सत्संग का महत्त्व

तुम कितने भी दैवी हो, किंतु माया के कारण तुम पर आवरण आकर तुम को
तुम्हारे मूल वंश का विस्मरण होता है । अतः निरंतर सत्संग में रहना महत्त्वपूर्ण
है । अधिकांश छोटे बालक दैवी बालक होते हैं; किंतु सत्संग के अभाव के
कारण उनका जीवन सफल नहीं हो सकता । जब शेर का बछडा शेळी के झुंड
में बडा होता है, तो उसे शेळी के समान ही भय निर्माण होता है । पश्चात् उसे
यह स्मरण करना बाध्य होता है कि, ‘तू शेर है ।’

श्रीचित्‌‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ

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