पितृपक्ष में महालय श्राद्ध कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्‍त करें !

पितृपक्ष में पितृलोक पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है । उससे वे संतुष्‍ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं । श्राद्धविधि करने से पितृदोष के कारण साधना में आनेवाली बाधाएं दूर होकर साधना में सहायता मिलती है ।

वाहन की दुर्घटना न हो, साधक इसकी दक्षता इस प्रकार लें तथा प्रवास में उपयोग करने का ‘दुर्घटना निवारण यंत्र’!

‘वर्तमान में आपत्काल की तीव्रता तथा अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण बढ रहे हैं । अतः साधकों के संदर्भ में निरंतर वाहन की दुर्घटना होने की घटनाएं हो रही हैं । अतएव साधक दुपहिया तथा चारपहिया वाहन चलाते समय आगे प्रस्तुत सावधानी अवश्य लें ।

पूर्वजों के कष्ट दूर होने हेतु पितृपक्ष में नामजप और श्राद्धविधि करें !

साधकों के लिए सूचना १. भगवान दत्तात्रेय का नामजप करें । ‘आजकल अनेक साधकों को अनिष्ट शक्तियों के कष्ट हो रहे हैं । पितृपक्ष के काल में (१० से २४ सितंबर २०२२ की अवधि में) इन कष्टों में वृद्धि होने से इस कालावधि में प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ’ नामजप … Read more

अर्पणदाताओ, गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में धर्मकार्य हेतु धन अर्पित कर गुरुतत्त्व का लाभ लो !

गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में तन, मन एवं धन का अधिकाधिक त्याग कर गुरुदेवजी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर सभी को प्राप्त हुआ है । अतः जिज्ञासु एवं शुभचिंतक धर्मप्रसार का कार्य कर तथा उसके लिए धन अर्पित कर गुरुपूर्णिमा का आध्यात्मिक स्तर पर लाभ लें ।

अर्पणदाताओ, गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में धर्मकार्य हेतु धन अर्पित कर गुरुतत्त्व का लाभ लो !

१३ जुलाई २०२२ को गुरुपूर्णिमा है । गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का यह दिवस शिष्य के लिए अविस्मरणीय होता है । इस दिन गुरुदेवजी का कृपाशीर्वाद तथा उनसे प्रक्षेपित होनेवाला शब्दातीत ज्ञान सामान्य की अपेक्षा सहस्रों गुना अधिक कार्यरत होता है ।

सनातन के पूर्णकालीन साधकों के विषय में भ्रांति फैलानेवाले ज्योतिषियों से सावधान रहें !

मुखमंडल पर तेज दिखना, यह साधना के कारण आध्यात्मिक उन्नति होने पर दिखाई देनेवाले अनेक लक्षणों में से एक लक्षण है । वाणी चैतन्यमय होना, मुखमंडल आनंदी होना, सुगंध आना, अंतर्मन से नामजप होना इत्यादि अनेक लक्षण होते हैं । इसलिए उन्नति होने के उपरांत ‘मुखमंडल पर तेज दिखना ही चाहिए’, ऐसा नहीं ।

पूर्वजों के कष्ट दूर होने हेतु पितृपक्ष में नामजप, प्रार्थना और श्राद्धविधि करें !

‘आजकल अनेक साधकों को अनिष्ट शक्तियों के कष्ट हो रहे हैं । पितृपक्ष के काल में (२१ सितंबर से ६ अक्टूबर २०२० की अवधि में) इन कष्टों में वृद्धि होने से इस कालावधि में प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ’ नामजप करें ।

कोरोना विषाणु के विरुद्ध स्वयं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु चिकित्सकीय उपचारों के साथ आध्यात्मिक बल प्राप्त होने हेतु ‘श्री दुर्गादेवी, दत्त देवता एवं भगवान शिव’, इन देवताओं का एकत्रित नामजप ध्वनिविस्तारक द्वारा सर्वत्र लगाने का नियोजन करें !

यह सिद्ध हो चुका है कि ‘नामजप न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए पूरक है, साथ ही विविध विकारों के निर्मूलन के लिए भी लाभदायक है । वर्तमान कोरोना महामारी के काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने के लिए योगासन, प्राणायाम, आयुर्वेदीय उपचार इत्यादि प्रयास समाज के लोग कर रहे हैं । इनके साथ ही रोग प्रतिरोधक शक्ति तथा आत्मबल बढाने के लिए उचित साधना ही करनी पडती है ।

कोरोना महामारी की तीव्रता ध्यान में रखकर अपने साथ कुटुंबियों की रक्षा होने हेतु ‘कोरोना’ संबंधी सूचनाओं का साधना के रूप में पालन करें !

‘मार्च २०२० से १ अप्रैल २०२१ तक भारत में १ करोड ३३ लाख से भी अधिक नागरिकों को कोरोना का संसर्ग हुआ । उसमें १ लाख ६९ सहस्र से भी अधिक रोगियों की मृत्यु हो गई । आजकल कोरोना का संसर्ग पिछले वर्ष की तुलना में अधिक वेग से फैल रहा है ।

पूर्वजों के कष्ट दूर होने हेतु पितृपक्ष के काल में नामजप, प्रार्थना और श्राद्धविधि करें !

‘आजकल अनेक लोगोंको अनिष्ट शक्तियों के कष्ट हो रहे हैं । पितृपक्ष के काल में (२ से १७ सितंबर २०२० की अवधि में) इन कष्टों के बढने से इस अवधि में प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ ।’ नामजप करें ।