परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अपने एक  हाथ की उंगलियां पानी में डुबोने पर उसमें विविध रंगों की निर्मिति होना एवं उसके आध्यात्मिक विश्लेषण !

हाथ की कनिष्ठा से अंगूठे तक की सभी उंगलियों में पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश, यह पंचतत्त्व होते हैं । पानी में उंगली डुबोनेवाले व्यक्ति के आध्यात्मिक स्तर अनुसार विविध रंग दिखाई देते हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों के एवं हाथों की उंगलियों के नखों में हुआ परिवर्तन एवं उसके पीछे का अध्यात्मशास्त्र !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों के एवं हाथों की उंगलियों के नखों पर खडी रेखाएं एवं नख के मूल से ऊपर जानेवाली गुलाबी रंग की अर्धवर्तुलाकार २ – ३ वलयों का स्पर्श खुरदरा लगना एवं इन रेखाओं का उठावदारपना बढने के पीछे अध्यात्मशास्त्र !

ॐ का नामजप एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ॐ का महत्त्व !

ॐ मंत्र के विषय में अनेक सिद्धांत प्रस्तुत किए गए हैं । ॐ एक वैश्विक ध्वनि (कॉस्मिक साउंड) होने से उससे विश्व की निर्मिति हुई है, यह उसमें से सर्वाधिक प्रचलित सिद्धांत है; परंतु भारतीय (हिन्दू) संस्कृति में ॐ का नियमित जप करने के पीछे केवल वही एकमेव कारण नहीं,

पशु-पक्षियों का सहजता से सद्गुरु की ओर आकर्षित होना, उनमें विद्यमान चैतन्य का द्योतक !

हम सभी ने कहीं न कहीं पढा ही होगा कि पूर्व के काल में ऋषि-मुनियों के आश्रम में पशु-पक्षी निर्भयता से विचरते थे । ऋषि-मुनियों की तपस्या की सात्त्विकता पशु-पक्षियों को भी ध्यान में आती है । प्रकृति भी उस सात्त्विकता को प्रतिसाद देती है, इसीलिए ऋषि-मुनियों के आश्रम में भी बहार आ जाती थी ।

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के 81 वां जन्मोत्सव !

‘सनातन संस्था’के संस्‍थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले का 81 वां जन्‍मोत्‍सव सप्तर्षि की आज्ञा से इस बार ‘ब्रह्मोत्‍सव’ के रूप में मनाया गया है । सनातन संस्था के गोवा, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्यों से आए लगभग 10,000 से भी अधिक साधकों की उपस्थिति में अत्यंत भावभक्तिमय वातावरण में मनाया गया ।

ऋषि-मुनियों के आश्रम में विचरनेवाले पशु-पक्षियों का स्मरण करवानेवाले सनातन के आश्रम, संत एवं साधक की ओर आकृष्ट होनेवाले पक्षी !

प्राणी एवं पक्षी प्राकृतिक रूप से दुर्बल होने के कारण अन्य प्राणियों से बचने के लिए वे सुरक्षा के विविध मार्ग अपनाते हैं; परंतु साधकों अथवा संतों के संदर्भ में उन्हें निश्चिति होती है कि वे उनके पास सुरक्षित हैं । इसलिए पक्षी साधकों की ओर आकृष्ट होते हैं और निश्चिंत होेकर दीर्घकाल तक उनके साथ रहते हैं ।

श्री हनुमानचालीसा का पठन, श्रीहनुमान का तारक एवं मारक नामजप आध्यात्मिकदृष्टि से लाभदायी होना; परंतु स्तोत्रपठन की तुलना में नामजप का परिणाम अधिक होना

श्री हनुमानचालीसा का पठन करना एवं हनुमानजी का नामजप करना, इसका उसे करनेवालों पर क्या परिणाम होता है ?’, इसका विज्ञानद्वारा अभ्यास करने के लिए रामनाथी, गोवा के सनातन के आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’की ओर से परीक्षण किया गया ।

श्रीरामरक्षास्तोत्र पठन की तुलना में श्रीराम के नामजप का परिणाम अधिक होना

अपने यहां घर-घर में संध्या के समय भगवान के सामने दीप जलाने के उपरांत ‘शुभं करोति’ सहित श्रीरामरक्षास्तोत्र एवं श्री मारुतिस्तोत्र कहते हैं ।

वाराणसी आश्रम में बुद्धिअगम्य परिवर्तन

वाराणसी आश्रम में बढा हुआ चैतन्य दर्शानेवाले बुद्धीअगम्य परिवर्तनों के विषय में यहां देखेंगे !-सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ

सनातन की साधिका स्व. (श्रीमती) प्रमिला रामदास केसरकरजी ने प्राप्त किया सनातन का १२१ वां संतपद एवं स्व. (श्रीमती) शालिनी प्रकाश मराठेजी ने १२२ वां संतपद !

‘मूल ठाणे के दंपति अधिवक्ता रामदास केसरकर एवं श्रीमती प्रमिला केसरकर २७ वर्ष पूर्व सनातन संस्था के संपर्क में आए और उन्होंने साधना आरंभ की । वर्ष २००८ में वे दोनों रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में साधना के लिए आए ।