पूर्वकाल का परिवार की भांति एकत्र रहनेवाला समाज और आज का टुकड़े-टुकड़े हो चुका समाज !

‘पूर्वकाल में समाज में निहित सात्त्विकता, सामंजस्य, प्रेमभाव इत्यादि गुणों के कारण समाजव्यवस्था भलीभांति बनी रहे, इसके लिए कुछ करना नहीं पडता था । आज समाज में वे घटक निर्माण होने हेतु धर्मशिक्षा ही नहीं दी जाती। इस कारण कानून की सहायता लेकर समाजव्यवस्था भलीभांति बनाए रखने के दयनीय प्रयास किए जाते हैं।’ – सच्चिदानंद … Read more

शासनकर्ताओं को यह कैसे समझ में नहीं आता ?

‘भारत में उपलब्ध भूमि, अनाज तथा जल का विचार कर भारत की जनसंख्या कितनी बढने देना है, इसका विचार करें; अन्यथा आगे बढनेवाली भीड़ में सभी का दम घुटेगा, यह शासनकर्ताओं को कैसे समझ में नहीं आता ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू धर्म में सहस्रों ग्रंथ होने का शास्त्र !

‘अनंत कोटि ब्रह्मांडनायक का अन्य धर्मों की भांति केवल एक पुस्तक में वर्णन किया जा सकता है क्या ? इसीलिए हिन्दू धर्म में सहस्रों ग्रंथ हैं । उनसे पूर्ण जानकारी मिलती है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य हेतु समष्टि साधना आवश्यक !

‘व्यष्टि साधना में एक ही देवता की उपासना करते हैं; परंतु समष्टि साधना में अनेक देवताओं की उपासना करते हैं । लष्कर में पैदल सैनिक, टैंक, हवाई दल, नाविक दल इत्यादि अनेक विभाग होते हैं । उसी प्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के समष्टि कार्य में अनेक देवताओं की उपासना, यज्ञ-याग इत्यादि करना पडता है … Read more

भारत और हिन्दू धर्म की असीमित हानि करनेवाले अभी तक के राजनेता !

‘शिक्षा के लिए संपूर्ण संसार से लोग भारत में आते हैं, ऐसा एक ही विषय है, वह है मनुष्य का चिरंतन कल्याण करनेवाला अध्यात्मशास्त्र और साधना । वह हिन्दू धर्म की संसार को देन है । ऐसा होते हुए भी भारत के अभी तक के राजनेता उसका महत्त्व समझ नहीं पाए । इसलिए उन्होंने स्वयं … Read more

‘चरित्रसंपन्न राष्ट्र’ आदर्श राष्ट्र है !

‘अश्लील चलचित्र’, ‘पब’, ‘लिव इन रिलेशनशिप’ जैसी बातों को शासनकर्ताओं ने मान्यता दी । इससे राष्ट्र की जनता का चरित्र नष्ट हो रहा है । ‘रामराज्य’ और छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दवी स्वराज्य’ आदर्श था; क्योंकि वे राज्य चरित्रसंपन्न थे । आजकल के शासनकर्ता यह ध्यान में रखकर ‘चरित्रसंपन्न राष्ट्र’ निर्माण करने का प्रयास करेंगे … Read more

बुद्धिवादी, सर्वधर्मसमभावी, साम्यवादी ही देश और धर्म के खरे शत्रु हैं !

‘बुद्धिवादियों के कारण हिन्दुओं की ईश्वर के प्रति श्रद्धा नष्ट हो गई । सर्वधर्मसमभाववादियों के हिन्दू धर्म की अद्वितीयता हिन्दू समझ नहीं पाए एवं साम्यवादियों के कारण हिन्दुओं ने ईश्वर को मानना छोड़ दिया । अतः ईश्वर की कृपा न होने से हिन्दुओं और भारत की स्थिति दयनीय हो गई है । हिन्दू राष्ट्र की … Read more

हिन्दुओ, ध्यान रखें साधना कर ईश्वर का आशीर्वाद मिलनेपर ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी !

‘ईश्वर के आशीर्वाद के बिना संसार में कुछ भी नहीं हो सकता । इसलिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ईश्वर के आशीर्वाद के बिना होना संभव नहीं है । अतः हिन्दुओ, साधना कर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करें तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करें !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

भारत का प्रारब्ध परिवर्तित करने के लिए आध्यात्मिक स्तर के उपचार ही आवश्यक !

‘किसी व्यक्ति का प्रारब्ध परिवर्तित करना लगभग असंभव होता है । परिवर्तित करना ही हो, तो तीव्र साधना करनी पड़ती है । ऐसा होते हुए शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्तर पर प्रयत्न करने पर भारत का प्रारब्ध परिवर्तित करना क्या संभव है ? उसके लिए आध्यात्मिक स्तर के ही उपचार, अर्थात साधना का बल चाहिए … Read more

परिपूर्ण हिन्दू धर्म !

‘हिन्दुओं को शोध करने की आवश्यकता नहीं होती; क्योंकि सुख नहीं, अपितु आनंदप्राप्ति के लिये अर्थात मोक्षप्राप्ति तक सबकुछ हिन्दू धर्म में बताया हुआ है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले