भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करनेवली कश्मीर की श्री खीर भवानीदेवी !

श्रीनगर से ३० कि.मी. की दूरीपर स्थित तुल्लमुल्ल का सुप्रसिद्ध श्री खीर भवानीदेवी का मंदिर ! कश्मीर के गंदेरबल जनपद में स्थित यह मंदिर हिन्दुओं के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान है । यह मंदिर श्री राग्न्यादेवी से संबंधित है । ज्येष्ठ मास की, साथ ही प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी की तिथियों को इस मंदिर में बडी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं । वर्ष १९१२ में महाराजा प्रताप सिंह ने इस मंदिर का निर्माण किया था । उनके पश्‍चात महाराजा हरि सिंह ने इस मंदिर का रखरखाव एवं सुशोभिकरण किया । आज इस मंदिर के अधिकार जम्मू-कश्मीर श्राईन बोर्ड के पास हैं । मंदिर के मुख्य प्रवेशद्वारपर पुलिसकर्मियों का निरंतर पहरा होता है ।

श्री राग्न्यादेवी का मंदिर

 

पौराणिक संदर्भ

पुराण के अनुसार रावण माता राग्न्यादेवी का पूजन करता था । उससे उसे देवी का निरंतर आशीर्वाद प्राप्त था । देवी राग्न्या पहले लंका में रहती थी; किंतु रावण के बुरे कर्मों के कारण देवी ने रावण को शाप दिया और हनुमानजी को स्वयं को सतीसार (कश्मीर) ले जाने की आज्ञा की । बाहरी विश्‍व से दूर बर्फ से ढंके पर्वतमालाओं में यह स्थान था । हनुमानजी देवी को उनके वाहन और ३६० नागों के साथ यहां ले आए ।

मंदिर परिसर में स्थित चिनार वृक्ष

 

मंदिर की रचना

श्री खीर भवानीदेवी का मंदिर चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है । मंदिर परिसर में चिनार वृक्ष के बडे-बडे वृक्ष हैं । इस मंदिर के इर्द-गिर्द पानी का अष्टकोणाकृती सरोवर है । उससे अंदर जानेपर एक चतुष्कोनीय आकार का सरोवर है । मंदिर के गर्भगृह में देवी की मूर्ति की स्थापना की गई है ।

र्देवी को शुद्ध खीर बहुत पसंद है । उसके कारण देवी का पूजन महाराग्न्या नाम से ही किया जाता है । देवी के निजस्थानपर एक रहस्यमयी स्थान है । ऐसा कहा जाता है कि इस रहस्यमयी स्थानपर सहस्रों की संख्या में नागदेवता एवं अष्टकुल देवता रहते हैं । श्री गणपति, भीम राज एवं कुमार ये सभी अमृतकुण्ड के द्वार के पास रहते हैं । अमृतकुण्ड के मध्यभाग की पूर्वदिशा में अष्टनाग देवता अर्थात वासुकी नाग, नील नागराज, पद्मनागराज आदि रहते हैं । अमृतकुण्ड के मध्य में अनंत नागराज रहते हैं । उनकी २ सहस्र आंखें एवं २ सहस्र जीभोंवाले सहस्रों नागों द्वारा घेरा हुआ है । देवी राग्न्या अनंत नागराजपर १ सहस्र पंखुडियोंवाले गुलाब पुष्पर विराजमान हैं ।

अमृतकुण्ड में स्थित देवी का स्थान

 

भविष्य की शुभाशुभ घटनाओं के संकेत देनेवाला अष्टकोणीय सरोवर का पानी !

इस कुण्ड में स्थित चमकनेवाला पानी भविष्यकालीन गतिविधियों की जानकारी देता है । गुलाबी, दूधिया एवं फिके हरे रंग का पानी शुभसंकेत देता है; तो काला एवं घने लाल रंग का पानी अशुभ घटनाओं की ओर संकेत करता है । जलरूप में निवासित यह देवी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करनेवाली हैं । देवी राग्न्या जलरूपी तुल्लमुल्ल नागपर विराजमान हैं ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment