गुरुके कौन-कौनसे प्रकार हैं ?

८.१०.१९९५ के दिन इंदौरमें मैंने (डॉ. जयंत आठवलेने) बाबासे (प.पू. भक्तराज महाराजजीसे) कहा, ‘‘जब आप बीमार होते हैं, तो आपके पास रहकर आपकी सेवा करनेके विचारकी अपेक्षा ग्रन्थ लिखनेके विचार अधिक आते हैं । सगुण देहकी सेवा मनसे नहीं होती ।’’ इसपर बाबा बोले, ‘‘तुम्हें लगता है कि ग्रन्थ लिखना चाहिए, वही ठीक है । वह ईश्‍वरीय कार्य है ।

शिष्य के जीवन में गुरुका अनन्यसाधारण महत्त्व !

गुरु का महत्त्व ज्ञात होने पर नर से नारायण बनने में अधिक समय नहीं लगता; क्योंकि गुरु देवता का प्रत्यक्ष सगुण रूप ही होते हैं, इसलिए जिसे गुरु स्वीकारते हैं उसे भगवान भी स्वीकारते हैं एवं उस जीव का अपनेआप ही कल्याण होता है ।

भारत की स्वतंत्रता में आजाद हिन्द सेना का महत्त्वपूर्ण योगदान !

विश्‍वयुद्ध में अंग्रेज सेना को बडी हानि पहुंची थी । इसलिए ब्रिटेन से भारत में अंग्रेज सैनिक भेजना संभव नहीं था । इसलिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने लोकसभा में स्पष्ट कहा कि अंग्रेजों को भारतीय साम्राज्य छोडना पड रहा है ।

परिहारों की कुलदेवी : गाजणमाता मंदिर की महिमा

विशिष्ट फूलों में विशिष्ट देवता के पवित्रक, अर्थात उस देवता के सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण आकर्षित करने की क्षमता होती है ।

मध्यप्रदेश : भारी वर्षा से शिवलिंग पानी में डूबनेपर भी जलती रही मंदिर में अखंड ज्योत !

भिंड – शहर में भगवान शिव का करीब ९०० वर्ष पुराने वनखंडेश्वर मंदिर में स्थापना के बाद से ही अखंड ज्योति जल रही है। ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ यहां भोलेनाथ जागृत अवस्था में रहते हैं। शहर में तेज वर्षा के दौरान यहां मंदिर में पानी भर गया, जिसमें शिवलिंग भी डूब गया। किंतु मंदिर के अंदर अखंड ज्योत के पहले के पास पहुंचने से पहले ही वर्षा थम गई।

फंड की कमी के कारण यहां रेत में ही दबा है हिन्दुओंका प्राचीन गौरवशाली इतिहास !

जैसलमेर – जैसलमेर से १६ किमी की दूरी पर रेत की परतों के नीचे लोद्रवापुर का गौरवशाली इतिहास दबा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह नौवी सदी में इस क्षेत्र पर शासन करने वाले भाटी राजपूतों की राजधानी हुआ करती थी। अनेक क्रूर इस्लामी आक्रमणकारियों के बार-बार हमले ने इसके गौरव को क्षीण कर दिया। एएसआई ने इस जगह की खुदाई दस साल पहले शुरू कर दी थी, किंतु कुछ समय बाद फंड की कमी होने के कारण काम को रोक दिया गया।

११ हजार वर्ष प्राचीन है ‘स्वस्तिक’ चिन्ह – शोधकर्ताओंका निष्कर्ष

भारत के कई प्रतिष्ठित संस्थानों के शोधार्थियों का कहना है कि, स्वस्तिक आर्यन्स या सिंधु घाटी सभ्यता से लगभग ११ हजार वर्ष प्राचीन है ।

गीर की गायों के मूत्र में मिला सोना, संशोधकोंने कहा, गोमूत्र से हो सकता है कई बीमारियों का उपचार !

इस समाचार से गोमाता का कितना महत्व है यह ध्यान में आता है ! अब सरकारने गोरक्षा के लिए सक्त कानून बनाकर गोसंवर्धन करना चाहिए, ऐसी हिन्दुओंकी अपेक्षा है – सम्पादक मुंबई – गुजरात के गीर की गायों के मूत्र में सोना मिला है। चार वर्ष के संशोधन के बाद, जूनागढ कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों … Read more

यहां जब भी मुसीबत आने वाली होती है मूर्ति से बहने लगते हैं आंसूू

देवभूमि के नाम से विख्यात इस प्रदेश में देवी देवताओं से कई रोचक बातें भी जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक रोचक कड़ी शक्तिपीठों में से एक बज्रेश्वरी देवी माता मंदिर कांगड़ा से भी जुड़ी है। इस मंदिर में देवी के साथ भगवान भैरव की भी एक चमत्कारी मूर्ति है।

रामायण जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती है ।

रामकथा भोग की नहीं त्याग की कथा हैं । यहां त्याग की प्रतियोगिता चल रही हैं और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं रहा ।चारों भाइयों का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अद्भुत-अभिनव और अलौकिक है ।