हे हिन्दू नारी, धर्माचरण से है तुम्हारी पहचान ! अबला नहीं, तुम हो रणरागिणी !
हमारी बेटियां, माताएं और बहनें जब तक दुर्गा अथवा झांसी की रानी का रूप नहीं धारण करतीं, तब तक हमें ऐसा नहीं मानना चाहिए कि क्रांति सफल हुई ।
हमारी बेटियां, माताएं और बहनें जब तक दुर्गा अथवा झांसी की रानी का रूप नहीं धारण करतीं, तब तक हमें ऐसा नहीं मानना चाहिए कि क्रांति सफल हुई ।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगता है कि अब देश विनाश की ओर ही जानेवाला है । इस स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए हिन्दू राष्ट्र लाना ही एकमात्र पर्याय है ।
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन एकादशी अथवा वामन जयंती कहा जाता है । इस दिन केरल में ओणम् नामक त्योहार मनाया जाता है ।
श्रीब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराजजी का जन्म माघ शुक्ल पक्ष द्वादशी को (१९ फरवरी १८४५ को) सातारा जिले की माण तालुका गोंदवले बुद्रुक में हुआ । जन्म के समय उनका नाम गणपति रखा गया था । श्रीब्रह्मचैतन्य श्रीराम के उपासक थे । वे स्वयं को ब्रह्मचैतन्य रामदासी कहते थे ।
दत्त अर्थात वह जिसने निर्गुणकी अनुभूति प्राप्त की है; वह जिसे यह अनुभूति प्रदान की गई है कि ‘मैं ब्रह्म ही हूं, मुक्त ही हूं, आत्मा ही हूं ।’ भक्तोंका चिंतन करनेवाले अर्थात भक्तोंके शुभचिंतक श्री गुरुदेव दत्त हैं ।
जगतकी प्रत्येक वस्तु ही गुरु है; क्योंकि प्रत्येक वस्तुसे कुछ न कुछ सीखा जा सकता है । बुराईसे हम सीखते हैं कि कौनसे दुर्गुणोंका परित्याग करना चाहिए तथा अच्छाईसे यह शिक्षा मिलती है कि कौनसे सद्गुण अपनाने चाहिए ।
भगवान दत्तात्रेय गुरुतत्त्वका कार्य करते हैं, इसलिए जबतक सभी लोग मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेते, तबतक दत्त देवताका कार्य चलता ही रहेगा । भगवान दत्तात्रेयने प्रमुखरूपसे कुल सोलह अवतार धारण किए ।
दत्तात्रेयके चित्रमें विद्यमान ४ श्वान चार वेदोंके प्रतीक होनेके कारण उनके स्थानपर आगे दिए अनुसार चार विविध रंगोंके वलय दिखाई दिए ।
सात्त्विक अक्षरोंमें चैतन्य होता है । सात्त्विक अक्षर और उनके चारों ओर निर्मित देवतातत्त्वके अनुरूप चौखटसे युक्त संबंधित देवताके नामजपकी पट्टियां सनातन बनाता है ।
असली एवं नकली रुद्राक्षकी विशेषताआेंको समझने हेतु रुद्राक्षके लाभ, असली एवं नकली रुद्राक्षकी विशेषताएं तथा अंतर आदिके बारेंमें प्रस्तूत लेखद्वारा अवगत कराया गया है।