समष्टि कल्याण हेतु लाखों कि.मी. की दैवीय यात्रा करनेवाली सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !

सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा की गई दैवी यात्रा की विशेषताएं तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी तथा अन्य संतों द्वारा उनके विषय में व्यक्त किए गए गौरवोद्गार आगे दिए गए हैं –

 

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा सद्गुुरु
(श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के विषय में निकाले गए प्रशंसा के उद्गार !

१. इस प्रकार से दैवीय यात्रा करनेवाली सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी एकमात्र हैं !

अप्रैल २०१५ में परात्पर गुुुरु डॉ. आठवलेजी ने कहा, ‘‘सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा की जा रही यात्रा को दैवीय यात्रा ही कहना पडेगा । मुझे भी इतनी यात्रा करना संभव नहीं हुआ । इस प्रकार से दैवीय यात्रा करनेवाली सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी एकमात्र हैं ।’’

२. युद्ध के समय भी ईश्‍वर आपसे यात्रा करवा लेंगे !

मार्च २०१८ में परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी ने सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी से कहा, ‘‘वर्ष २०२० में युद्ध का आरंभ होगा । उस समय भी आपको यात्राएं करनी है । युद्ध के समय भी ईश्‍वर आपसे यात्रा करवा लेंगे ।’’

कुमारकोम (केरल) में बोट से यात्रा करतीं हुईं सद्गुुरु अंजलीदीदीजी
कोणार्क मंदिर (ओडिशा) में सद्गुुरु दीदीजी
ऊटी (तमिलनाडू) में चाय के बागान में सद्गुरु दीदीजा का खींचा गया छायाचित्र
मुन्नार (केरल) में चित्रीकरण करती हुईं सद्गुरु दीदीजी

 

१. दैवीय यात्रा की विशेषताएं

१ अ. देश-विदेशों में यात्रा करना

सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने विगत ७ वर्षों में भारत के २९ राज्यों में से २४ राज्य तथा ७ केंद्रशासित प्रदेशों में से ४ प्रदेशों की यात्रा की हैं । उन्होंने दिसंबर २०१८ तक भारत, नेपाल, श्रीलंका, बांग्ला देश, इंडोनेशिया, कंबोडिया, थाईलैंड, मलेशिया तथा सिंगापुर इन ९ देशों में ८ लाख कि.मी. की यात्रा की है ।

१ आ. पर्वतीय क्षेत्रों में कठिन यात्रा करना

उन्होंने हिमालय में विद्यमान शिवालिक, धौलधार, गढवाल, लडाख, पीरपंजाल, जंस्कार इन पर्वतीय क्षेत्रों में तथा गिरनार, विंध्याचल, अरावली, नीलगिरी तथा शेषाचल इन पर्वतीय क्षेत्रों की भी यात्रा की है ।

१ इ. भारत की सप्तनदियों का दर्शन एवं पूजन करना

उन्होंने अभीतक ७ नदियों का दर्शन किया है तथा गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी तथा कावेरी इन ५ नदियों के उगमस्थानपर जाकर पूजन किया है ।

१ ई. ३० शक्तिपीठों के दर्शन करना

उन्होंने पृथ्वीपर विद्यमान ५१ शक्तिपीठों में से ३० शक्तिपीठों के दर्शन किए हैं तथा हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु पूजन अथवा याग किए हैं, साथ ही सोमनाथ, श्रीशैलम्, उज्जैन, ॐकारेश्‍वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी, त्र्यंबकेश्‍वर, ओंढ्या नागनाथ, परळी बैद्यनाथ, घृष्णेश्‍वर तथा रामेश्‍वरम् इन १२ ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर वहां पूजन किया है ।

१ उ. श्री विष्णुजी के दिव्य स्थानों का अवलोकन करना

श्री विष्णुजी के १०८ दिव्य स्थानों में से पृथ्वीपर (भारत एवं नेपाल इन देशों में) १०६ स्थान हैं । सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने अभीतक उनमें से ३८ स्थानों का अवलोकन किया है ।

– श्री विनायक शानभाग, चेन्नई, तमिलनाडू (८.१२.२०१८)

 

२. सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की दैवी
यात्राओं के विषय में संतों द्वारा निकाले गए गौरवोद्गार !

२ अ. यात्रा कर आने के पश्‍चात भी सद्गुुरु (श्रीमती)
अंजली गाडगीळजी का मुखमंडल आनंदित दिखाई देता है !

मुझे सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा की जानेवाली यात्राओंपर आश्‍चर्य होता है; क्योंकि इतनी लंबी यात्रा कर भी उन्हें कभी थकान नहीं होती । यात्रा समाप्त कर आनेके पश्‍चात भी उनका मुखमंडल सदैव आनंदित होता है । मुझे भी उनके साथ दैवीय यात्रा करने जाऊं, ऐसा लगता है ।  – प.पू. आबा उपाध्येजी, पुणे, महाराष्ट्र

२ आ. सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी स्वयं एक चमत्कार हैं !

सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजीपर परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी की बहुत बडी कृपा है । इसका कारण यह है कि जब कोई साधारण मनुष्य निरंतर २-३ दिनोंतक यात्रा कर आनेपर एक तो अस्वस्थ होता है अथवा विश्राम करता है; परंतु सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के संदर्भ में ऐसा नहीं होता । सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी स्वयं एक चमत्कार हैं !’’ – प.पू. रामभाऊस्वामीजी, तंजावुर, तमिलनाडू

२ इ. सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा की जा रही यात्रा तथा उनके
द्वारा तीर्थस्थलोेंपर जाकर की जानेवाली प्रार्थनाओं के कारण साधकों की रक्षा होगी !

सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए यात्राएं कर रही हैं । उनके द्वारा की जानेवाली यात्राएं तथा उनके द्वारा तीर्थस्थलोंपर जाकर की जानेवाली प्रार्थनाओं के कारण सनातन के सभी साधकों की रक्षा होनेवाली है । वे जिन-जिन स्थानोंपर जाएंगीं, उस स्थानपर होनेवाले साधक तथा उनके घरों के आसपास संरक्षककवच बनेगा ।’  – पू. (डॉ.) उलगनाथनजी, चेन्नई, तमिलनाडू

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