बुद्धिप्रमाणवादी एवं कुंडलिनी शक्ति !

‘साधना करने पर कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है । अभी तक के युगों में लाखों साधकों ने यह अनुभव किया है; परंतु साधना पर विश्वास न रखनेवाले बुद्धिप्रमाणवादी साधना किए बिना ही कहते हैं, ‘कुंडलिनी दिखाओ, नहीं तो वह है ही नहीं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

शरीरशुद्धि का महत्त्व !

‘शरीर पहला वास्तु है। पहले उसकी शुद्धि का विचार करें, तदुपरांत बनाए हुए वास्तु (घर) का !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

नौकरी के लिए शैक्षिक पात्रता के साथ ही व्यक्तिगत गुण भी महत्त्वपूर्ण !

‘किसी भी क्षेत्र में किसी को केवल उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी न देते हुए उसके व्यक्तिगत गुण देखकर भी चुनाव करना आवश्यक है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

यह अधिक भयावह प्रदूषण है !

‘स्थूल का, अर्थात देह तथा वस्तुओं द्वारा किए तात्कालिक प्रदूषण की तुलना में सूक्ष्म स्तर का, अर्थात मन एवं बुद्धि से किया प्रदूषण अनेक गुना लम्बे समय के लिए हानिकारक होता है, इस ओर ध्यान रखें !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

बुद्धिप्रमाणवादियों के दो सबसे बडे दोष हैं, जिज्ञासा का अभाव तथा ‘मुझे सब पता है’, यह अहंकार !

‘मैं भी ४१ वर्ष की आयु तक ईश्वर को नहीं मानता था । आगे सम्मोहन उपचारशास्त्र की सीमा ज्ञात होने पर मैंने साधना आरंभ की । तब जिज्ञासावश संतों से सहस्रो प्रश्न पूछकर तथा साधना कर अध्यात्मशास्त्र समझ लिया । अन्यथा मैं भी एक बुद्धिहीन बुद्धिप्रमाणवादी बन जाता !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

कर्मकांड का महत्त्व !

‘बुद्धिप्रमाणवादी हिन्दू धर्म के कर्मकांड को ‘कर्मकांड’ कहकर नीचा दिखाते हैं; परंतु कर्मकांड का अध्ययन करें, तो यह समझ में आता है कि उसमें प्रत्येक बात का कितना गहन अध्ययन किया गया है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

कहां केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान और कहां ज्योतिषशास्त्र !

‘कहां भविष्य में क्या होनेवाला है, इसके विषय में किसी एक व्यक्ति के संदर्भ में भी सभी जांच करने के उपरांत भी न बता पानेवाला तथा प्रकृति के संदर्भ में केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान; और कहां केवल प्रकृति का ही नहीं, अपितु प्रत्येक व्यक्ति का भविष्य जन्मकुंडली तथा नाडी पट्टिकाओं एवं संहिताओं के आधार … Read more

वास्तविक बुद्धिमान व्यक्ति ‘ईश्वर नहीं हैं’, ऐसा कहेगा क्या ?

‘बुद्धिप्रमाणवादियो और विज्ञानवादियो, क्या कभी सोचा है कि वैज्ञानिकों को खोज करने की बुद्धि किसने दी ? वह बुद्धि ईश्वर ने दी है । ऐसे में ‘ईश्वर नहीं हैं’, ऐसा कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति कहेगा क्या ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

बुद्धिवादियों की अपेक्षा ‘मुझे दिखाई नहीं देता’, यह सत्य स्वीकार करनेवाला श्रेष्ठ !

‘मोतियाबिंदु से ग्रस्त व्यक्ति को बारीक अक्षर दिखाई नहीं देता । यदि कोई वह बारीक अक्षर पढ़कर सुनाए, तो मोतियाबिंदु से ग्रस्त व्यक्ति यह नहीं कहता कि, वहां अक्षर है, ऐसा झूठ कहकर आप भ्रमित कर रहे हैं । वह कहता है ‘मुझे बारीक अक्षर दिखाई नहीं देते ।’ चष्मा लगाने पर वह बारीक अक्षर … Read more

वास्तविक ‘दूरदर्शिता’ !

‘स्वयं के सुख के लिए दूसरों को दुःख देकर धन का संग्रह करना पाप है; परंतु भविष्यकाल को ध्यान में रखकर उसके लिए अपनी तैयारी उचित प्रकार से करने को ‘दूरदर्शिता’ कहते हैं ‌।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले