संंत भक्तराज महाराज के इंदौर, मोरटक्का और कांदळी आश्रमों में स्थित छायाचित्रजन्य स्मृतियां !

शिष्य के जीवन के अज्ञानरूपी अंधकार को अपने ज्ञानरूपी तेज से नष्ट करनेवाले श्रीगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है गुरुपूर्णिमा !

रामायण एवं श्रीमद्भगवद्गीता इन ग्रंथों की आध्यात्मिक विशेषताएं !

श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक ग्रंथ नहीं है, अपितु वह श्रेष्ठतम धर्मग्रंथ एवं ज्ञान का अनमोल भण्डार है । श्रीकृष्णजी द्वारा अर्जुन को द्वापरयुग में बताई गई श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान कलियुग के मनुष्य के लिए भी अचूकता से लागू होता है ।

शनैश्चर देवता का माहात्म्य !

महाराष्ट्र के शनिशिंगणापुर में शनिदेव काली बडी शिला के रूप में है और वहां शनिदेव की शक्ति कार्यरत है । इसलिए शनिशिंगणापुर शनि का कार्यक्षेत्र है ।

समर्थ रामदास स्वामी

माघ कृष्ण पक्ष नवमी को ‘रामदासनवमी’ पडती है ! रामदासस्वामी ने अपने जीवनकाल में अनेक अवसरों पर उपदेश किया था । वे केवल उपदेश नहीं करते थे, जीवों का उद्धार भी करते थे । रामदासनवमी के उपलक्ष्य में ऐसी ही एक घटना के विषय में आज हम जाननेवाले हैं ।

भारतियों का अत्यंत प्रगत प्राचीन जलव्यवस्थापन तथा पाश्चात्त्यों के अंधानुकरण के कारण निर्माण हुआ जल का दुर्भिक्ष्य !

‘जल का महत्त्व, उसका शोध तथा उसका नियोजन, इसका संपूर्ण विकसित तंत्रज्ञान हमारे देश में था । कुछ सहस्त्र वर्ष पूर्व हम वह प्रभावी पद्धति से उपयोग कर रहे थे तथा उसके कारण हमारा देश वास्तव में ‘सुजलाम् सुफलाम्’…

दुष्प्रवृत्तियों का सामना कैसे करें ?

सरकारी काम और ६ मास की प्रतीक्षा, इसकी प्रचीती प्रत्येक नागरिक को कभी ना कभी होती ही है । पैसे खाने की वृत्ति के कारण आज प्रशासनिक पद्धति आज सुचारू तथा सहज नहीं रही है । इसमें पीसा जाता है, केवल सामान्य नागरिक ! इसी सामान्य नागरिक को अब इन दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध आवाज उठानी होगी !

पंढरपुर के देवता श्री विठ्ठल

१. व्युत्पत्ति एवं अर्थ अ. व्युत्पत्ति डॉ. रा.गो. भांडारकर कहते हैं कि ‘विष्णु’ शब्द का कन्नड अपभ्रंशित रूप ‘बिट्टि’ होता है तथा इस अपभ्रंश से ‘विठ्ठल’ शब्द बन गया । आ. अर्थ १. ईंट  ठल (स्थल) = विठ्ठल अर्थ : जो ईंटपर खडा होता है, वह विठ्ठल है । २. h 5 > अर्थ : जो अज्ञानी … Read more

श्रीविष्णुजी के दिव्य शरीरपर विद्यमान ‘श्रीवत्स’ चिन्ह

‘महर्षि व्यासजी ने श्रीमद्भागवत में लिखा है, ‘‘वैकुंठ में सभी लेग श्रीविष्णुजी की भांति दिखते हैं । केवल एक ही बात ऐसी है कि केवल श्रीविष्णुजी के शरीरपर ही ‘श्रीवत्स’ चिन्ह है ।

‘सत्यनारायण’ कथा का उद्गम स्थान तथा तीर्थस्थान‘नैमिषारण्य’ की महिमा !

उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) से ९० कि.मी. की दूरीपर सीतापुर जनपद में नैमिषारण्य स्थित है । वह गंगा नदी के गंगानदी की उपनदी गोमती नदी के बाएं तटपर स्थित है ।

मलेशिया के ३ सिद्धों के जीवसमाधीस्थलों के दर्शन

मलेशिया का नाम पहले मलक्का था । उस समय में वहां का सुल्तान राजा परमेश्‍वरा अपनी नई राजधानी की खोज करते-करते मलक्का गांव के पास आया ।