श्री गणेशोपासना एवं उससे संबंधित महत्वपूर्ण सूत्र

श्री गणेशजीकी उपासनामें नामजप जैसे विविध कृत्योंका अंतर्भाव होता है । पूजनमें दूर्वा, शमी एवं मदार की पत्तियां, लाल एवं सिंदूरी रंगकी वस्तुएं; उपयोगमें लाए जाते हैं ।

श्रीकृष्णतत्वसे संबंधित रंगोलीकी विशेषताएं एवं पूजाविधिमें अंतर्भूत कृत्योंका शास्त्राधार

त्यौहारके दिन वातावरणमें त्यौहारसे संबंधित विशिष्ट देवताका तत्त्व कार्यरत रहता है । विशिष्ट देवता तत्त्वको आकृष्ट करने हेतु विशिष्ट प्रकारकी रंगोली बनानेसे लाभ होता है ।

भगवान श्रीकृष्ण

१. व्युत्पत्ति एवं अर्थ अ. ‘(आ)कर्षणम् करोति इति ।’, अर्थात आकर्षित करनेवाला । ‘कर्षति आकर्षति इति कृष्णः ।’ अर्थात, जो खींचता है, आकर्षित कर लेता है, वह श्रीकृष्ण । आ. लौकिक अर्थसे श्रीकृष्ण अर्थात काला । कृष्णविवर (Blackhole) में प्रकाश है, इसका शोध आधुनिक विज्ञानने अब किया है ! कृष्णविवर ग्रह, तारे इत्यादि सबको अपनेमें खींचकर नष्ट कर … Read more

आरोग्यदाता भगवान श्रीधन्वंतरीदेवता जयंती

हमारे सबसे मंगलमय तथा संपूर्ण भारतवर्षमें बडे हर्षोल्लासके साथ मनाया जानेवाला त्यौहार है, ‘दीपावली’ । इस मंगलपर्वका एक विशेषदिन जो शंख, चक्र, अमृत-कलश एवं औषधि लेकर कमलपर आसनस्थ श्रीधन्वंतरीदेवताके पृथ्वीपर अवतरणके उपलक्ष्यमें मनाया जाता है ।

श्रीरामजीके उपासनाकी सामान्य कृतियां एवं उपासनाके विविध प्रकार

देवताके तत्त्वका निरंतर लाभ मिलता रहे, इस हेतु उनकी उपासना भी निरंतर होनी चाहिए और ऐसी एकमात्र उपासना है नामजप । कलियुगके लिए नामजप ही सरल एवं सर्वोत्तम उपासना है ।

दत्तात्रेय के नामजपद्वारा पूर्वजों के कष्टोंसे रक्षण कैसे होता है ?

कलियुगमें अधिकांश लोग साधना नहीं करते, अत: वे मायामें फंसे रहते हैं । इसलिए मृत्युके उपरांत ऐसे लोगोंकी लिंगदेह अतृप्त रहती है । ऐसी अतृप्त लिंगदेह मर्त्यलोक (मृत्युलोक)में फंस जाती है । मृत्युलोकमें फंसे पूर्वजोंको दत्तात्रेयके नामजपसे गति मिलती है