस्र गुना अधिक होता है । इस दिन की गई भगवान शिव की उपासना से शिव-तत्त्व अधिक मात्रा में ग्रहण होता है । शिव-तत्त्व के कारण अनिष्ट शक्तियों से हमारी रक्षा होती है ।

महाशिवरात्रि व्रत विधि कैसे करें ?
संपूर्ण देश में महाशिवरात्रि बडे उत्साह से मनाई जाती है । फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को भगवान शिव का महाशिवरात्रि व्रत करते हैं । उपवास, पूजा और जागरण महाशिवरात्रि व्रत के ३ अंग हैं । ‘फाल्गुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को एक समय उपवास करें । चतुर्दशी को सवेरे महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करें । सायंकाल नदी अथवा तालाब के किनारे जाकर शास्त्रोक्त स्नान करें । भस्म और रुद्राक्ष धारण करें । प्रदोषकाल पर शिवजी के देवालय में जाकर भगवान शिव का ध्यान करें । तत्पश्चात षोडशोपचार पूजन करें । भवभवानीप्रित्यर्थ तर्पण करें । भगवान शिव को एक सौ आठ कमल अथवा बिल्वपत्र नाममंत्र सहित चढाएं । तत्पश्चात पुष्पांजली अर्पण कर अर्घ्य दें । पूजासमर्पण, स्तोत्रपाठ और मूलमंत्र का जप होने के उपरांत भगवान शिव के मस्तक पर चढाया हुआ एक फूल उठाकर स्वयं के मस्तक पर रखें और क्षमायाचना करें’, ऐसा महाशिवरात्रि का व्रत है ।
महाशिवरात्रि के दिन ये अवश्य करें !
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप अधिकाधिक करें
ॐ नमः शिवाय मंत्र जप सुनें !
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का तत्त्व अधिक मात्रा में कार्यरत होने से आध्यात्मिक साधना करनेवालोंको विविध प्रकार की अनुभूतियां होती हैं । विविध त्यौहार कैसे मनाएं, हमारे इष्टदेवता की उपासना कैसे करें, साधना कैसे करें, यह जानने के लिए हमारे ऑनलाईन सत्संग में सहभागी हों !
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शिवपिंडी का अभिषेक करें
शिवपिंडी को हलदी-कुमकुम की अपेक्षा भस्म लगाएं
शिव पूजन करते समय शिवपिंडी पर श्वेत अक्षत अर्पण करें
भगवान शिव को श्वेत पुष्प अर्पण करें
भगवान शिव का प्रिय बेल पत्र चढाएं
शिवपिंडी पर बेल पत्र कैसे चढाए तथा बेल पत्र तोडने के नियम
बेल के वृक्ष में देवता निवास करते हैं । इस कारण बेल वृक्ष के प्रति अतीव कृतज्ञता का भाव रख कर उससे मन ही मन प्रार्थना करने के उपरांत उससे बेल पत्र तोडना आरंभ करना चाहिए । शिवपिंडी की पूजा के समय बेल पत्र को औंधे रख एवं उसके डंठल को अपनी ओर कर पिंडी पर चढाते हैं । शिवपिंडी पर बेल पत्र को औंधे चढाने से उससे निर्गुण स्तर के स्पंदन अधिक प्रक्षेपित होते हैं । इसलिए बेल पत्र से श्रद्धालु को अधिक लाभ मिलता है । सोमवार का दिन, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी तथा अमावस्या, ये तिथियां एवं संक्रांति का काल बेल पत्र तोडने के लिए निषिद्ध माना गया है । बेल पत्र शिवजी को बहुत प्रिय है, अतः निषिद्ध समय में पहले दिन का रखा बेल पत्र उन्हें चढा सकते हैं । बेल पत्र में देवतातत्त्व अत्यधिक मात्रा में विद्यमान होता है । वह कई दिनों तक बना रहता है ।
बिल्वपत्र का सूक्ष्म-चित्र
महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के लिए कौनसे गंध की अगरबत्ती जलाएं ?
भगवान शिव के मंदिर में दर्शन लेने जाएं !
ऐसे करें शिवपिंडी के दर्शन !
भगवान शिव की परिक्रमा कैसे करें ?
भगवान शिव से संबंधित अन्य जानकारी
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संकटकाल में महाशिवरात्रि कैसे मनाएं ?
संकटकाल अथवा आपातकाल में (जैसे कोरोना महामारी के समय) यह व्रत करने में मर्यादाएं हो सकती हैं । ऐसे समय में महाशिवरात्रि को शिवतत्त्व का लाभ प्राप्त करने के लिए क्या करें ? इससे संबंधित कुछ उपयुक्त सूत्र और दृष्टिकोण यहां दे रहे हैं ।
१. शिवपूजा के लिए विकल्प
अ. कोरोना की पृष्ठभूमि पर लागू किए गए प्रतिबंधो के कारण जिनके लिए महाशिवरात्रि पर शिवमंदिर में जाना संभव नहीं है, वे अपने घर के शिवलिंग की पूजा करें ।
आ. यदि शिवलिंग उपलब्ध न हो, तो शिवजी के चित्र की पूजा करें ।
इ. शिवजी का चित्र भी उपलब्ध न हो, तो पीढे पर शिवलिंग अथवा शिवजी का चित्र बनाकर उसकी पूजा करें ।
ई. इनमें से कुछ भी संभव न हो, तो शिवजी का ‘ॐ नमः शिवाय ।’ यह नाममंत्र लिखकर उसकी भी पूजा कर सकते हैं ।’ सावन के सोमवार को उपवास कर शिवजी की विधिवत पूजा करने के इच्छुक लोगों के लिए भी ये सूत्र लागू हैं ।
उ. मानसपूजा : ‘स्थूल से सूक्ष्म श्रेष्ठ’, यह अध्यात्म का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है । स्थूल से सूक्ष्म अधिक शक्तिशाली होता है । इस तत्त्व के अनुसार प्रत्यक्ष शिवपूजा करना संभव न हो, तो मानसपूजा भी कर सकते हैं ।
आपातकाल से पार पाना हो, तो साधना का बल आवश्यक है । व्रत करने में मर्यादाएं होते हुए भी निराश न होते हुए अधिकाधिक साधना करने की ओर ध्यान दें । महाशिवरात्रि के निमित्त भगवान शिवजी को शरण जाकर प्रार्थना करें, ‘हे महादेव, साधना करने के लिए हमें शक्ति, बुद्धि और प्रेरणा दीजिए । हमारी साधना में आनेवाली बाधाओंका लय होने दीजिए, ऐसी हम शरणागतभाव से प्रार्थना करते हैं ।’