श्राव्य – दालन (Audio – Gallery)

पूजा, आरती, भजन इत्यादि उपासना-प्रकारोंके कारण देवताके तत्त्व का लाभ मिलता है; परंतु इन सर्व उपासनाओं के आचरण पर मर्यादा लागू होने के कारण लाभ भी मर्यादित ही मिलता है । देवता के तत्त्व का लाभ निरंतर होने हेतु देवता की उपासना भी निरंतर होना आवश्यक है । निरंतर संभव उपासना एक ही है और वह है नामजप । कलियुग हेतु सरल व सर्वोत्तम उपासना है नामजप । ‘गुरुकृपायोगानुसार साधना’ की नींव है, नामजप ।

हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में हनुमानजी की भक्ति की महिमा का वर्णन करनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

श्रीविष्णु ने श्रीराम रूप में पृथ्वी पर दिव्य अवतार धारण किया । उसके केवल ५ दिन उपरांत रामकार्य में सहयोग देने हेतु भगवान शिव ने हनुमानजी के रूप में अवतार लिया । हनुमानजी के तन-मन में प्रभु श्रीराम रहते हैं तथा उनका आचरण राममय है । रामभक्ति ही उनका मंत्र तथा रामसेवा ही उनका निदिध्यास अर्थात लगन है । ऐसे हनुमानजी की परमभक्ति सीखने हेतु हम श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यदायी वाणी में इस भक्तिसत्संग का श्रवण करेंगे ।

इस सत्संग में हम समझेंगे …

१. हनुमानजी का दिव्य अवतारधारण !

२. अंजनीमाता जैसी वीरमाता के गर्भ से जन्मे तेजस्वी पुत्र हनुमानजी !

३. श्रीराम द्वारा हनुमानजी की स्तुति !

४. हनुमानजी की दास्यभक्ति बतानेवाले कुछ प्रसंग !


भक्तिसत्संग (रामनवमी विशेष)

श्रीराम नवमी के उपलक्ष्य में श्रीराम की बाललीलाओं का वर्णन करनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

२२.१.२०२४ को साक्षात रामलला मूर्तिरूप में अयोध्या में विराजमान हुए हैं । उसके कारण इस वर्ष का रामनवमी का उत्सव समस्त रामभक्तों के लिए अत्यंत विशेष है । हमारे अंतर में ‘श्री रामलला के प्रति भक्ति बढकर श्रीराम तत्त्व का हमें अधिकाधिक लाभ उठाना संभव हो’, इसके लिए श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यदायी वाणी में प्रसारित होनेवाले इस भक्तिसत्संग का हम श्रवण करेंगे तथा उसके द्वारा प्रभु श्रीराम की दिव्य लीलाओं की प्रत्यक्ष अनुभूति करेंगे ।

इस विशेष भक्तिसत्संग में श्रीराम की अवतारी बाललीलाएं समझ लेंगे !

त्रेतायुग में श्रीराम जन्म के कारण अयोध्या सहित सर्वत्र ही वातावरण में परिवर्तन आया । इस विशेष भक्तिसत्संग में हम प्रभु श्रीराम की विविध लीलाएं जैसे ‘अपने सुंदर एवं लाडले रूप से, अपनी बालसुलभ लीलाओं से एवं अपने मधुर तोतली बातों से श्रीराम द्वारा माता कौसल्या, पिता राजा दशरथ, महल के सेवक, संपूर्ण महल तथा संपूर्ण अयोध्या नगरी को मंत्रमुग्ध कर देना, एक ही समय दो रूप धारण कर माता कौसल्या को भ्रमित करना, माता को विराट रूप में दर्शन देना’ आदि का सुंदर वर्णन सुनकर उनके अवतारत्व की प्रतीति करेंगे ।


भक्तिसत्संग (महाशिवरात्रि विशेष)

श्री सत्‌शक्‍ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की चैतन्‍यदायी वाणी में भक्‍तिसत्‍संग का भावपूर्ण श्रवण करें । महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव के प्रति अपनी भक्‍ति बढाएं । इस विशेष भक्‍तिसत्‍संग में हम सुनेंगे, १२ ज्‍योतिर्लिंगों की दिव्‍य महिमा तथा आदिशक्‍ति पार्वती मां द्वारा भगवान शिव को प्राप्‍त करने के लिए की गई कठोर तपस्‍या के विषय में ।


नामजप

आरती

स्तोत्र

चैतन्यमय नामधुन

‘जय रघुनंदन जय सीयाराम’ की नामधुन