भगवान श्रीकृष्ण

१. व्युत्पत्ति एवं अर्थ

अ. ‘(आ)कर्षणम् करोति इति ।’, अर्थात आकर्षित करनेवाला । ‘कर्षति आकर्षति इति कृष्णः ।’ अर्थात, जो खींचता है, आकर्षित कर लेता है, वह श्रीकृष्ण ।

आ. लौकिक अर्थसे श्रीकृष्ण अर्थात काला । कृष्णविवर (Blackhole) में प्रकाश है, इसका शोध आधुनिक विज्ञानने अब किया है ! कृष्णविवर ग्रह, तारे इत्यादि सबको अपनेमें खींचकर नष्ट कर देता है । उसी प्रकार श्रीकृष्ण सबको अपनी ओर आकर्षित कर सबके मन, बुाqद्ध एवं अहंका नाश करते हैं ।

 

२. अन्य नाम

२ अ. वासुदेव

१. वसुदेवका पुत्र, इस अर्थसे भी श्रीकृष्णको वासुदेव कहते हैं ।

२. वासु ± देव · वासुदेव । वासः अर्थात स्थिति अथवा स्थितिस्थापनकी क्षमता । उत्पत्ति, स्थिति एवं लय, इनमेंसे स्थिति संबंधित देवता वासुदेव हैं ।

३. जीवसृष्टिको विशिष्ट स्थिति प्राप्त हो, इस हेतु आवश्यक तरंगें प्रदान करनेवाले देवता अर्थात वासुदेव । (अथर्ववेद)

 

३. नामजप

सात्त्विक नामपट्टी

सात्त्विक नामपट्टी

संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘श्रीविष्णु, श्रीराम एवं श्रीकृष्ण’

Leave a Comment