श्राव्य – दालन (Audio – Gallery)
पूजा, आरती, भजन इत्यादि उपासना-प्रकारोंके कारण देवताके तत्त्व का लाभ मिलता है; परंतु इन सर्व उपासनाओं के आचरण पर मर्यादा लागू होने के कारण लाभ भी मर्यादित ही मिलता है । देवता के तत्त्व का लाभ निरंतर होने हेतु देवता की उपासना भी निरंतर होना आवश्यक है । निरंतर संभव उपासना एक ही है और वह है नामजप । कलियुग हेतु सरल व सर्वोत्तम उपासना है नामजप । ‘गुरुकृपायोगानुसार साधना’ की नींव है, नामजप ।
भक्तिसत्संग (महाशिवरात्रि विशेष)
श्री सत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की चैतन्यदायी वाणी में भक्तिसत्संग का भावपूर्ण श्रवण करें । महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति बढाएं । इस विशेष भक्तिसत्संग में हम सुनेंगे, १२ ज्योतिर्लिंगों की दिव्य महिमा तथा आदिशक्ति पार्वती मां द्वारा भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए की गई कठोर तपस्या के विषय में ।