राष्ट्ररक्षा
राष्ट्र के सर्वांगीण उत्कर्ष के लिए राष्ट्रहित में कुशल नागरिकों को अब अपनी रक्षा के साथ-साथ राष्ट्र्र की रक्षा करना भी आवश्यक हो गया है । इस दृष्टि से आगे दिए विभिन्न स्थानों पर सनातन संस्था नि:शुल्क प्रशिक्षणवर्ग आयोजित करती है ।
राष्ट्र के सर्वांगीण उत्कर्ष के लिए राष्ट्रहित में कुशल नागरिकों को अब अपनी रक्षा के साथ-साथ राष्ट्र्र की रक्षा करना भी आवश्यक हो गया है । इस दृष्टि से आगे दिए विभिन्न स्थानों पर सनातन संस्था नि:शुल्क प्रशिक्षणवर्ग आयोजित करती है ।
वाल्मीकि रामायण में किष्किंधा कांड, सर्ग ६६ में हनुमान के जन्म के वर्णन की कथा आगे प्रस्तुत है ।
दुर्गा सप्तशती (श्री सप्तश्लोकी दुर्गा) इस स्तोत्र के विषय में जान लेते हैं ।
‘जो कोई प्रभु श्रीराम का स्मरण करेगा, उसकी सुरक्षा हनुमानजी करेंगे और उस व्यक्ति का कोई भी अहित नहीं कर सकेगा’, ऐसा वर हनुमानजी ने मांगा ।
अखिल भारतीय माहेश्वरी समाज की ओर से २६ मई को विदर्भस्तरीय ‘ऑनलाईन’ महिला समारोह आयोजित किया गया था ।
भारतीय संस्कृति में जो प्राचीन काल से बताया गया है, उसपर अब पाश्चात्य वैज्ञानिक शोध कर उसकी पुष्टि कर रहे हैं ।
गुरु ही हमारे हृदय में वास कर हमारा प्रतिपालन करते हैं, हमारा हाथ पकडकर हमें साधनापथ पर आगे-आगे ले जाते हैं और हमारे कल्याण के लिए सर्व करते हैं । तो हमें किस बात का अभिमान है ?
सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मुंबई, ठाणे, रायगड और गुजरात के उद्योगपतियों के लिए २१ मई को ऑनलाईन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था ।
गुरु द्वारा कोई सेवा बताई जाने पर वह करना, यह मात्र चाकर (नौकर) अथवा दूत समान हुआ; परंतु गुरु को जो अभिप्रेत है (अर्थात ‘श्री’ गुरु की इच्छा जानकर), वह करना सद्शिष्य का लक्षण है ।