गुजरात के सारंगपुर के कष्टभंजन मंदिर, वेरावल का भालका तीर्थ एवं सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग के करें दर्शन !

गुजरात के स्वामीनारायण संप्रदाय के गुरु स्वामी गोपालानंद सारंगपुर जब गांव में आए थे, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि उस क्षेत्र में अनेक वर्षों से वर्षा होने से यह क्षेत्र वीरान हो गया है । तब उन्होंने हनुमानजी से प्रार्थना की और उनकी प्रेरणा से वहां हनुमानजी की स्थापना की । हनुमानजी के कारण संकट दूर होने से उस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर नाम पडा ।

श्रीकृष्णजी का क्षेत्र गुजरात के प्राचीन गणपति मंदिर की विशेषता एवं महत्त्व !

१९.३.२०१९ को पू. (डॉ.) उलगनाथन्जी ने बताया, ‘‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में उत्पन्न बाधाएं दूर होने हेतु सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी गुजरात राज्य की राजधानी के पास जो गणेशजी का प्राचीन मंदिर है, उस मंदिर में जाकर वहां बैठकर ५ मिनटतक नामजप करें तथा इस मंदिर की जानकारी लें ।’’

प्रभु श्रीरामजी से संबंधित श्रीलंका एवं भारत के विविध स्थानों का भावपूर्ण दर्शन करते हैं !

रामायण का काल अर्थात लाखों वर्ष प्राचीन है । उससे हिन्दू संस्कृति की महानता और प्राचीनता की प्रचीती होती है ।

अखिल भारतवर्ष के कुंभपर्व का धार्मिक महत्त्व !

कुंभपर्व अत्यंत पुण्यकारी होने के कारण इस पर्व में प्रयाग, हरद्वार (हरिद्वार), उज्जैन एवं त्र्यंबकेश्‍वर-नासिक में स्नान करने से अनंत पुण्यलाभ मिलता है । इसीलिए करोडों श्रद्धालु और साधु-संत यहां एकत्रित होते हैं ।

ब्रह्मा, विष्णु एवं शिवजी का रूप है प्रयागराज का लाखों वर्ष प्राचीन परमपवित्र अक्षयवट !

अमेरिका अथवा अन्य किसी देश में कोई प्राचीन वस्तु मिलनेपर उसका विश्व में ढिंढोरा पीटा जाता है; किंतु अतिप्राचीन अक्षयवट की महिमा संपूर्ण विश्व को गर्व प्रतीत होनेयोग्य होते हुए भी भारत के तत्कालीन कांगेस सरकार ने उसे दर्शन हेतु नहीं खोला ।

इंडोनेशिया के जावा द्वीपपर प्रंबनन मंदिर में रामायण नृत्यनाटिका !

भारत से दूर इंडोनेशिया में वहां के लोगों ने अभी तक रामायण नृत्यनाटिका के माध्यम से राम के आदर्शों को संजोया है । रामायण वास्तव में घटित हुए अनेक युग बीत गए; परंतु विश्‍व में अनेक स्थानों पर अलग-अलग रूप में रामायण की कथा बताई जाती है ।

श्रीलंका का नगर नुवारा एलिया में राम-रावण युद्ध का साक्षी रामबोडा तथा रावणबोडा पर्वत तथा एक संत द्वारा स्थापित गायत्रीपीठ आश्रम !

रामायण में जिस भूभाग को लंका अथवा लंकापुरी कहा गया है, वह स्थान है आज का श्रीलंका देश ! त्रेतायुग में श्रीमहाविष्णुजी ने श्रीरामावतार धारण किया तथा लंकापुरी जाकर रावणादि असुरों का नाश किया । वाल्मिकी रामायण में महर्षि वाल्मिकी ने जो लिखा, उसीके अनुरूप घटनाएं घटने के अनेक प्रमाण श्रीलंका में मिलते हैं ।

विश्‍व का सबसे बडा धार्मिक मेला : कुम्भ मेला

कुम्भ मेला एक प्रकार का धार्मिक मेला है । करोडों हिन्दुओं के जनसमूह की उपस्थिति में संपन्न होनेवाला कुम्भ क्षेत्र का मेला विश्व का सबसे बडा धार्मिक मेला है । कुम्भ मेले में सभी पंथों तथा संप्रदायों के साधु-संत, सत्पुरुष तथा सिद्धपुरुष लाखों की संख्या में एकत्र आते हैं ।

कुंभमेले में विद्यमान कुछ परंपराएं तथा उनका इतिहास !

कुंभपर्व के समय आयोजित धार्मिक सम्मेलन में शस्त्र धारण करने के विषय में निर्णय होकर एकत्रित होने के अखंड आवाहन किया गया ।

श्रीदत्त के चित्र में विद्यमान त्रिदेवों की कांति भिन्न होने तथा एक जैसी होने में अंतर का आध्यात्मिक कारण !

वर्ष २०१९ के सनातन पंचांग के दिसंबर मास के पृष्ठपर श्रीदत्त का नया चित्र प्रकाशित हुआ है । इस चित्र में श्रीदत्त के संपूर्ण शरीर की कांति तथा श्रीदत्त के तीनों मुखों की कांति सुनहरी रंग की दिखाई गई है ।