पाश्चात्य शिक्षा की सीमा ।

‘पाश्चात्य शिक्षा किसी भी समस्या के मूल कारण तक नहीं जाती, उदा. प्रारब्ध, बुरी शक्ति, कालमहात्म्य । उनके उपाय उसी प्रकार हैं जैसे किसी क्षयरोगी को क्षयरोग के कीटाणु मारने की औषधि न देकर केवल खांसी की औषधि देना ।
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

Leave a Comment