गंगा नदी, भारतवर्ष की पवित्रता का सर्वश्रेष्ठ केंद्रबिंदु !
‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगा के तट पर विकसित हुई, इसलिए गंगा भारतीय संस्कृति का मूलाधार है ।
‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगा के तट पर विकसित हुई, इसलिए गंगा भारतीय संस्कृति का मूलाधार है ।
लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा जी में स्नान कर डुबकी लगाते हैं । डुबकी लगाने से हमारे पाप धुल जाऐंगे ऐसे विचार से डुबकी लगाते हैं । हमारी गंगा मैया में आस्था रहती है, और हमारी श्रद्धा के अनुसार हमें उसका पुण्य भी मिलता है ।
मृत्यु के उपरांत सद्गति मिले; इस हेतु मृत्यु के समय व्यक्ति के मुख में गंगाजल डालते हैं एवं उस समय ऐसा करना संभव न होे; तो मृत्यु के उपरांत व्यक्ति के मुख में गंगाजल डालते हैं । ऐसा करना संभव हो, इस हेतु घर-घर में गंगाजल रखा जाता है ।
पुण्यसलिला गंगा की महिमा अपरंपार है ! भौगोलिक दृष्टि से गंगा नदी भारतवर्ष की हृदयरेखा है ! इतिहास की दृष्टि से प्राचीन काल से अर्वाचीनकाल तक तथा गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा की कथा हिंदू सभ्यता एवं संस्कृति की अमृतगाथा है ।
गंगा केवल नदी नहीं, श्रेष्ठतम तीर्थदेवी भी है । इसलिए, यह भारतवासियों के लिए प्राणों से अधिक प्रिय है । भक्तों के पाप धोने का कार्य ईश्वर ने इसे सौंपा है । गंगा व्यक्ति को स्नान से, तो नर्मदा केवल दर्शन से शुद्ध करती है ।
धर्म-शास्त्रानुसार गंगाकी पवित्रता बनी रहेगी, ऐसा ही प्रत्येकका आचरण होना चाहिए । गंगाकी पवित्रताकी रक्षाके लिए प्रयत्न करना, एक प्रकारका धर्मपालन ही है ।