वृक्षारोपण कैसे करें ?
बाग अथवा वृक्षारोपण करने के लिए शुभ नक्षत्र,जलदेवता द्वारा सींचित इस भूमि से फल-फूलों से समृद्ध वनस्पति उगने दें,
बाग अथवा वृक्षारोपण करने के लिए शुभ नक्षत्र,जलदेवता द्वारा सींचित इस भूमि से फल-फूलों से समृद्ध वनस्पति उगने दें,
‘ज्योतिषशास्त्र मन और स्वभाव का भी वेध ले सकता है । इसलिए जाने-अनजाने में जिनके अपराध की ओर मुडने की संभावना हो, उन्हें समय रहते ही सावधान कर, इसके साथ ही जो पहले ही अपराधी जगत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें अच्छे मार्ग पर लाने के लिए उनका मार्गदर्शन कर समाज में अपराध नियंत्रित करने में यह शास्त्र सहायता कर सकता है ।’
चिंतन, कठोर अनुष्ठान, जप-तप, वैराग्य, संन्यास ये विषय शनि ग्रह के अधिकारक्षेत्र में आते हैं ।
‘ज्योतिषी केवल शास्त्र बता सकेंगे; परंतु वे बचा नहीं सकेंगे । संत उपाय बताकर कष्टों की तीव्रता न्यून कर सकते हैं ।
‘जन्मकुंडली के अनुसार जिस क्षेत्र में अर्थप्राप्ति अच्छी होगी, उसका विचार कर शिक्षा लेना अधिक उचित होता है । ‘कौन-सा व्यवसाय करने पर अधिक पैसा मिलेगा ?’, इसके लिए कुंडली में स्थित धनत्रिकोण, अर्थात २, ६ और १० स्थान तथा इस राशि में ग्रहों की स्थिति व्यवसाय की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है ।
भारतीय कालगणना में चैत्रादी मास के नाम खगोल शास्त्र पर आधारित है । कार्तिक मास में सूर्यास्त होने पर कृत्तिका नक्षत्र पूर्वक्षितिज पर उदय होता है; साथ ही कार्तिक मास में पूर्णिमा तिथि के समय चंद्र कृत्तिका नक्षत्र में होता है ।
ग्रहदोष का अर्थ कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति ! कुंडली में कोई ग्रह दूषित हो, तो उस व्यक्ति को उस ग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं,
हाथ और पैर की रेखाओं का संबंध पूर्वजन्म के कर्मों से होता है; इसलिए उन्हें ‘कर्मरेखा’ कहा गया है । कर्म करने से इन रेखाओं में सूक्ष्म परिवर्तन होते हैं । पश्चात, ये परिवर्तन स्थूलरूप में दिखाई देते हैं ।
‘वार यह शब्द ‘होरा’ शब्द से बना है । होरा अर्थात ‘अहोरात्र ।’ इसका अर्थ है ‘सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक !’ होरा अर्थात घंटा ।
आजकल के स्पर्धा और भाग-दौड-भरे जीवन में सात्त्विकता बचाने के लिए छोटी-से-छोटी क्रिया शास्त्रानुसार करने से लाभ निश्चित होता है ।