हिन्दुओ, ‘हिन्दू राष्ट्र मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे प्राप्त करके रहूंगा’, ऐसा निश्चय प्रत्येक हिन्दू को करना आवश्यक है !

‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे पाकर रहूंगा’, ऐसा लोकमान्य टिळक ने कहा था और इसके लिए उन्होंने जीवन भर प्रयास किए । इसी प्रकार ‘हिन्दू राष्ट्र मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे पाकर रहूंगा’, ऐसा निश्चय कर, प्रत्येक हिन्दू को उसके लिए संघर्ष करने की वृत्ति के साथ संवैधानिक मार्ग से … Read more

मतदाताओ, मत देते समय इस बात का विचार करो !

‘मतदाताओ, आपके द्वारा चुने गए उम्मीदवार द्वारा की गई चूकों (गलतियों) के लिए आप ही उत्तरदायी होंगे । इसलिए उन चूकों का पाप आपको लगेगा, यह ध्यान में रखकर मतदान करो !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

नौकरी के लिए शैक्षिक पात्रता के साथ ही व्यक्तिगत गुण भी महत्त्वपूर्ण !

‘किसी भी क्षेत्र में किसी को केवल उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी न देते हुए उसके व्यक्तिगत गुण देखकर भी चुनाव करना आवश्यक है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

सच्चा ब्राह्मण !

‘जिसमें ईश्वरप्राप्ति की उत्कंठा है, वही सच्चा ब्राह्मण है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

वर्तमान महिलाओं ने अंतर्मुख होना आवश्यक !

‘कहां पती के साथ थोडा विवाद होने पर विवाह विच्छेद करनेवाली वर्तमान पत्नियां, तो कहां पती के निधन के उपरांत उसके साथ एकरूप होने के कारण जोहार करनेवाली, अर्थात देह अग्नि में समर्पण करनेवाली पद्मावती रानी एवं उसके साथ की १६ सहस्र राजपूत स्त्रियां !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

स्वेच्छा के २ प्रकार

‘साधना करनेवाले ‘आगामी जन्म न मिले ; साधना कर इसी जन्म में मोक्ष प्राप्त हो जाए’, ऐसी इच्छा रखते हैं । इसके विपरीत राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी लोगों को लगता है, ‘धर्मकार्य करने हेतु पुनः-पुनः जन्म मिले ।’ यदि इसे स्वेच्छा कहेंगे, तो ‘अगला जन्म न मिले’, यह भी तो स्वेच्छा ही है !’ – सच्चिदानंद … Read more

बुद्धिप्रमाणवादी एवं कुंडलिनी शक्ति !

‘साधना करने पर कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है । अभी तक के युगों में लाखों साधकों ने यह अनुभव किया है; परंतु साधना पर विश्वास न रखनेवाले बुद्धिप्रमाणवादी साधना किए बिना ही कहते हैं, ‘कुंडलिनी दिखाओ, नहीं तो वह है ही नहीं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

शरीरशुद्धि का महत्त्व !

‘शरीर पहला वास्तु है। पहले उसकी शुद्धि का विचार करें, तदुपरांत बनाए हुए वास्तु (घर) का !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

ईश्वरप्राप्ति के संदर्भ में मनुष्य की लज्जाजनक उदासीनता !

‘धनप्राप्ति, विवाह, रोग-व्याधि इत्यादि अनेक कारणों के लिए अनेक लोग उपाय पूछते हैं; परंतु ईश्वर प्राप्ति के लिए उपाय पूछने का कोई विचार भी नहीं करता !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

नौकरी के लिए शैक्षिक पात्रता के साथ ही व्यक्तिगत गुण भी महत्त्वपूर्ण !

‘किसी भी क्षेत्र में किसी को केवल उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी न देते हुए उसके व्यक्तिगत गुण देखकर भी चुनाव करना आवश्यक है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले