गहरी सांस लेना, यह मनुष्य के लिए एक परिपूर्ण औषधि !

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श्वास जीवन का आधार है । मन एवं जीवन में रहस्यमय डोर है । श्वास, जिसके आधार पर प्रत्येक प्राणी जीवन में कदम रखता है । इसलिए शारीरिक संरचना में श्वास की गति का स्थान महत्त्वपूर्ण है; कारण श्वास की गति बढने से शरीर का तापमान बढता है । उसे हम अल्पायु का संकेतांक कह सकते हैं ।

 

१. श्वास की गति औसतन अच्छी होना दीर्घायुष्य के लिए लाभदायी !

हांफनेवाले जानवर इसका प्रमाण हैं । हांफने की गति जितनी तीव्र होगी, मरने की निश्चितता उतनी बढ जाएगी, यह एक शास्त्रीय तथ्य आहे.

जैसे कबूतर १ मिनट में ३७ बार श्वास लेता है और केवल ९ वर्ष जीवित रहता है । खरगोश भी प्रत्येक मिनट में ३९ बार श्वास लेता है और उसकी आयु लगभग ९ वर्ष मानी गई है । कुत्ता १ मिनट में २९ बार श्वास लेता है और १३ वर्ष जीवित रहता है । बकरी २४ बार, तो हाथी १ मिनट में ११ बार श्वास लेकर १०० वर्ष जीवित रहता है । कछुआ १ मिनट में केवल ४ बार श्वास लेता है और उसका जीवन १५० वर्षाें का दीर्घायु जीवन होता है । मनुष्य के लिए सामान्यतः ‘जीवेत् शरद शतम’की कहावत प्रचलित है । इसका अर्थ है कि जिसके श्वास की गति औसतन रहेगी, वह कम से कम १०० वर्ष जीवित रह सकता है, अर्थात ११ से १२ श्वास प्रति मिनट !

 

२. मनुष्य का जीवन घटने के कारण एवं दीर्घायुष्य का रहस्य !

आज मनुष्य का श्वास दर बढने से उसके अनुपात में उसका जीवन घट गया है । औसतन आयु ६० से ६५ वर्ष रह गई है । अनेक आधुनिक शास्त्रज्ञों का मानना है कि यदि मनुष्य का शारीरिक तापमान आधा कर दिया जाए, तो वह सहजता से १ सहस्र वर्ष जीवित रह सकता है । इसके लिए उसे अपने श्वास की गति को साधकर उसी मात्रा में मर्यादित करना होगा, इसका अर्थ है, ‘मनुष्य के श्वास की गति को प्रति मिनट २-३ तक नियंत्रित करना ।’ यह अत्यंत आवाहानात्मक तो है; परंतु असंभव नहीं । प्राचीन काल में ऋषि-मुनि सहस्रों वर्ष जीवित रहते थे । इन तथ्यों से सिद्ध होता है कि दीर्घायु का रहस्य मनुष्य की श्वास की गति में छिपा है । इसीलिए हम अपनी गति को साधने के लिए प्रथम हमें श्वास-उच्छ्श्वास की पद्धति को समझना आवश्यक है ।

 

३. दीर्घायु के लिए प्रतिदिन प्राणायाम करना आवश्यक !

गहरी श्वास लेने का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्राणविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. मेकडॉवल कहते हैं, ‘‘प्राणायाम के कारण फेफडों को ही नहीं अपितु पेट की संपूर्ण पचनसंस्था को भी परिपूर्ण पोषण मिलता है । गहरी श्वास रक्तशुद्धि के लिए औषधि लेने समान है । मनुष्य की कार्यक्षमता बढाना, उसमें स्फूर्ति एवं उल्हास उत्पन्न करना, इसके लिए गहरी श्वास लेने का अभ्यास महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इसीलिए दीर्घायुष्य के लिए प्रतिदिन सातत्या से प्राणायाम करना आवश्यक है ।’’

 

४. श्वास की गति पर स्वास्थ्य निर्भर होना

अपने प्राण को साधने के लिए उसका एक निश्चित एवं दुष्परिणामरहित मार्ग है ‘प्राणायाम’ ! श्वास की डोर पर मनुष्य का जीवन एवं स्वास्थ्य टिका है । श्वास जितनी स्थिर, मजबूत होगी; जीवन उतना ही स्वस्थ एवं निरोगी होगा । श्वास में जितनी अधिक गतिशीलता एवं तीव्रता आएगी, उतनी ही स्वास्थ्य की संभावना न्यून होती जाएगी, यह शास्त्रीय तथ्य है; कारण श्वास का सीधा संबंध शरीर के तापमान से है । जिस तीव्रता से श्वास सक्रिय होगी, उसी मात्रा में शरीर के तापमान में वृद्धि होगी । क्रोध, आवेश एवं उत्तेजन की स्थिति में श्वास की गति में वृद्धि होती है ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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