हिन्दुओं के पराक्रमी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी उज्जैन, मध्य प्रदेश की श्री हरसिद्धि देवी !
उज्जैन, मध्य प्रदेश के प्रमुख मंदिरों में श्री हरसिद्धि देवी मंदिर की गणना होती है । यह देवी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी थीं ।
उज्जैन, मध्य प्रदेश के प्रमुख मंदिरों में श्री हरसिद्धि देवी मंदिर की गणना होती है । यह देवी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी थीं ।
ओतूर में श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को मेला लगता है । इस दिन सुबह गांव के सभी घरों से चावल इकट्ठा कर उसे ओतूर की मांडवी नदी में धो लिया जाता है और मंदिर के गर्भगृह में उस चावल से ५ घडों का पिंड बनाया जाता है ।
उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) से ९० कि.मी. की दूरीपर सीतापुर जनपद में नैमिषारण्य स्थित है । वह गंगा नदी के गंगानदी की उपनदी गोमती नदी के बाएं तटपर स्थित है ।
गुजरात के स्वामीनारायण संप्रदाय के गुरु स्वामी गोपालानंद सारंगपुर जब गांव में आए थे, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि उस क्षेत्र में अनेक वर्षों से वर्षा होने से यह क्षेत्र वीरान हो गया है । तब उन्होंने हनुमानजी से प्रार्थना की और उनकी प्रेरणा से वहां हनुमानजी की स्थापना की । हनुमानजी के कारण संकट दूर होने से उस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर नाम पडा ।
१९.३.२०१९ को पू. (डॉ.) उलगनाथन्जी ने बताया, ‘‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में उत्पन्न बाधाएं दूर होने हेतु सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी गुजरात राज्य की राजधानी के पास जो गणेशजी का प्राचीन मंदिर है, उस मंदिर में जाकर वहां बैठकर ५ मिनटतक नामजप करें तथा इस मंदिर की जानकारी लें ।’’
रामायण का काल अर्थात लाखों वर्ष प्राचीन है । उससे हिन्दू संस्कृति की महानता और प्राचीनता की प्रचीती होती है ।
भारत से दूर इंडोनेशिया में वहां के लोगों ने अभी तक रामायण नृत्यनाटिका के माध्यम से राम के आदर्शों को संजोया है । रामायण वास्तव में घटित हुए अनेक युग बीत गए; परंतु विश्व में अनेक स्थानों पर अलग-अलग रूप में रामायण की कथा बताई जाती है ।
रामायण में जिस भूभाग को लंका अथवा लंकापुरी कहा गया है, वह स्थान है आज का श्रीलंका देश ! त्रेतायुग में श्रीमहाविष्णुजी ने श्रीरामावतार धारण किया तथा लंकापुरी जाकर रावणादि असुरों का नाश किया । वाल्मिकी रामायण में महर्षि वाल्मिकी ने जो लिखा, उसीके अनुरूप घटनाएं घटने के अनेक प्रमाण श्रीलंका में मिलते हैं ।
कार्तिक शुद्ध चतुर्दशी को वैकुंठ चतुर्दशी के नाम से तथा इस मास की पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है ।
श्री अमरनाथ हिन्दुआें का मुख्य तीर्थक्षेत्र है । प्राचीन काल में उसे अमरेश्वर के नाम से जाना जाता था ।