भ्रूमध्य पर दैवी चिन्ह अंकित होने का अध्यात्मशास्त्र !

आध्यात्मिक गुरुओं का कार्य जब ज्ञानशक्ति के बल पर चल रहा होता है, तब उनके सहस्रारचक्र की ओर ईश्वरीय ज्ञान का प्रवाह आता है और वह उनके आज्ञाचक्र के द्वारा वायुमंडल में प्रक्षेपित होता है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के शरीर में विद्यमान निर्गुण तत्त्व के कारण उनके सिरहाने के आवरणपर ॐ अंकित होने का अर्थ ‘ॐ’ कार के माध्यम से सगुणरूप में साकार नादब्रह्म !

८.७.२०१९ को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के नियमित उपयोगवाले सिरहाने के आवरण के २ स्थानोंपर ॐ अंकित हुआ दिखाई दिया ।

परात्पर गुरु डॉक्टरजी का जन्मदिन साधकों द्वारा सृष्टि के अंत तक मनाया जाता रहेगा !

सामान्य मनुष्य का जीवन कुछ काल तक होने से उसका जन्मदिन उसकी मृत्यु तक ही मनाया जाता है । ईश्‍वर के अनादि और अनंत होने से उनके अवतारों का जन्मदिन (उदा. रामनवमी, जन्माष्टमी) भक्तगणों द्वारा सृष्टि के अंत तक मनाया जाएगा ।

प.पू. डॉक्टरजी का शिष्यरूप

उच्च विद्याविभूषित प.पू. डॉक्टरजी ने उनके गुरू की , परात्पर गुरु प.पू. भक्तराज महाराजजी की तन-मन-धन अर्पण कर परिपूर्ण सेवा की ।

गुरु के विविध प्रकारानुसार परम पूज्य डॉक्टरजी में दिखे विविध रूप !

प.पू. डॉक्टरजी द्वारा लिखित गुरुकृपायोगानुसार साधना, इस ग्रंथ में गुरु के विविध प्रकार प्रतिपादित किए हैं । भाव रखकर पढनेका प्रयत्न करने पर ध्यान में आता है कि, ग्रंथ में वर्णित गुरु के सर्व रूप प.पू. डॉक्टरजी में समाहित हैं । आगे दिए अनुसार यह विषय शब्दबद्ध करने का प्रयत्न इस लेख में किया है ।

श्रीविष्णु के अष्टावतारों में से प्रत्येक अवतार द्वारा किए कार्य की भांति परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा किए जा रहे अवतारी कार्य का साधिका द्वारा किया यथार्थ वर्णन !

कलियुग के अंतकालतक अधिकांश जीवों की देह रोगादि के कारण जर्जर हो जाएगी; उस समय गुरुदेवजी का उदाहरण उनके सामने रखने के लिए श्रीविष्णु ने प्रौढावस्था की लीला की है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के देह से बचपन में प्रक्षेपित होनेवाली चैतन्य की अनुभूति

पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, इस उक्ति के अनुसार अवतारी देह में से बचपन से ही चैतन्य का प्रक्षेपण हो रहा है ।