राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने की अपेक्षा साधक-शिष्य बनना सदैव श्रेयस्कर !

‘किसी भी राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने की अपेक्षा साधक अथवा शिष्य बनना लाखों गुना श्रेष्ठ है; क्योंकि राजनीतिक दल में रज-तम गुण बढते हैं, जबकि साधक अथवा शिष्य बनने पर सत्त्वगुण बढता है । इससे ईश्वर की दिशा में आगे बढते हैं ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

बुद्धिप्रमाणवादियों के दो सबसे बडे दोष हैं, जिज्ञासा का अभाव तथा ‘मुझे सब पता है’, यह अहंकार !

‘मैं भी ४१ वर्ष की आयु तक ईश्वर को नहीं मानता था । आगे सम्मोहन उपचारशास्त्र की सीमा ज्ञात होने पर मैंने साधना आरंभ की । तब जिज्ञासावश संतों से सहस्रो प्रश्न पूछकर तथा साधना कर अध्यात्मशास्त्र समझ लिया । अन्यथा मैं भी एक बुद्धिहीन बुद्धिप्रमाणवादी बन जाता !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

केवल हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवता क्यों हैं ?

कुछ अन्य धर्मीय हिन्दुओं को चिढाते हैं ‘भगवान एक ही है, तो आपके धर्म में अनेक देवी-देवता क्यों है ?’ ऐसे अध्ययनशून्य व्यक्तियों के ध्यान में यह बात नहीं आती की हिन्दू धर्म सर्वाधिक परिपूर्ण धर्म है । यदि पश्चिमी चिकित्सा शास्त्र का उदाहरण देखें, तो यह ध्यान में आएगा कि पूर्व में विविध रोगों … Read more

कर्मकांड का महत्त्व !

‘बुद्धिप्रमाणवादी हिन्दू धर्म के कर्मकांड को ‘कर्मकांड’ कहकर नीचा दिखाते हैं; परंतु कर्मकांड का अध्ययन करें, तो यह समझ में आता है कि उसमें प्रत्येक बात का कितना गहन अध्ययन किया गया है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

शासनकर्ताओं को यह कैसे समझ में नहीं आता ?

‘भारत में उपलब्ध भूमि, अनाज तथा जल का विचार कर भारत की जनसंख्या कितनी बढने देना है, इसका विचार करें; अन्यथा आगे बढनेवाली भीड़ में सभी का दम घुटेगा, यह शासनकर्ताओं को कैसे समझ में नहीं आता ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

गुरु पर अटल श्रद्धा होनी चाहिए !

‘अपने डॉक्टर, अधिवक्ता, लेखा परीक्षक इत्यादि पर हमारा विश्वास होता है । उससे भी अनेक गुना अधिक केवल विश्वास ही नहीं, अपितु श्रद्धा गुरु पर होनी चाहिए ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

कहां केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान और कहां ज्योतिषशास्त्र !

‘कहां भविष्य में क्या होनेवाला है, इसके विषय में किसी एक व्यक्ति के संदर्भ में भी सभी जांच करने के उपरांत भी न बता पानेवाला तथा प्रकृति के संदर्भ में केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान; और कहां केवल प्रकृति का ही नहीं, अपितु प्रत्येक व्यक्ति का भविष्य जन्मकुंडली तथा नाडी पट्टिकाओं एवं संहिताओं के आधार … Read more

वास्तविक बुद्धिमान व्यक्ति ‘ईश्वर नहीं हैं’, ऐसा कहेगा क्या ?

‘बुद्धिप्रमाणवादियो और विज्ञानवादियो, क्या कभी सोचा है कि वैज्ञानिकों को खोज करने की बुद्धि किसने दी ? वह बुद्धि ईश्वर ने दी है । ऐसे में ‘ईश्वर नहीं हैं’, ऐसा कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति कहेगा क्या ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू धर्म में सहस्रों ग्रंथ होने का शास्त्र !

‘अनंत कोटि ब्रह्मांडनायक का अन्य धर्मों की भांति केवल एक पुस्तक में वर्णन किया जा सकता है क्या ? इसीलिए हिन्दू धर्म में सहस्रों ग्रंथ हैं । उनसे पूर्ण जानकारी मिलती है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य हेतु समष्टि साधना आवश्यक !

‘व्यष्टि साधना में एक ही देवता की उपासना करते हैं; परंतु समष्टि साधना में अनेक देवताओं की उपासना करते हैं । लष्कर में पैदल सैनिक, टैंक, हवाई दल, नाविक दल इत्यादि अनेक विभाग होते हैं । उसी प्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के समष्टि कार्य में अनेक देवताओं की उपासना, यज्ञ-याग इत्यादि करना पडता है … Read more