व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर ज्योतिषशास्त्र की उपयुक्तता
ज्योतिषशास्त्र : काल की अनुकूलता एवं प्रतिकूलता बतानेवाला शास्त्र !
फल-ज्योतिषशास्त्र के मूलभूत घटक : ग्रह, राशि एवं कुंडली के स्थान
नैसर्गिक कालविभाग : वर्ष, अयन, ऋतु, मास एवं पक्ष
चंद्रोदय कब होता है ?
नवग्रहों की उपासना करने का उद्देश्य एवं उसका महत्त्व !
ज्योतिषशास्त्रानुसार रत्न धारण करने का महत्त्व
शनि ग्रह की ‘साडेसाती’ अर्थात आध्यात्मिक जीवन को गति देनेवाली पर्वणी !
ज्योतिषशास्त्रानुसार भविष्य बताने की पद्धति एवं प्रारब्ध पर मात करने हेतु साधना एवं क्रियमाणकर्म का महत्त्व
गुरु ग्रह अस्तंगत (डूबते) समय कौनसे कार्य करें ?
कुंडली का रवि-मंगल युति योग
इच्छित कार्य शुभ मुहूर्त पर करने का महत्त्व
व्यक्ति की मृत्यु के समय बनाई गई कुंडली पर (मृत्युकुंडलीपर) उसे ‘मृत्युत्तर (मृत्यु के पश्चात) गति कैसे मिलेगी ?’, यह समझ में आना एवं उसके अच्छे-बुरे कर्मों का बोध होना
तिथि का महत्त्व एवं व्यक्ति की जन्मतिथि निश्चित करने की पद्धति