कुछ देवियोंकी उपासनाकी विशेषताएं
आठ गुप्ततर योगिनी मुख्य देवताके नियंत्रणमें विश्वका संचलन, वस्तुओंका उत्सर्जन, परिणाम इत्यादि कार्य करते हैं । ‘संधिपूजा’ नामक एक विशेष पूजा अष्टमी एवं नवमी तिथियोंके संधिकालमें करते हैं ।
आठ गुप्ततर योगिनी मुख्य देवताके नियंत्रणमें विश्वका संचलन, वस्तुओंका उत्सर्जन, परिणाम इत्यादि कार्य करते हैं । ‘संधिपूजा’ नामक एक विशेष पूजा अष्टमी एवं नवमी तिथियोंके संधिकालमें करते हैं ।
अनुक्रमणिका१. अर्थ, कुछ अन्य नाम एवं रूपअ. अर्थआ. कुछ अन्य नामइ. तारक एवं मारक रूप :२. निर्मिति व निवासअ. निर्मितिआ. निवासइ. सरस्वतीलोक की विशेषताएं३. श्री सरस्वतीदेवी के कोप से कष्ट एवं नरकप्राप्ति होनाअ. श्री सरस्वतीदेवी की अवहेलना करनेवालों को एवं दुष्कृत्य करनेवालों को विद्या एवं कला प्राप्त न होना, आत्मज्ञान न होना तथा नरकप्राप्ति होनाआ. … Read more
नववर्षारंभ तथा दशहरे के दिन सरस्वतीपूजन करें । ब्रह्मांड में नववर्षारंभ पर श्री सरस्वतीदेवी के तारक तत्त्व की तरंगें एवं दशहरे के दिन महासरस्वतीदेवी के मारक तत्त्व की तरंगें कार्यरत होती हैं ।
‘गायत्री शब्द की व्युत्पत्ति है – गायन्तं त्रायते । अर्थात गायन करने से (मंत्र से) रक्षा जो करे और गायंतं त्रायंतं इति । अर्थात सतत गाते रहने से जो शरीर से गायन करवाए (शरीर में मंत्रों के सूक्ष्म स्पंदन निर्माण करती है ।) और जो तारने की शक्ति उत्पन्न करती है, वह है गायत्री ।
दुर्गा सप्तशती (श्री सप्तश्लोकी दुर्गा) इस स्तोत्र के विषय में जान लेते हैं ।
विशिष्ट आकृतिबन्धमें पुष्प इस प्रकार चढाएं कि वे आडे-तिरछे न दिखाई दें । अध्यात्मका एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है – सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् ।
महालक्ष्मी पीठ अपने सर्व ओर लट्टूसमान वलयांकित ज्ञानशक्तिका भ्रमण दर्शित करता है । भवानी पीठ अपने केंद्रबिंदुसे क्रियाशक्तिका पुंज क्षेपित करता है, तो रेणुका पीठ क्षात्रतेजसे आवेशित किरणोंका क्षेपण करता है ।
कुलदेवी, ग्रामदेवी, शक्तिपीठ आदि रूपों में देवी के विविध सगुण रूपों की उपासना की जाती है । हिन्दू संस्कृति में जितना महत्त्व देवता का है उतना ही महत्त्व देवी को भी दिया जाता है,
इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा समझ लेते हैं । यह व्रत आदिशक्ति की उपासना ही है !
श्री दुर्गादेवी का एक नाम है चंडी । मार्कडेय पुराण में चंडी देवी का माहात्म्य बताया गया है, जिसमें उसके अवतारों का एवं पराक्रमों का विस्तार से वर्णन किया गया है ।