दुर्गा सप्तशती ग्रंथ में दिया देवीकवच प्रतिदिन पढें !

साधकों के लिए सूचना

आपात्काल में सर्व अवयवों की रक्षा होने हेतु प्रतिदिन सवेरे देवीकवच बोलें !, ऐसे महान दत्तयोगी प.पू. सदानंदस्वामीजी का प.पू. आबा उपाध्ये के माध्यमसे साधकोंको बताना ।

पुणे के महान संत प.पू. आबा उपाध्ये के माध्यम से साढे तीन सहस्र वर्ष पूर्व के महायोगी श्री सद्गुरु सदानंदस्वामी बोलते हैं और वे इस गुरुवाणी के माध्यम से भक्तों को समय-समय पर संदेश भी देते रहते हैं । हाल ही में उनकी गुरुवाणी सुनने का सौभाग्य हमें मिला । उन्हें साधकों के आरोग्य के विषय में प्रश्‍न पूछा था, तब उन्होंने कहा अब इस पृथ्वी पर अनाचार बढते ही जाएगा । इसमें अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण का भी हमें सामना करना होगा । आपात्काल में इस देह की रक्षा होने हेतु तथा अनेक व्याधियों से (हड्डियों/जोडों में वेदना, स्नायु-वेदना, अनेक असाध्य रोग, रक्तव्याधि) मुक्त होने हेतु साधकों को प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती में दिया चण्डिकवच (देवीकवच) कहना आवश्यक है । इससे देह के सर्व ओर अभेद्य शक्तिकवच निर्माण होने में सहायता होगी । (‘दुर्गा सप्तशती’ इस पोथी में देवीकवच है । इसे ही चण्डिकवच कहते हैं । सामान्यतः पृष्ठ क्रमांक ५१ से इसका आरंभ होता है और अंतिम पृष्ठ क्रमांक ६० पर होता है । इसका आरंभ और अंत इसप्रकार है – अथ चण्डिकवचम् ॥ श्री गणेशाय नमः&&..वाराहपुराणे हरिहरब्रह्मविरचितं देव्यां कवचम् ॥ – संकलक)

– (पू.) श्रीमती अंजली गाडगीळ, बेंगळुरू, कर्नाटक. (३०.११.२०१५)

देवीकवच सुनीएं !

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