सनातन-निर्मित सात्त्विक श्री गणेश मूर्ति

श्री गणपतिके हाथकी लंबाई, मोटाई, आकार अथवा मुकुटकी कलाकृतियोंमें थोडा भी परिवर्तन करनेपर पूरे स्पंदन परिवर्तित हो जाते हैं ।

थाईलैंड का प्राचीन नगर – अयुद्धया

प्राचीन काल में जिसे श्याम देश कहा जाता था, वह भूभाग है, आज का थाईलैंड देश ! इस भूभागपर अभीतक अनेक हिन्दू तथा बौद्ध राजाआें ने राज्य किया । यहां की संस्कृति हिन्दू धर्मपर आधारित थी; परंतु कालांतर से बौद्धों के सांस्कृतिक आक्रमण के कारण इस स्थानपर बौद्ध धर्म प्रचालित हुआ ।

कंबोडिया के सीम रीप नगर में स्थित एशिया पारंपरिक वस्रों का संग्रहालय !

महाभारत में जिस भूभाग का उल्लेख कंभोज देश किया गया है, वह भूभाग है आज का कंबोडिया देश ! यहां १५वीं शताब्दीतक हिन्दू रहते थे । वर्ष ८०२ से लेकर १४२१ की अवधि में वहां खमेर नामक हिन्दू साम्राज्य था, साथ ही कंभोज देश एक नागलोक भी था ।

कंबोडिया के ‘नोम देई’ गांव में भगवान शिव का ‘बंते सराई’ मंदिर !

‘महाभारत में जिस भूभाग को ‘कंभोज देश’ संबोधित किया गया है, वह भूभाग आज का कंबोडिया देश ! यहां १५ वें शतक तक हिन्दू रहते थे । ऐसा कहा जाता है की ‘ईसवी सन ८०२ से १४२१ तक वहां ‘खमेर’ नाम का हिन्दू साम्राज्य था’ ।

कंबोडिया में समराई नामक समुदाय के लिए निर्मित भगवान शिवजी का बंते समराई मंदिर !

हिन्दू साम्राज्य खमेर के समय समराई नामक एक समुदाय था । यह समुदाय परिश्रम के काम करता था । इस समुदाय के लोग मंदिर, राजमहल, नगर की विविध वास्तूएं, सेतू आदि के निर्माण के लिए आवश्यक पत्थरों को महेंद्र पर्वत की तलहटी के पास जाकर लाते थे ।

गंगा नदी का माहात्म्य

मृत्यु के उपरांत सद्गति मिले; इस हेतु मृत्यु के समय व्यक्ति के मुख में गंगाजल डालते हैं एवं उस समय ऐसा करना संभव न होे; तो मृत्यु के उपरांत व्यक्ति के मुख में गंगाजल डालते हैं । ऐसा करना संभव हो, इस हेतु घर-घर में गंगाजल रखा जाता है ।

१२ वें शतक के अंत में जयवर्मन राजा (सांतवे) द्वारा मां के लिए निर्मित ता-फ्रोम् मंदिर !

बापून मंदिर में जाने के पश्चात हम थाम मंदिर के परिसर के पूर्व की ओर जगप्रसिद्ध ता-फ्रोम् मंदिर गए । ऐसा कहा जाता है कि १२ वें शतक के अंत में जयवर्मन राजा (सांतवे) ने अपनी मां के लिए इस मंदिर का निर्माण किया होगा । वैसे तो यह मंदिर बौद्ध राजविहार है ।

ब्रह्मांड में गंगा नदी की उत्पत्ति एवं भूलोक में उनका अवतरण

पुण्यसलिला गंगा की महिमा अपरंपार है ! भौगोलिक दृष्टि से गंगा नदी भारतवर्ष की हृदयरेखा है ! इतिहास की दृष्टि से प्राचीन काल से अर्वाचीनकाल तक तथा गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा की कथा हिंदू सभ्यता एवं संस्कृति की अमृतगाथा है ।

कंबोडिया के ‘अंकोर थाम’ परिसर में बौद्ध और हिन्दू धर्म के प्रतीक स्वरूप निर्मित ‘बॅयान मंदिर’ !

‘महाभारत में जिस भूभाग को ‘कंभोज देश’ संबोधित किया गया है, वह भूभाग आज का कंबोडिया देश ! यहां १५ वें शतक तक हिन्दू रहते थे । ऐसा कहा जाता है की ‘ईसवी सन ८०२ से १४२१ तक वहां ‘खमेर’ नाम का हिन्दू साम्राज्य था’ ।

धर्माचरण का महत्त्व

इस लेख से हम धर्माचरण का असाधारण महत्त्व समझने का प्रयत्न करेंगे । इसी प्रकार, धर्माचरण नहीं करने पर क्या होता है, धर्माचरण किन बातों पर आधारित है तथा खरा धर्माचरण क्या है, यह भी जानने का प्रयत्न करेंगे ।