ओतूर (पुणे) के श्री कपार्दिकेश्‍वर मंदिर के मेले की विशेषता !


‘श्रावणमास में आनेवाले विविध व्रत और त्योहारों के उपलक्ष्य में कई स्थानोंपर मेलों का आयोजन किया जाता है । पुणे जनपद के ओतूर गांव में लगनेवाले श्रावणी सोमवार के मेले की भी एक अलग विशेषता है । पुणे जनपद का जुन्नर एक पंचलिंग क्षेत्र है । उसमे ओतुर पुणे जनपद के जुन्नर तहसील में मांडवी नदी के तटपर बंसा एक गांव है । इस गांव का पुराना नाम ‘उत्तमापुर’ था । यहां श्री कपर्दिकेश्‍वर (शिवजी) का प्राचीन मंदिर और श्री चैतन्यस्वामी (श्री बाबाजी चैतन्य महाराज) का समाधि मंदिर है । गुरु श्री बाबाजी चैतन्य महाराज वे हैं, जिन्होंने संत तुकाराम महाराज को स्वप्नदृष्टांत के माध्यम से ‘राम कृष्ण हरि’ गुरुमंत्र प्रदान किया ! श्री बाबाजी चैतन्य महाराज वर्ष १५७१ में इस श्री कपर्दिकेश्‍वर मंदिर के सान्निध्य में समाधिस्त हुए । ये दोनों मंदिर गांव के बाहर हैं और निसर्गसंपन्न हैं ।

ओतूर में श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को मेला लगता है । इस दिन सुबह गांव के सभी घरों से चावल इकट्ठा कर उसे ओतूर की मांडवी नदी में धो लिया जाता है और मंदिर के गर्भगृह में उस चावल से ५ घडों का पिंड बनाया जाता है । दहीहंडी के समय जिस प्रकार से मनोरे रचे जाते हैं, उस प्रकार से एकपर एक ऐसे घडे रखते हुए उनके मध्य एक नींबू रखा जाता है । अर्थात दूसरा घडा रखते समय पहले घडेपर नींबू रखकर उसपर दूसरा घडा रखा जाता है । उसके पश्‍चात अगले घडे रखते समय इसी प्रकार से नींबू रखे जाते हैं । इस प्रकार के एकपर एक घडा रखनेवाले मंदिर के पुजारी के आंखोंपर पट्टी बांधी होती है । इस प्रकार की चावल के पिंडी की निर्मिति को अद्भुत समझा जाता है । प्रत्येक सोमवार को पिंडियों की संख्या बढती जाती है । इन पिंडियों को देखने हेतु कई स्थानों से लाखों लोग यहां आते हैं । सोमवार को मेले के दिन में बडी धनराशि के पुरस्कारवाली कुश्तियां होती हैं । इसके लिए राज्यभर से यहां पहलवान आते हैं ।

– संकलन : कु. पूजा नलावडे, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा

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