ग्रहणकाल में विद्यमान संधिकाल की गुरुपूर्णिमा के दिन गुरुपूजन के कार्यक्रम में उपस्थित होने से कष्ट न होकर लाभ ही होगा !

इस वर्ष गुरुपूर्णिमा के दिन अर्थात १६.७.२०१९ को आंशिक चंद्रग्रहण है । ग्रहणकाल में गुरुपूजन के कार्यक्रम में उपस्थित होने से कष्ट न होकर लाभ ही होगा ।

भारत में दिखाई देनेवाला आंशिक चंद्रग्रहण, उस अवधि में पालन करने आवश्यक नियम तथा मिलनेवाला फल !

‘भारत में १६.७.२०१९ (आषाढ पूर्णिमा) और १७.७.२०१९ ये दोनों दिनों को आंशिक चंद्रगहण है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के सिर के बालों के आकार में बदलाव आने का विश्‍लेषण !

संतों के चरणों से चैतन्य का सर्वाधिक प्रक्षेपण होता है । उसी प्रकार से अवतारी कार्य करनेवाले परात्पर गुरुदेवजी के सिर के बालों के मूल से समष्टि हेतु आवश्यक चैतन्य प्रक्षेपण होता है ।

सनातन संस्था की ओर से फरीदाबाद में प्रवचन का आयोजन

फरीदाबाद (हरियाणा) यहां की सैनिक कालोनी में अक्षय तृतीया के अवसर पर सनातन प्रभात की पाठक श्रीमती मंजू धीमान के घर पर सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया था ।

कलियुग में विशेषतापूर्ण तथा साधकों से सभी अंगों से बनानेवाली सनातन संस्था की एकमात्रद्वितीय गुरु-शिष्य परंपरा !

सनातन संस्था में ‘गुरु की ओर तत्त्व के रूप में देखें’ की शिक्षा दी जाती है । अतः साधक उसे मार्गदर्शन करनेवाले संतों की ओर अथवा अन्य सहसाधकों की ओर तत्त्व के रूप में देखता है

गुरुपूर्णिमा के दिन अन्य दिनों की अपेक्षा एक सहस्र गुना अधिक कार्यरत गुरुतत्त्व का लाभ उठाएं !

सनातन संस्था ने आवाहन किया है कि गुरुपूर्णिमा महोत्सव में सम्मिलित होकर गुरुपूर्णिमा के दिन अन्य दिनों की अपेक्षा एक सहस्र गुना अधिक कार्यरत गुरुतत्त्व का लाभ उठाने के लिए सर्व राष्ट्र और धर्म प्रेमी हिन्दू सपरिवार उपस्थित रहें । 

भारतीय संस्कृति के गहन अभ्यासी, वरिष्ठ शोधकर्ता तथा ज्ञानमार्ग के अनुसार साधना करनेवाले ठाणे के डॉ. शिवकुमार ओझा (आयु ८५ वर्ष) संतपदपर विराजमान !

भारतीय संस्कृति के गहन अभ्यासी, वरिष्ठ शोधकर्ता तथा ज्ञानमार्ग से साधना कर भारतीय संस्कृति के उत्थान हेतु समर्पित भाव से अलौकिक कार्य करनेवाले ठाणे के डॉ. शिवकुमार ओझा (आयु ८५ वर्ष) ७१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर संतपदपर विराजमान हुए ।

पोला (बैलोंका त्यौहार – बेंदुर अथवा बेंडर)

किसान-समाजमें इस उत्सवका अत्यधिक महत्त्व है । बुआई हो जानेपर खेतीके कामोंसे बैल खाली हो जाते हैं, तब उन्हें रगडकर नहलाया जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है एवं नैवेद्य दिखानेके पश्‍चात दोपहरमें उन्हें रंगकर एवं सजाकर गांवमें जुलूस निकाला जाता है ।

ज्योतिष के बारे में सामान्य प्रश्न

पुराने और नई जन्मतिथि के अनुसार संपूर्ण भविष्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं आता । तिथि के बदलने से केवल तिथि का फल बदलता है ।

१०० प्रतिशत अचूक भविष्य के लिए स्त्री बीज फलित होने का समय ज्ञात होना आवश्यक !

सामान्यरूप से आजकल जन्मकुंडली के आधारपर ज्योतिषी जो बताते हैं, उसमें का केवल ३० से ३५ प्रतिशत भविष्यवाणी अचूक होती है ।