साधना का महत्त्व

‘शारीरिक और मानसिक बल की अपेक्षा आध्यात्मिक बल श्रेष्ठ होते हुए भी हिन्दू साधना करना भूल गए । इसलिए मुट्ठीभर धर्मांध और अंग्रेजों ने कुछ वर्षों में ही संपूर्ण भारत पर राज्य किया ! अब पुनः वैसा न हो; इसलिए हिन्दुओं को साधना करना अत्यंत आवश्यक है ।’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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