बक्सों से प्रत्यक्ष उपचार करने की विविध पद्धतियां

बक्सों से उपचार करते समय आगे दी जिन उपचार-पद्धतियों से शरीर के कुंडलिनीचक्र, विकारग्रस्त अवयव अथवा नवद्वारों पर उपचार करने के लिए बताया हो, वहां इन तीन स्थानों में से प्रधानता से कुंडलिनीचक्रों पर बक्सों से उपचार करें ।

बक्सों से प्रत्यक्ष सोते समय उपचार करने की विविध पद्धतियां

रात में अनिष्ट शक्तियां अधिक कष्ट देती हैं । इसलिए विकारग्रस्त व्यक्ति के लिए दिन के साथ-साथ रात में सोते समय भी बक्सों से उपचार करना आवश्यक होता है । विकाररहित व्यक्ति भी रात में सोते समय अपने लिए सुरक्षा-कवच बनाने हेतु बक्सों का उपयोग करेंगे, तो अच्छा रहेगा ।

बक्सों से उपचारों के संदर्भ में संयुक्त सूचना

विकार-निर्मूलन हेतु बक्सों से उपचार सामान्यत प्रतिदिन १ से २ घंटे करें । कुछ दिन प्रतिदिन १ से २ घंटे बक्सों से उपचार करने पर भी विकार घट न रहे हों अथवा नियंत्रित न हो रहे हों, तो उपचारों में वृद्धि करें ।

बक्से के उपचार करने हेतु शरीर के स्थान

ब्रह्मांड में विद्यमान प्राणशक्ति (चेतना) कुंडलिनीचक्रों द्वारा मनुष्य के शरीर में ग्रहण की जाती है आैर उस चक्रविशेष द्वारा वह शरीर की संबंधित इंद्रिय तक पहुंचाई जाती है । इंद्रिय में प्राणशक्ति के (चेतना के) प्रवाह में बाधा आने पर विकार उत्पन्न होते हैं ।

विकार-निर्मूलन हेतु रिक्त गत्ते के बक्सों से उपचार

रिक्त बक्से में रिक्ति होती है । इस रिक्ति में आकाशतत्त्व होता है । आकाशतत्त्व के कारण आध्यात्मिक उपचार होते हैं । आध्यात्मिक उपचारों के लिए बक्से का उपयोग करने से व्यक्ति के देह, मन तथा बुद्धि पर आया कष्टदायक शक्ति का आवरण, तथा व्यक्ति में विद्यमान कष्टदायक शक्ति बक्से की रिक्ति में खिंचकर नष्ट हो जाती है ।