प.पू. भक्तराज महाराज की छायाचित्रात्मक स्मृतियां (भाग १) !
प.पू. भक्तराज महाराज के मध्यप्रदेश स्थित मोरटक्का एवं इंदौर के आश्रमों में जहां उनका वास्तव्य था, उस चैतन्यमयी वास्तु का छायाचित्रात्मक दर्शन लेंगे ।
प.पू. भक्तराज महाराज के मध्यप्रदेश स्थित मोरटक्का एवं इंदौर के आश्रमों में जहां उनका वास्तव्य था, उस चैतन्यमयी वास्तु का छायाचित्रात्मक दर्शन लेंगे ।
प.पू. भक्तराज महाराज सनातन के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के गुरु थे । उन्हीं के कृपाशीर्वाद से सनातन की स्थापना हुई । सनातन को प.पू. बाबा के उत्तराधिकारी प.पू. रामानंद महाराज का भी कृपाछत्र मिला । उनके आशीर्वाद से वर्ष १९९१ में स्थापित हुए सनातन के कार्य का विस्तार किसी विशाल वटवृक्ष समान हो गया है । सनातन परिवार प.पू. बाबा के श्रीचरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञ है !
हम सभी ने कहीं न कहीं पढा ही होगा कि पूर्व के काल में ऋषि-मुनियों के आश्रम में पशु-पक्षी निर्भयता से विचरते थे । ऋषि-मुनियों की तपस्या की सात्त्विकता पशु-पक्षियों को भी ध्यान में आती है । प्रकृति भी उस सात्त्विकता को प्रतिसाद देती है, इसीलिए ऋषि-मुनियों के आश्रम में भी बहार आ जाती थी ।
सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत अठावले जी की 81वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य फरीदाबाद में 07 मई 2023 को शाम 4:30 बजे सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर, एन.आई.टी. – 2 से भव्य ‘हिन्दू एकता शोभायात्रा’ का आयोजन किया गया । हिन्दू राष्ट्र स्थापना का प्रण लेकर महाबली हनुमान जी के आशीर्वाद से 150 से अधिक हिन्दुओं ने ‘हिन्दू एकता शोभायात्रा’ द्वारा हिन्दू राष्ट्र हेतु संगठित होने का संकल्प लिया ।
‘सनातन संस्था’के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले का 81 वां जन्मोत्सव सप्तर्षि की आज्ञा से इस बार ‘ब्रह्मोत्सव’ के रूप में मनाया गया है । सनातन संस्था के गोवा, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्यों से आए लगभग 10,000 से भी अधिक साधकों की उपस्थिति में अत्यंत भावभक्तिमय वातावरण में मनाया गया ।
पुरातन काल से ही दीप को सर्वत्र आदर एवं श्रद्धा का स्थान है । आज भले ही बिजली के आधुनिक उपकरणों से सर्वत्र रोशनाई की जगमगाहट होती हो; परंतु जो तेज दीप में है, वह उस कृत्रिम जगमगाहट में तनिक भी नहीं होता ।
प्राणी एवं पक्षी प्राकृतिक रूप से दुर्बल होने के कारण अन्य प्राणियों से बचने के लिए वे सुरक्षा के विविध मार्ग अपनाते हैं; परंतु साधकों अथवा संतों के संदर्भ में उन्हें निश्चिति होती है कि वे उनके पास सुरक्षित हैं । इसलिए पक्षी साधकों की ओर आकृष्ट होते हैं और निश्चिंत होेकर दीर्घकाल तक उनके साथ रहते हैं ।
दृष्टि उतारने से पूर्व की जानेवाली प्रार्थना ‘हे भगवन, आप हमसे ईश्वरीय राज्य की स्थापना करवा रहे हैं । यह कार्य शीघ्र से शीघ्र पूर्ण होने हेतु मुझे एवं सभी साधकों को व्याधिमुक्त कर हमें अच्छा स्वास्थ्य एवं जीवन दें, ऐसी आपके चरणों में प्रार्थना है !’
नामजपादि उपाय करने से पूर्व साधकों को मानस कुदृष्टि उतारने से कष्टदायक शक्ति का आवरण अल्प समय में दूर होने के कारण नामजप में एकाग्रता बढने में सहायता मिलेगी ।
अब जग में आयुर्वेद को भारी मात्रा में मान्यता मिल रही है, इसलिए अब भारतीयों को भी अपनी आंखें खोलकर देखने का समय आ गया है । उसके लिए अनेक रोगों पर उपयुक्त कुछ वनस्पतियां अथवा फलों का उपयोग यहां देखेंगे ।