हिन्दु राष्ट्र की स्थापना करने के लिए राजनेताएं तथा जनप्रतिनिधी नहीं, तो संत ही सक्षम हैं !

‘भारत की परिस्थिती में कुछ परिवर्तन होगा’ इसकी अपेक्षा करना अत्यंत अनुचित तथा घातक है । इस पर एकमात्र उपाय यही है कि, संतों के नेतृत्व में सात्त्विक लोगों को संगठित होकर हिन्दु राष्ट्र की स्थापना करना !

अंतर्सामाजिक तनाव को किसप्रकार कम किया जा सकता है ?

समाज यदि सात्त्विक बने तो समाज में अंतर्गत तनाव दूर होना संभव है । हम कितना भी प्रयास करें पर अन्यों के कर्म तथा मानसिकता में बदलाव करना हमारे लिए संभव नहीं होता है । इस कारण ही रामराज्य जैसे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी आवश्यक है ।

भावना के स्तरपर किसी भी प्रकार का असंवैधानिक कृत्य करने की सनातन संस्था की सीख नहीं है !

अध्यात्म में कर्मफलसिद्धांत को महत्त्वपूर्ण माना गया है । कर्म का फल अटल होता है । किए गए कर्मों का फल पाप-पुण्य के रूप में भोगना पडता है ।

दुष्प्रवृत्तियों का सामना कैसे करें ?

सरकारी काम और ६ मास की प्रतीक्षा, इसकी प्रचीती प्रत्येक नागरिक को कभी ना कभी होती ही है । पैसे खाने की वृत्ति के कारण आज प्रशासनिक पद्धति आज सुचारू तथा सहज नहीं रही है । इसमें पीसा जाता है, केवल सामान्य नागरिक ! इसी सामान्य नागरिक को अब इन दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध आवाज उठानी होगी !

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अनमोल विचार !

किसी भी कार्य के लिए उचित समय आवश्यक होता है । सन्तों को पता रहता है कि किस कार्य के लिए कौन-सा समय उपयुक्त है । अभी ऐसी कोई स्थूल घटना नहीं हो रही, जिससे अनुमान लगाया जा सके कि ‘भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।’ परंतु काल की पदचाप सुननेवाले संत जान गए हैं कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होगी ! निम्नांकित सूत्रों से सभी को काल का महत्त्व ध्यान में आएगा ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का विचारधन !

भारत में वर्ष २०२३ में ईश्‍वरीय राज्य अर्थात हिन्दू राष्ट्र स्थापित होगा । यह आज तक अनेत संतों ने समय-समय पर बताया है । काल की पदचाप (आहट) पहले ही सुन लेनेवाले संतों ने, हिन्दू राष्ट्र रूपी उज्ज्वल भविष्य देख लिया है । अब उस दिशा में प्रयत्न करना, हमारी साधना है ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अनमोल विचार !

‘भारत में वर्ष २०२३ में ‘ईश्‍वरीय राज्य’ अर्थात ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होगा ।’ यह आज तक अनेक संतों ने समय-समय पर बताया है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापनासे संबधित कोई भी आशादायी घटना स्थूल रूप में होती दिखाई नहीं दे रही । ऐसे में ‘हिन्दू राष्ट्र’ के विषय में बोलना, किसी को भी अतिशयोक्ति लग सकती है; परंतु काल की पदचाप (आहट) पहले ही सुन लेनेवाले संतों ने, हिन्दू राष्ट्र रूपी उज्ज्वल भविष्य देख लिया है ।