श्राव्य – दालन (Audio – Gallery)
पूजा, आरती, भजन इत्यादि उपासना-प्रकारोंके कारण देवताके तत्त्व का लाभ मिलता है; परंतु इन सर्व उपासनाओं के आचरण पर मर्यादा लागू होने के कारण लाभ भी मर्यादित ही मिलता है । देवता के तत्त्व का लाभ निरंतर होने हेतु देवता की उपासना भी निरंतर होना आवश्यक है । निरंतर संभव उपासना एक ही है और वह है नामजप । कलियुग हेतु सरल व सर्वोत्तम उपासना है नामजप । ‘गुरुकृपायोगानुसार साधना’ की नींव है, नामजप ।
नामजप















आरती










स्तोत्र










