सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के 81 वां जन्मोत्सव !

‘सनातन संस्था’के संस्‍थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले का 81 वां जन्‍मोत्‍सव सप्तर्षि की आज्ञा से इस बार ‘ब्रह्मोत्‍सव’ के रूप में मनाया गया है । सनातन संस्था के गोवा, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्यों से आए लगभग 10,000 से भी अधिक साधकों की उपस्थिति में अत्यंत भावभक्तिमय वातावरण में मनाया गया ।

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले के ८० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में संतों की ओर से बधाई !

परात्पर गुरुजी की शिक्षाओं पर चलना, भारत के युवा वर्ग का कर्तव्य है ! – पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी, अध्यक्ष, हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के निमित्त श्रीविष्णु के रूप में हुआ उनका रथोत्सव : ईश्वर की अद्भुत लीला !

‘ईश्वर जब कोई कार्य निर्धारित करते हैं, तो प्रकृति, पंचमहाभूत, देवी-देवता एवं ऋषि-मुनि किस प्रकार उसे साकार रूप देते हैं ?’, यह दैवी नियोजन हम साधकों ने रथोत्सव के माध्यम से अनुभव किया ।

भक्तिमय वातावरण में सपंन्न श्रीविष्णु रूप में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का चैतन्यदायी ‘रथोत्सव’ !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का जन्मोत्सव साधकों के लिए आनंद एवं भक्तिभाव का सुनहरा पर्व ही होता है ! ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी, अर्थात २२ मई २०२२ के मंगल दिन पर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का ८० वां जन्मोत्सव मनाया गया ।

भ्रूमध्य पर दैवी चिन्ह अंकित होने का अध्यात्मशास्त्र !

आध्यात्मिक गुरुओं का कार्य जब ज्ञानशक्ति के बल पर चल रहा होता है, तब उनके सहस्रारचक्र की ओर ईश्वरीय ज्ञान का प्रवाह आता है और वह उनके आज्ञाचक्र के द्वारा वायुमंडल में प्रक्षेपित होता है ।

अखिल मानवजाति पर निरपेक्ष प्रेम (प्रीति) करनेवाले परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘एसएसआरएफ’ के जालस्‍थल पर मृत व्‍यक्‍ति का अंतिमसंस्‍कार करने के संदर्भ में उस पर अग्‍निसंस्‍कार करने के लाभ और दफन करने से होनेवाली हानि के संबंध में जानकारी देनेवाला लेख प्रकाशित किया गया है ।

मातृवत वात्सल्य से साधकों का ध्यान रखनेवाले तथा प्रत्येक क्षण साधकों का ही विचार करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘भक्त भगवान की सेवा नहीं, अपितु भगवान ही भक्तों की सेवा कैसे करते हैं’, परात्पर गुरु डॉक्टरजी के सान्निध्य में रहते हुए पग-पग पर यह बात दिखाई देती है ।

अनुपम प्रीति से सभी को ईश्वरप्राप्ति के लक्ष्य के समान धागे में पिरोनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘सनातन के मार्गदर्शन में साधना करनेवाले अनेक साधकों ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को कभी नहीं देखा है; परंतु ऐसा होते हुए भी वे सभी परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा बताई गई साधना अत्यंत श्रद्धा के साथ कर रहे हैं । बाहर मोहमाया का प्रबल जाल होते हुए भी केवल परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति … Read more

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी की देह तथा उनके उपयोग में अंतर्भूत वस्‍तुओं पर गुलाबी आभा आना

‘परात्‍पर गुरु डॉक्‍टरजी की त्‍वचा, नख एवं केश जिस प्रकार पीले हो रहे हैं, उसके साथ ही उनकी आंखों का अंदरूनी भाग, हाथ-पैर के अंदरूनी भाग, तथा जीभ और होंठ भी गुलाबी हो रहे हैं । यह परात्‍पर गुरु डॉक्‍टरजी में व्‍याप्‍त ईश्‍वर की सर्वव्‍यापक प्रीति के रंग का आविष्‍कार है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रेरणा से स्थापित हुई आध्यात्मिक संस्था निर्माण किए जानेवाले ‘साधक-वृद्धश्रम’ का महत्त्व समझ लें !

वृद्धावस्था की पूर्वतैयारी के रूप में अब से ही अपने मनोलय की आदत डालें और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रेरणा से स्थापित हुई आध्यात्मिक संस्था द्वारा निर्माण किए जा रहे ‘साधक-वृद्धाश्रम’ का महत्त्व समझ लें !