तीसरे विश्‍वयुद्ध में होनेवाली संभावित हानि तथा उससे बचने के कुछ उपाय

संसार की वर्तमान स्थिति तथा विविध देशों के आपसी संबंधों का अध्ययन कर राजनीतिक विश्‍लेषकों और विशेषज्ञों ने ‘तीसरा विश्‍वयुद्ध’ होने की आशंका व्यक्त की है । युद्ध से होनेवाली संभावित हानि और उससे बचने के कुछ उपाय आदि की विस्तृत जानकारी इस लेख में दी है !

 

१. मुसलमान राष्ट्रों में उत्पन्न संघर्ष का रूपांतर तीसरे विश्‍वयुद्ध में होना संभव

‘मुसलमान राष्ट्रों में उत्पन्न हुए संघर्ष का रूपांतर तीसरे विश्‍वयुद्ध में हो सकता है । मुसलमान राष्ट्रों के दो गुटों में उत्पन्न हुए संघर्ष में विविध मित्र राष्ट्रों का सहयोग बढता जाएगा और संसार के सभी राष्ट्र ‘मित्र और शत्रु’ राष्ट्रों में विभाजित होंगे । परिणामस्वरूप यह संघर्ष तीसरे विश्‍वयुद्ध में परिवर्तित होगा । कोई भी राष्ट्र तीसरे विश्‍वयुद्ध के परिणामों से बच नहीं पाएगा । तीसरा विश्‍वयुद्ध होने पर उसके दुष्परिणामों का सामना पूरे संसार को करना पडेगा ।

 

२. तीसरे विश्‍वयुद्ध में होनेवाली हानि का स्वरूप

पहले दो विश्‍वयुद्धों की अपेक्षा तीसरा विश्‍वयुद्ध अधिक भीषण होगा । इसके परिणामस्वरूप संसार की ५० प्रतिशत जनसंख्या नष्ट होने की संभावना है ।

२ अ. ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्र अधिक प्रभावित होना

तीसरे विश्‍वयुद्ध में प्रयुक्त क्षेपणास्त्रों (मिसाइलों) और परमाणु बम के कारण ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में प्रभावित होंगे । दूसरे विश्‍वयुद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी में गिराए अणुबम के कारण हुई हानि से ३०० गुना अधिक हानि परमाणु बम तथा अत्याधुनिक रासायनिक बम के अतिरिक्त उपयोग से होगी । इसके परिणामस्वरूप संसार के बडे नगरों में रहनेवाले करोडों लोगों के प्राण कुछ ही क्षणों में संकट में पड जाएंगे । वहां वित्तीय तथा प्राण हानि भारी मात्रा में होगी । मुंबई, देहली, कोलकाता, चेन्नई जैसे नगरों को लक्ष्य बनाए जाने की संभावना है ।

२ अ १. उपाय

२ अ १ अ. नगरों के समीप के सात्त्विक गांवों में जाकर रहने की तैयारी करना

मुंबई, देहली, कोलकाता, चेन्नई में रहनेवाले नागरिक अभी से नगरों से दूर निवास करने के लिए जा सकते हैं । समीप के सात्त्विक गांवों में रह सकते हैं । रहने का प्रबंध पहले से ही किया हो, तो विश्‍वयुद्ध का आरंभ होते ही नगर छोडकर ऐसे गांवों में आश्रय लेकर अपने प्राणों की रक्षा करना सरल होगा । रज-तम प्रधान ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में सात्त्विक गांवों की रक्षा होनेवाली है । अतः घर चुनते समय सात्त्विकता को मापदंड बनाएं । जिस गांव में संतों की समाधि, जागृत देवस्थान अथवा तीर्थस्थल है, ऐसे गांव में निवास करने पर रक्षा की संभावना अधिक होगी ।

२ आ. बडे कारखाने और इंडस्ट्रीयल प्लांट में बनाए जानेवाले ज्वलनशील पदार्थों का विस्फोट होना

बडे कारखाने और इंडस्ट्रीयल प्लांट को लक्ष्य बनाने से वहां पर बनाए जानेवाले ज्वलनशील पदार्थों में विस्फोट होकर वहां काम करनेवाले सहस्रों श्रमिकों के प्राण तुरंत संकट में आने की संभावना है । इससे भोपाल गैस दुर्घटना जैसी दुर्घटनाएं होंगी एवं अधिक हानि भी हो सकती है ।

