श्रीविष्णु के अष्टावतारों में से प्रत्येक अवतार द्वारा किए कार्य की भांति परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा किए जा रहे अवतारी कार्य का साधिका द्वारा किया यथार्थ वर्णन !

कलियुग के अंतकालतक अधिकांश जीवों की देह रोगादि के कारण जर्जर हो जाएगी; उस समय गुरुदेवजी का उदाहरण उनके सामने रखने के लिए श्रीविष्णु ने प्रौढावस्था की लीला की है ।

अहर्निश सेवारत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के सत्संग में श्री. रमेश शिंदे द्वारा अनुभव किया गया उनका प्रेम, सीख एवं द्रष्टापन !

प.पू. डॉक्टरजी का (प्रोस्टेट का) शस्त्रकर्म हुआ था । उस समय चिकित्सालय में भी वे ग्रंथ के लेखन संबंधी कागज पढने हेतु मंगवा लेते थे । वहां पर भी वे समय व्यर्थ नहीं गंवाते थे ।

स्वयं के कृत्य से ही ‘साधक आचरण कैसे करें ?’, इसका आदर्श सभी के समक्ष रखनेवाले प.पू. डॉक्टरजी !

किसी भी प्रकार की अर्थप्राप्ति न होते हुए भी अपना धन भी धर्मकार्य हेतु देकर त्याग करना, किसी भी प्रकार के आडंबर के बिना ‘प्रत्येक बात सादगी से तथा साधना स्वरूप करना, मान-सम्मान की अपेक्षा न रखनेवाले, कर्तापन ईश्‍वर को देकर निष्काम भावना से कार्य करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवले !

जातिभेद का विषैला कलंक पोंछकर साधनारूपी अमृत देनेवाले प.पू. डॉक्टरजी के चरणों में साधक द्वारा व्यक्त की गई कृतज्ञता !

मेरा जन्म पिछडे वर्ग के वीरशैव ढोर कक्कया जाति में हुआ है । इस जाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय जानवरों की चमडी उतारना है ।

प.पू. डॉक्टरजी द्वारा अथक परिश्रम कर की गई ध्वनिचित्रीकरण सेवा और तैयार हुआ संस्था का पहला प्रकाशन प.पू. भक्तराज महाराजजी के गाए हुए भजनों की ऑडियो कैसेट्स !

अब तक मराठी भाषा में ३६, हिन्दी भाषा में ३८० से अधिक, तथा तेलुगु और कन्नड भाषा में हिन्दुआें के त्यौहारों की जानकारी देनेवाली धर्मसत्संगों की दृश्यश्रव्य-चक्रिकाएं बनाई हैं । मराठी, हिन्दी, तेलुगु और कन्नड भाषा के धर्मसत्संगों का १४ चैनलों पर नियमित प्रसारण किया जा रहा है ।

आश्रम के रसोईघर का रूपांतर आदर्श अन्नपूर्णा कक्ष में करते समय परम पूज्य डॉक्टरजी का अथक परिश्रम और सब स्तरों पर सुनियोजन तथा फलोत्पत्ति बढाने हेतु मार्गदर्शन !

प.पू. डॉक्टरजी की अगणित विशेषताआें का संक्षिप्त वर्णन करना हो, तो कहना पडेगा कि वे एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिसके प्रत्येक कार्य, विचार और निर्णय में सत्यं शिवं सुंदरम का संगम है और जो अवतारी देवत्व की अनुभूति देता है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कार्य के प्रेरणास्रोत परमपूज्य भक्तराज महाराज !

प.पू. भक्तराज महाराज ही परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कार्य के प्रेरणास्रोत हैं । इस संदर्भ में शब्दों में कुछ व्यक्त करना अत्यंत कठिन है । प.पू. बाबा का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति प्रेम तथा उनके कार्य को मिले प.पू. बाबा के आशीर्वाद सांसारिक अर्थों में समझ सकें, इसके लिए यहां दे रहे हैं ।

अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिके सम्मोहन-उपचार विशेषज्ञ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

ग्रंथ, लोकप्रिय नियतकालिकों में प्रसिद्ध हुए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी १२३ लेख और विदेश में गौरवान्वित शोध-निबंध उनके चिकित्सा क्षेत्र के सफल कार्यकाल की तथा सम्मोहन-उपचारों में अद्वितीय शोधकार्य के प्रति समर्पण की फलोत्पत्ति है ।

निर्माण-कार्य की सेवा करते समय डॉ. भोसले को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से सीखने के लिए मिले अनमोल सूत्र !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी प्रतिदिन सवेरे ७ बजे निर्माण-कार्य का निरीक्षण करने आते थे ।

प्रीति के अथाह सागर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के विषय में साधक के मन में संग्रहित भावमोति !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी आरंभ में अध्यात्मप्रसार हेतु गोवा आते थे । उस समय गोवा में ५ स्थानों पर सार्वजनिक सभा का नियोजन था ।