यहां मिला २००० वर्ष प्राचीन शिवलिंग, आता है तुलसी जैसा सुगंध !

शिवलिंग की सबसे बड़ी विशिष्टता यह है कि, इससे ऐसी बहुत सी ऐतिहासिक चीजें जुड़ी हैं जो आज भी इस जमीन में है और हमें हमारी पुरानी सभ्यता और उनसे जुड़े किस्से-कहानियों की याद दिलाती हैं।

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में ग्यारहवी-बारहवीं सदी के मंदिरों से मिली २० दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां !

पुरातत्व विभाग के तकनीकी दल ने मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के जावर तहसील के ग्राम वीलपान के समीप बसे देवबड़ला में परमाकालीन दो मंदिर ढूंढ निकाले हैं।

इस मुस्लिम देश में सदियों से जल रही मां भगवती की अखंड ज्योति !

वैष्णो देवी से लेकर कन्या कुमारी तक भारत में मां दुर्गा के बहुत से मंदिर हैं किंतु यदि किसी मुस्लिम देश में मंदिर मौजूद हो तो यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। रूस और ईरान के बीच में स्थित मुस्लिम देश अजरबैजान में सुराखानी नामक स्थान पर माँ भगवती का एक प्राचीन मंदिर स्थित है।

१००० वर्ष पहले बने थे यहां २६ मंदिर, अब ऐसे वीरान पडे हैं ध्वंस अवशेष !

आशापुरी स्थित मंदिर देखने में भले ही छोटे हों, परंतु इनको बनाने में २०० साल लगे हैं। इन ऐतिहासिक मंदिरों से जुड़ी जानकारी एसपीएस भोपाल और ब्रिटेन की कार्डिफ विश्वविद्यालय के वेल्स स्कूल ऑफ वास्तु-विद्या की समूह के अध्ययन में सामने आई है।

अर्धनारीश्वर शिवलिंग : शिवलिंग के दोनों भागों के बीच अपनेआप घटती-बढती हैं दूरियां

इसे विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां शिवलिंग दो भागों में बंटा हुअा है। मां पार्वती और भगवान शिवजी के दो विभिन्न रूपों में बंटे शिवलिंग में ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढता रहता है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर की आश्चर्यचकित करनेवाली कुछ खास बातें !

कहा जाता है कि मंदिर में बनने वाला प्रसाद ७ बर्तनों में बनता है, यह खाना एक के ऊपर दूसरे बर्तन को रखकर बनाया जाता है। अाश्चर्य की बात यह है कि सबसे पहले खाना सबसे ऊपर रखे बर्तन में बनता है और उसके बाद यह क्रम नीचे की आेर चलता है।

परिहारों की कुलदेवी : गाजणमाता मंदिर की महिमा

विशिष्ट फूलों में विशिष्ट देवता के पवित्रक, अर्थात उस देवता के सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण आकर्षित करने की क्षमता होती है ।

मध्यप्रदेश : भारी वर्षा से शिवलिंग पानी में डूबनेपर भी जलती रही मंदिर में अखंड ज्योत !

भिंड – शहर में भगवान शिव का करीब ९०० वर्ष पुराने वनखंडेश्वर मंदिर में स्थापना के बाद से ही अखंड ज्योति जल रही है। ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ यहां भोलेनाथ जागृत अवस्था में रहते हैं। शहर में तेज वर्षा के दौरान यहां मंदिर में पानी भर गया, जिसमें शिवलिंग भी डूब गया। किंतु मंदिर के अंदर अखंड ज्योत के पहले के पास पहुंचने से पहले ही वर्षा थम गई।

फंड की कमी के कारण यहां रेत में ही दबा है हिन्दुओंका प्राचीन गौरवशाली इतिहास !

जैसलमेर – जैसलमेर से १६ किमी की दूरी पर रेत की परतों के नीचे लोद्रवापुर का गौरवशाली इतिहास दबा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह नौवी सदी में इस क्षेत्र पर शासन करने वाले भाटी राजपूतों की राजधानी हुआ करती थी। अनेक क्रूर इस्लामी आक्रमणकारियों के बार-बार हमले ने इसके गौरव को क्षीण कर दिया। एएसआई ने इस जगह की खुदाई दस साल पहले शुरू कर दी थी, किंतु कुछ समय बाद फंड की कमी होने के कारण काम को रोक दिया गया।

यहां जब भी मुसीबत आने वाली होती है मूर्ति से बहने लगते हैं आंसूू

देवभूमि के नाम से विख्यात इस प्रदेश में देवी देवताओं से कई रोचक बातें भी जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक रोचक कड़ी शक्तिपीठों में से एक बज्रेश्वरी देवी माता मंदिर कांगड़ा से भी जुड़ी है। इस मंदिर में देवी के साथ भगवान भैरव की भी एक चमत्कारी मूर्ति है।