२ आ १. उपाय

अ. बडे कारखानों में विद्यमान ज्वलनशील पदार्थों को अत्यल्प मात्रा में और सुरक्षित स्थान पर रखने का प्रबंध करना होगा ।

आ. बंकर में (भूमि की सतह के नीचे) आश्रय लेने से कुछ मात्रा में लोगों के प्राणों की रक्षा होगी । इसलिए वहां काम करनेवाले कर्मचारियों को सुरंग के मार्ग से तुरंत बंकरों में आश्रय लेने की सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक है । दुर्घटना होने पर ‘कौनसे उपचार कहां और किस के द्वारा किए जाएंगे ?’, इसका भी परिपूर्ण नियोजन पहले से ही करना आवश्यक है ।

 

३. आवश्यक सावधानियां एवं समाधान योजना

अ. सीलबंद बोतलों में शुद्ध पानी संग्रहित करना होगा ।

आ. भूख मिटाने के लिए अधिक दिन तक चलनेवाले खाद्यपदार्थ पर्याप्त मात्रा में सीलबंद कर रखने होंगे ।

इ. प्रत्येक व्यक्ति को प्रथमोपचार सीखना होगा !

ई. ज्वलनशील पदार्थों का विस्फोट, अकस्मात आग से दुर्घटना होना आदि घटनाएं अधिक मात्रा में होंगी । इसलिए अग्निशमन सीखना भी आवश्यक होगा !

उ. लंबे समय तक टिकनेवाली नित्योपयोगी और सामान्य बीमारियों में लगनेवाली औषधियां संग्रहित करनी पडेंगी । एलोपैथी, होमियोपैथी और आयुर्वेद जैसी प्रमुख औषधियां उपलब्ध हों, इसलिए उन्हें विविध व्याधियों के अनुसार वर्गीकृत कर संग्रहित करना प्रारंभ करें ।

ऊ. चूल्हे पर खाना पकाने के लिए लकडियां इकट्ठा करने तथा धातु के बरतनों की अपेक्षा मिट्टी के बरतनों में खाना पकाने का अभ्यास अभी से कर सकते हैं । कहीं-कहीं सौरऊर्जा पर चलनेवाले उपकरण भी प्रयुक्त किए जा सकते हैं । इसलिए सौर उपकरण सर्वत्र उपलब्ध करवाकर उनकी सहायता से खाना कैसे पका सकते हैं, यह देखना होगा ।

ए. लंबे समय तक अन्न और पानी के बिना रहना संभव हो, इसलिए हठयोग द्वारा इंद्रियनिग्रह तथा प्राणायामादि उपायों का अभ्यास अभी से कर सकते हैं ।

 

४. अन्य तैयारी

४ अ. शारीरिक तैयारी

संकटकाल में अपने प्राणों की रक्षा करने तथा दूसरों की सहायता के लिए भागदौड करनी पडेगी । इस हेतु स्वस्थ और सक्षम शरीर अत्यंत आवश्यक है । अतः प्राथमिक व्यायाम जैसे सूर्यनमस्कार, योगासन, प्राणायाम आदि सीखना अभी से आरंभ कर स्वयं का स्वास्थ्य और सुदृढ कर सकते हैं । साथ ही, विविध प्रकार के वाहन चलाने की अनुज्ञप्ति प्राप्त कर वाहन चलाने का अभ्यास भी कर सकते हैं ।

४ आ. मानसिक तैयारी

विश्‍वयुद्ध में सर्वत्र रक्तपात होकर अनेक विनाशकारी दृश्य देखने पडेंगे । कई लोग रक्तपात नहीं देख पाते । इसलिए उन्हें चक्कर आना, रक्तचाप बढना, भय के कारण हृदयाघात होना आदि कष्ट हो सकते हैं । शिवजी से ऐसी प्रार्थना करें कि ‘आगामी भीषण संकटकाल का सामना करने के लिए आप ही हमें बल दें’ । किसी भयावह घटना का सामना मैं कर रहा हूं, ऐसा दृश्य आंखों के सामने लाकर उसका अभ्यास करें । इस अभ्यास से मन ऐसी घटनाआें का सामना कर पाएगा ।

४ इ. आध्यात्मिक तैयारी

षट्चक्रों पर देवताआें के सात्त्विक चित्र लगाना, इत्र और कर्पूर से आवरण निकालना तथा सुरक्षा-कवच बनाना, देवीकवच और रामरक्षा का शाम-सवेरे नियमित पठन करना, युद्ध आरंभ होने पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना, भावपूर्ण नामजप और प्रार्थना करना, भाववृद्धि के लिए निरंतर प्रयत्न करते रहना आदि आध्यात्मिक उपचार नियोजनपूर्वक करने से आगामी संकटकाल में ईश्‍वर हमारी रक्षा करेंगे । कालानुसार छोटी-छोटी चूकें और अल्प तीव्रता के स्वभावदोषों की ओर ध्यान न देकर प्रमुख स्वभावदोषों का निर्मूलन करना तथा बडी एवं गंभीर चूकों से बचकर मुख्य रूप से गुणसंवर्धन करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए ।’

– कु. मधुरा भोसले, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२३.१०.२०१६)

भावी संकटकाल का सामना करना
संभव हो, इसलिए आवश्यक पूर्वतैयारी आज से ही करें !

‘अनेक संतों ने बताया है कि वर्ष २०१९ से धीरे-धीरे तीसरा विश्‍वयुद्ध आरंभ होगा, जिससे निम्न कठिनाइयां उत्पन्न होंगी । कुछ मात्रा ही में क्यों न हो, इन समस्याआें का सामना करना संभव हो, इसलिए निम्नांकित प्रयास करें !

१. यात्रा तथा यातायात की सुविधाएं

बडी मात्रा में ईंधन की न्यूनता (कमी) अनुभव होगी । तेल-निर्यात करनेवाले खाडी देश युद्ध का कुरुक्षेत्र बनने से उनसे ईंधन मिलना कठिन होगा । इसलिए घर-घर में वाहन होकर भी उससे यात्रा नहीं कर पाएंगे । ऐसे संकटकाल में यात्रा करना सुलभ हो, इसलिए निम्नांकित प्रयास आज से करें ।

अ. व्यक्तिगत यातायात के लिए घर में साईकिल रखें और उसे चलाना सीखें ।

आ. परिवार बडा हो, तो यातायात के लिए साईकिल-रिक्शा सीख लें ।

इ. घोडे, बैल पालना आरंभ करें । साथ ही अश्‍वारोहण और बैलगाडी चलाना सीख लें । इससे घोडे अथवा बैलगाडी से यातायात कर पाएंगे ।

२. दैनिक आवश्यकता की वस्तुआें के संदर्भ में रखी जानेवाली सावधानियां

संकटकाल में ईंधन की अल्पता के कारण यातायात के दैनिक साधन अनुपयुक्त होंगे । ऐसे समय में दैनिक उपयोग की वस्तुएं प्राप्त करना कठिन होगा । अतः निम्नांकित कृत्य आज से ही आरंभ करें ।

अ. प्रतिदिन आवश्यक दूध प्राप्त करने के लिए आज से ही घर-घर में गाय पालना आरंभ करें । साथ ही गाय का दूध निकालने जैसे गोपालन से संबंधित कृत्य सीख लें ।

आ. स्वास्थ्य के लिए आवश्यक घरेलु औषधियां तत्काल उपलब्ध हों, इस हेतु सभी अपनी क्षमतानुसार वनौषधियां लगाएं । अपने घर के आंगन में अथवा छत पर निर्गुंडी, अजवायन, तुलसी, गुडहल, अडुलसा जैसी औषधि वनस्पतियों के पौधे हम लगा सकते हैं । नगरों में रहनेवाले अधिकतर लोग ‘फ्लैट्स’ अथवा किराए के कमरों में रहते हैं । वे गमलों में कुछ गिने-चुने ऐसे औषधि पौधे लगा सकते हैं । (इसकी विस्तृत जानकारी देनेवाली पुस्तिका सनातन संस्था प्रकाशित कर रही है ।)

इ. संकटकाल में स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रदान की जानेवाली पीने के पानी की व्यवस्था गडबडाने से पानी मिलना कठिन होगा । इसलिए अपने आंगन में पीने के पानी के लिए कुआं खोदकर रखें ।

ई. संकटकाल में बिजली खंडित होती है । ऐसे समय में आवश्यकतानुसार बिजली उपलब्ध होने हेतु घर में अभी से ‘सोलर सिस्टम’ लगवाएं ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

Leave a Comment