परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृत महोत्सव समारोह के समय तुला का यू.टी.एस. (यूनिवर्सल थर्मो स्कैनर) उपकरण से महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा किया वैज्ञानिक परीक्षण !

अत्युच्च स्तर के संत ईश्‍वर के सगुण रूप होते हैं । उनकी देह सात्त्विकता का स्रोत होती है । इसलिए संतों के संपर्क में आने पर चराचर इस सात्त्विकता से भारित हो जाता है और उसमें विविध सकारात्मक परिवर्तन होते हैं ।

वर्षा ऋतु में सात्त्विक और दैवी तत्त्व प्रक्षेपित करनेवाले वृक्ष लगाएं !

वृक्षों में दैवीतत्त्व और औषधीय गुण होते हैं । इसलिए जब हम इन्हें लगाते हैं, तब वातावरण में दैवी और औषधीय तत्त्व बढता है । इससे सबको लाभ होता है ।

प.पू. डॉक्टरजीसे आश्रम की स्वच्छता के विषय में एवं अन्य सीखने को मिले हुए सूत्र

अस्वच्छता तथा अव्यवस्थितपन का निवास जहां रहेगा, वहां अनिष्ट शक्तियों का प्रादुर्भाव होना तथा प.पू. डॉक्टरजी ने आश्रम के अनिष्ट स्पंदनदूर करने के लिए स्वयं सफाई करना !

भारत पुनः आध्यात्मिक देश बने यह आपका व हमारा लक्ष्य समान है ! – बाबा उमाकांतजी महाराज

महाराज जी ने २३ जुलाई को सनातन आश्रम का भ्रमण किया । इस समय साधकों का मार्गदर्शन करते समय वे बोल रहे थे । इस अवसर पर सनातन के साधक श्री. प्रकाश मराठे ने उनका हार, शॉल, श्रीफल देकर सम्मान किया ।

गोपाष्टमी – गो पूजन का एक पवित्र दिन

गोपाष्टमी, ब्रज में भारतीय संस्कृति  का एक प्रमुख पर्व है।  गायों  की रक्षा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण जी का अतिप्रिय नाम ‘गोविन्द’ पड़ा। 

वाराणसी में सनातन संस्था की ओर से अध्यात्मप्रसार हेतु प्रवचन का आयोजन

यहां के आशापुर गांव में आनंदनगर कॉलनी के शिवमंदिर में आंनदमय जीवन हेतु अध्यात्म इस विषय पर प्रवचन का आयोजन किया गया । प्रवचन के साथ फ्लेक्स प्रदर्शनी व ग्रंथ प्रदर्शनी लगाई थी ।

श्राद्धविधि : इतिहास, महत्त्व एवं लाभ

इहलोक छोड गए हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए जो कुछ किया, वह उन्हें लौटाना असंभव है । पूर्ण श्रद्धा से उनके लिए जो किया जाता है, उसे ‘श्राद्ध’ कहते हैं ।

पूरे देश में चल रहे हिन्दुआें के वंशविच्छेद का उपाय है पनून कश्मीर ! – डॉ. अजय च्रोंगू

कश्मीर में जो वंशविच्छेद हुआ, आज वह बंगाल, केरल, कर्नाटक और पूरे भारत में हो रहा है । पनून कश्मीर अर्थात कश्मीरी हिन्दुआें का कश्मीर में पुनर्वास, यह इस वंशविच्छेद का एक उपाय है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा समय-समय पर दिए गए साधना के विषय में दृष्टिकोण

गुरुपूर्णिमा के दिन गुरुतत्त्व १ सहस्र गुना मात्रा में कार्यरत होने से गुरुपूर्णिमा सभी शिष्य, भक्त एवं साधकों के लिए एक अनोखा पर्व होता है । केवल गुरुकृपा के कारण ही साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है ।

श्री गणेशजी का कार्य, विशेषताएं एवं उनका परिवार

विभिन्न साधनामार्गों के संत विभिन्न देवताओं के उपासक होते हैं, फिर भी सब संतों ने श्री गणेश की शरण जाकर याचना की है, उनका भावपूर्ण स्तवन किया है । सर्व संतों के लिए श्री गणेश अति पूजनीय देवता रहे ।