साक्षीभाव, स्थिरता तथा नम्रता, इन गुणों से युक्त सनातन के आश्रम में रहनेवाले बलभीम येळेगाकर दादाजी ८२वें संत के रूप में संतपदपर विराजमान !

संत पू. (श्रीमती) अश्विनी पवारजी ने आश्रम के साधक श्री. बलभीम येळेगावकर (आयु ८४ वर्ष) संतपदपर विराजमान होने की घोषणा की ।

विद्युत दीप से युक्त प्लास्टिक का दीया और मोम का दीया जलाने से वातावरण में नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं, जबकि तिल का तेल और कपास की बाती लगे मिट्टी के पारंपरिक दीये से सकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं !

भाईयो और बहनो, दीवाली में विद्युत चीनी दीये और मोम के दीयों को दूर रखें, तिल का तेल और कपास की बाती डालकर मिट्टी के पारंपरिक दीये लगाकर उनका आध्यात्मिक स्तर पर लाभ उठाएं !’ 

गुरुदेवजी के प्रति अचल श्रद्धा रखनेवाले सनातन के ७वें संत पू. पद्माकर होनपजी (आयु ७० वर्ष) की साधनायात्रा

मेरा बचपन गांव में बीत गया । मैं जब ७-८ वर्ष का था, तभी मेरे पिताजी का देहांत हुआ । मां, दादी, ३ बडे भाई, मैं और बहन इतने लोग नान्नज के घर में रहते थे । हमने ७वीं कक्षातक की पढाई वहीं पूर्ण की ।

पिप (पॉलीकॉन्ट्रास्ट इंटरफेरन्स फोटोग्राफी – PIP)

किसी घटक में (वस्तु, वास्तु, प्राणी अथवा व्यक्ति में) कितने प्रतिशत सकारात्मक स्पंदन हैं ? वह घटक सात्त्विक है या नहीं अथवा वह घटक आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है या नहीं ?, यह बताने के लिए सूक्ष्म का ज्ञान होना आवश्यक है ।

आयु के बंधन को तोडकर परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी का आज्ञापालन करनेवाले मध्य प्रदेश के दुर्ग के सनातन के १८ वें संतरत्न पू. छत्तरसिंह इंगळेजी (आयु ८८ वर्ष)

मैं जब रामनाथी आश्रम में गया था, तब परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने मेरी प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘आप निर्विचार अवस्था में होते हैं । आप अखंडित नामजप करते हैं । यह बहुत अच्छा है ।’’

गुुरुकृपायोग के अनुसार साधना आरंभ करनेपर माया के विश्‍व से अलिप्त होकर स्वयं को झोंक देकर सेवा करनेवाले तथा परात्पर गुुरु डॉक्टरजी के साथ पहली भेंट में उनके चरणोंपर जो अपेक्षित था, वह प्राप्त होने की अनुभूति लेनेवाले पू. नीलेश सिंगबाळजी !

मेरी साधनायात्रा तो सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ‘गुरु का महत्त्व, प्रकार तथा गुरुमंत्र’ ग्रंथ के मुखपृष्ठ की भांति है । इसमें गुरु को साधक का हाथ पकडकर उसे आगे ले जाते हुए दिखाया गया है ।

भाव का मूर्तिमंत उदाहरण बने तथा समाज में विद्यमान लोगों को आदरणीय प्रतीत होनेवाले सनातन के ७४वें संत पू. प्रदीप खेमकाजी !

पू. प्रदीपभैय्या का आध्यात्मिक स्तर जब ६१ प्रतिशत हुआ था, उस समय उनके एक निकट के मित्र ने कहा, प्रदीप हमें सदैव साधना के विषय में बताता था; परंतु हमने उसे समझ में नहीं लिया, यह अब ध्यान में आ रहा है । वह जो बता रहा है, वह कुछ अलग ही है और उससे हमारे जीवन में परिवर्तन आनेवाला है ।

प.पू. गुरुदेव की अपार कृपा से संत देखने गया एवं संत ही बन गया, एेसी अनुभूति लेनेवाले सनातन के १९ वें संत पू. रमेश गडकरीजी

सनातन संस्था में आने से पूर्व के प्रसंग तथा जानकारी लिखते समय गुरुदेव ने मुझे किस प्रकार संभाला है, इसका भान होकर मेरा कृतज्ञताभाव बढ गया ।

साधकों को साधना के लिए प्रेम एवं लगन से मार्गदर्शन करनेवाले नाशिक निवासी सनातन के ४३ वें संत पू. महेंद्र क्षत्रिय !

पू. काकाजी का प्रत्येक साधक की आेर ध्यान रहता है । वे प्रत्येक साधक की साधना की पूछताछ करते हैं तथा उन्हें मार्गदर्शन कर ध्येय का स्मरण करवाते हैं ।

भगवान परशुरामजी की कृपा प्राप्त तथा परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति उच्च कोटि का भाव रखनेवाली म्हापसा (गोवा) की पू. सुशीला आपटेदादीजी (आयु ८१ वर्ष) सद्गुुरुपदपर विराजमान !

परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति उच्च कोटि का भाव रखनेवाली म्हापसा (गोवा) की पू. सुशीला आपटेदादीजी द्वारा आषाढ कृष्ण पक्ष दशमी/एकादशी के शुभदिनपर सद्गुरुपदपर विराजमान होने की घोषणा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की वंदनीय उपस्थिति में सनातन की सद्गुुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने की ।