प.पू. भक्तराज महाराज की छायाचित्रात्मक स्मृतियां (भाग १) !

प.पू. भक्तराज महाराज के मध्यप्रदेश स्थित मोरटक्का एवं इंदौर के आश्रमों में जहां उनका वास्तव्य था, उस चैतन्यमयी वास्तु का छायाचित्रात्मक दर्शन लेंगे ।

प.पू. भक्तराज महाराजजी की छायाचित्रात्मक स्मृतियां (भाग २) !

प.पू. भक्तराज महाराज सनातन के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के गुरु थे । उन्हीं के कृपाशीर्वाद से सनातन की स्थापना हुई । सनातन को प.पू. बाबा के उत्तराधिकारी प.पू. रामानंद महाराज का भी कृपाछत्र मिला । उनके आशीर्वाद से वर्ष १९९१ में स्थापित हुए सनातन के कार्य का विस्तार किसी ‍विशाल वटवृक्ष समान हो गया है । सनातन परिवार प.पू. बाबा के श्रीचरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञ है !

भक्तोंपर अखंड कृपाछत्र रखनेवाले प.पू. भक्तराज महाराज !

  १. त्रैलोक्य के योगीराज अवतरित हुए धरतीपर । प.पू. भक्‍तराज महाराजजी का मूल नाम श्री. दिनकर सखाराम कसरेकर था । गुरुप्राप्‍ति के उपरांत श्रीगुरु ने अर्थात प.पू. श्री अनंतानंद साईशजी ने उनकी भक्‍ति देखकर उनका नामकरण ‘भक्‍तराज’ किया । ९ फरवरी १९५६ को रात दस बजे दिनकर को (प.पू. भक्‍तराज महाराजजी को) श्रीगुरु के … Read more

भजन, भंडारों और नामस्मरण के माध्यम से अध्यात्म सिखानेवाले संत भक्तराज महाराज !

७.७.२०१९ से संत भक्तराज महाराज ने १००वें वर्ष में पदार्पण किया है । (यह दिन संत भक्तराज महाराज का १००वां जन्मदिवस) उन्हींकी कृपा से प्रेरणा लेकर उनके सभी भक्तों ने सर्वसम्मति से इस वर्ष को उनके शताब्दी वर्ष में मनाने का सुनिश्‍चित किया है ।

संंत भक्तराज महाराज के इंदौर, मोरटक्का और कांदळी आश्रमों में स्थित छायाचित्रजन्य स्मृतियां !

शिष्य के जीवन के अज्ञानरूपी अंधकार को अपने ज्ञानरूपी तेज से नष्ट करनेवाले श्रीगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है गुरुपूर्णिमा !