शक्तिदेवता !

इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा समझ लेते हैं । यह व्रत आदिशक्ति की उपासना ही है !

कुछ देवियोंकी उपासनाकी विशेषताएं

आठ गुप्ततर योगिनी मुख्य देवताके नियंत्रणमें विश्वका संचलन, वस्तुओंका उत्सर्जन, परिणाम इत्यादि कार्य करते हैं । ‘संधिपूजा’ नामक एक विशेष पूजा अष्टमी एवं नवमी तिथियोंके संधिकालमें करते हैं ।

श्री सरस्वतीदेवी

१. अर्थ, कुछ अन्य नाम एवं रूप अ. अर्थ ‘सरसः अवती’, अर्थात एक गति में ज्ञान देनेवालीं (गतिमति) । श्री सरस्वतीदेवी निष्क्रिय ब्रह्मा का सक्रिय रूप हैं; इसीलिए उन्हें ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’, तीनों को गति देनेवाली शक्ति कहते हैं । आ. कुछ अन्य नाम १. शारदा : शारदा अर्थात षट्शास्त्रों के अध्ययन को अर्थात ज्ञान को आधार … Read more

श्री सरस्वतीदेवी की उपासना एवं सरस्वती यंत्रका कार्य

नववर्षारंभ तथा दशहरे के दिन सरस्वतीपूजन करें । ब्रह्मांड में नववर्षारंभ पर श्री सरस्वतीदेवी के तारक तत्त्व की तरंगें एवं दशहरे के दिन महासरस्वतीदेवी के मारक तत्त्व की तरंगें कार्यरत होती हैं ।

गायत्रीदेवी का आध्यात्मिक महत्त्व और उनकी गुणविशेषताएं !

‘गायत्री शब्द की व्युत्पत्ति है – गायन्तं त्रायते । अर्थात गायन करने से (मंत्र से) रक्षा जो करे और गायंतं त्रायंतं इति । अर्थात सतत गाते रहने से जो शरीर से गायन करवाए (शरीर में मंत्रों के सूक्ष्म स्पंदन निर्माण करती है ।) और जो तारने की शक्ति उत्पन्न करती है, वह है गायत्री ।

किस देवताको कौनसे पुष्प अर्पित करें ?

विशिष्ट आकृतिबन्धमें पुष्प इस प्रकार चढाएं कि वे आडे-तिरछे न दिखाई दें । अध्यात्मका एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है – सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् ।

पूर्ण एवं अर्धपीठ तथा उनके कार्य

महालक्ष्मी पीठ अपने सर्व ओर लट्टूसमान वलयांकित ज्ञानशक्तिका भ्रमण दर्शित करता है । भवानी पीठ अपने केंद्रबिंदुसे क्रियाशक्तिका पुंज क्षेपित करता है, तो रेणुका पीठ क्षात्रतेजसे आवेशित किरणोंका क्षेपण करता है ।

कुछ देवियों की उपासना की विशेषताएं

अंबाबाई एवं तुळजाभवानी ये जिनकी कुलदेवता होती हैं, उनके घर विवाह जैसी विधि के पश्चात देवी की स्तुति करते हैं । कुछ लोगों के यहां विवाह जैसे कार्य निर्विघ्न होने हेतु सत्यनारायण की पूजा करते हैं

देवी का महत्त्व !

कुलदेवी, ग्रामदेवी, शक्तिपीठ आदि रूपों में देवी के विविध सगुण रूपों की उपासना की जाती है । हिन्दू संस्कृति में जितना महत्त्व देवता का है उतना ही महत्त्व देवी को भी दिया जाता है,