गुजरात के सारंगपुर के कष्टभंजन मंदिर, वेरावल का भालका तीर्थ एवं सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग के करें दर्शन !

सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी
ने गुजरात के सारंगपुर के कष्टभंजन मंदिर,
वेरावल का भालका तीर्थ एवं सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग के किए दर्शन !

सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ

 

 

बाईं ओर से श्री. सत्यकाम कणगलेकर, श्री. दिवाकर आगावणे, सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी एवं श्री. विनायक शानभाग

१९.३.२०१९ को मयन महर्षिजी द्वारा पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से बताए जाने के अनुसार २२.३.२०१९ को सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी गुजरात के गणपतिपुरा गांव में स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर जाकर दर्शन किए । उसके पश्‍चात पू. (डॉ.) उलगनाथन्जी ने बताया, सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी गुजरात के श्रीकृष्णजी से संबंधित क्षेत्र, सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर एवं द्वारका जाकर दर्शन करें । उसके अनुसार सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने २२ से २४.३.२०१९ की अवधि में गुजरात राज्य की यात्रा की । उसमें से २२.३.२०१९ की क्षणिकाएं यहां दे रहे हैं ।

 

१. गुजरात राज्य के सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर का इतिहास !

गुजरात के स्वामीनारायण संप्रदाय के गुरु स्वामी गोपालानंद सारंगपुर जब गांव में आए थे, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि उस क्षेत्र में अनेक वर्षों से वर्षा होने से यह क्षेत्र वीरान हो गया है । तब उन्होंने हनुमानजी से प्रार्थना की और उनकी प्रेरणा से वहां हनुमानजी की स्थापना की । हनुमानजी के कारण संकट दूर होने से उस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर नाम पडा । हनुमानजी की मूर्ति की प्रतिष्ठापना के समय स्वामी गोपालानंदजी ने मूर्ति को एक चांदी की लकडी से स्पर्श करने से कुछ क्षण के लिए मूर्ति जीवंत हो उठी और दांत बाहर निकालकर हंसने लगी । आज भी यह मूर्ति इसी रूप में है ।

 

भक्तों के कष्ट दूर करनेवाली कष्टभंजन हनुमानजी की मूर्ति !

१ अ. सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का मंदिर में जाकर प्रार्थना करना

२२.३.२०१९ को सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने यहां जाकर सनातन के सभी साधकों के कष्ट दूर होने हेतु प्रार्थना की । तब उन्होंने उस मंदिर के न्यासी से मूर्तिपर लगाया हुआ सिंदुर मांग लिया और उसे रामनाथी आश्रम भेज दिया ।

 

२. वेरावल के भालका तीर्थ स्थान का इतिहास

द्वापरयुग में श्रीकृष्णजी ने जिस वृक्ष के नीचे देहत्याग किया, वही यह भालका तीर्थ क्षेत्र में स्थित पीपल का वृक्ष !

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से १० कि.मी. की दूरीपर वेरावल गांव है । यदुकुल के विनाश के पश्‍चात तथा द्वारकानगरी के समुद्र में डूब जानेपर श्रीकृष्णजी गांव में पीपल के एक वृक्ष के नीचे बैठे थे । तब जरा नामक व्याध ने श्रीकृष्णजी के पैरों को हिरन समझकर बाण चलाया । जब जरा ने पास आकर देखा, तो उसका बाण श्रीकृष्णजी के चरण में लगा हुआ दिखाई दिया । तब उसे पश्‍चाताप हुआ और वह श्रीकृष्णजी के चरणों में बैठकर आक्रोश कर रोने लगा ।

 

जरा नामक व्याध ने श्रीकृष्णजी के पैरों को हिरन समझकर बाण चलाया, उसके पश्‍चात उसने श्रीकृष्णजी से क्षमायाचना की । इस मूर्ति में यही दृश्य चित्रित किया है।

तब श्रीकृष्णजी जरा को सांत्वना देते हुए कहते हैं, जब मैं त्रेतायुग में श्रीरामअवतार में था, तब तुम सुग्रीव के भाई बाली थे । उस समय श्रीरामजी ने बाण चलाकर वाली का वध किया था । आज उसका वध हुआ । तब श्रीकृष्ण जरा को क्षमा कर देते हैं और उसी पीपल के वृक्ष के नीचे अपना अवतारकार्य समाप्त कर देते हैं । आज यही स्थान भालका तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है ।

२ अ. सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा श्रीकृष्णजी के चरणों में प्रार्थना की जाना

२२.३.२०१९ को सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने इस स्थान जाकर हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु बल मिले, इसके लिए श्रीकृष्णजी के चरणों में प्रार्थना की ।

 

३. सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा
सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए जाना

कष्टभंजन हनुमान मंदिर एवं भालका तीर्थ जाकर आने के पश्‍चात सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए । उसके पश्‍चात उन्होंने मंदिर के सामने स्थित समुद्रतटपर बैठकर समुद्रदेवता से प्रार्थना की ।

– श्री. विनायक शानभाग, देहली (२९.३.२०१९)

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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