पिप (पॉलीकॉन्ट्रास्ट इंटरफेरन्स फोटोग्राफी – PIP)

पिप (पॉलीकॉन्ट्रास्ट इंटरफेरन्स फोटोग्राफी) तकनीक
की सहायता से किए गए परीक्षण के पिप छायाचित्र और निरीक्षण समझने की दृष्टि से उपयुक्त सूत्र

१. पिप तकनीक का परिचय

१ अ. घटकों की आध्यात्मिक स्तर पर विशेषताआें का
वैज्ञानिक उपकरण अथवा तकनीक के माध्यम से अध्ययन का उद्देश्य

किसी घटक में (वस्तु, वास्तु, प्राणी अथवा व्यक्ति में) कितने प्रतिशत सकारात्मक स्पंदन हैं ? वह घटक सात्त्विक है या नहीं अथवा वह घटक आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है या नहीं ?, यह बताने के लिए सूक्ष्म का ज्ञान होना आवश्यक है । उच्च स्तर के संतों में सूक्ष्म का ज्ञान होता है, इसलिए उन्हें प्रत्येक घटक के स्पंदनों का अचूक ज्ञान होता है । श्रद्धालु और साधक, संतों के शब्दों को प्रमाण मानकर उसपर श्रद्धा रखते हैं; परंतु बुद्धिजीवियों को शब्दप्रमाण की नहीं, प्रत्यक्ष प्रमाण की आवश्यकता होती है । हर बात वैज्ञानिक उपकरण अथवा तकनीक से सिद्ध होने पर ही उन्हें वह सत्य लगती है ।

१ आ. पिप तकनीक की सहायता से घटकों के सकारात्मक
और नकारात्मक स्पंदन रंगों के माध्यम से देखने की सुविधा होना

इस तकनीक से हम किसी घटक का (वस्तु, वास्तु, प्राणी और व्यक्ति की) सामान्य रूप से आंखों को न दिखाई देनेवाला रंगीन प्रभामंडल (ऑरा) देख सकते हैं । पिप नामक संगणकीय प्रणाली को वीडियो कैमेरे से जोडकर, वस्तु, वास्तु, प्राणी अथवा व्यक्ति का ऊर्जाक्षेत्र विविध रंगों में देखा जा सकता है । इसमें सकारात्मक और नकारात्मक स्पंदन रंगों के माध्यम से देखने की सुविधा है ।

 

२. परीक्षण में बरती गई सावधानी

अ. इस परीक्षण हेतु पिप छायाचित्र लेने के लिए विशिष्ट कक्ष (कमरे) का उपयोग किया गया । इस कक्ष की दीवार, छत आदि के रंगों का परीक्षण पर प्रभाव न पडे; इसके लिए दीवार, छत आदि को श्‍वेत रंग दिया था ।

आ. संपूर्ण जांच के समय कक्ष की प्रकाशव्यवस्था एक समान रखी गई थी तथा कक्ष के बाहर की हवा, प्रकाश, उष्मा का कक्ष की जांच पर प्रभाव न पडे, इसलिए जांच के समय कक्ष बंद रखा गया था ।

 

३. पिप परीक्षण के छायाचित्र तथा निरीक्षण समझने की दृष्टि से उपयुक्त सूत्र

३ अ. मूलभूत प्रविष्टि (वातावरण का मूलभूत प्रभामंडल)

परीक्षण में किसी घटक के कारण (उदा. इस परीक्षण में अधिवेशन का छायाचित्र पटल पर रखने के पश्‍चात) वातावरण में हुए परिवर्तन का अध्ययन करने हेतु, उस घटक के पिप छायाचित्र लिए जाते हैं; पर वातावरण में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं । इसलिए किसी घटक का परीक्षण करने के पूर्व जहां घटक रखा जाएगा, उस वातावरण का (उदा. इस परीक्षण में काष्ठ टेक (स्टैंड) पटल पर रखकर उस वातावरण का) पिप छायाचित्र लेना पडता है । इसे मूलभूत प्रविष्टि कहते हैं । तदुपरांत घटक के पिप छायाचित्र की मूलभूत प्रविष्टि से (वातावरण का मूलभूत प्रभामंडल दर्शानेवाले पिप छायाचित्र से) तुलना करने पर, उस घटक के कारण वातावरण में हुआ परिवर्तन ज्ञात होता है ।

३ आ. मूलभूत प्रविष्टि की तुलना में वस्तु का प्रभामंडल दर्शानेवाले
पिप छायाचित्र के रंगों की मात्रा बढने अथवा घटने का आधारभूत सिद्धांत

परीक्षण हेतु घटक (उदा. इस परीक्षण में अधिवेशन का छायाचित्र) रखने से पूर्व (मूलभूत प्रविष्टि की) तुलना में घटक रखने के उपरांत प्रभामंडल में रंग बढते अथवा घटते हैं । यह बढना-घटना उस घटक से प्रक्षेपित होनेवाले ,उस रंग से संबंधित स्पंदनों के अनुसार होता है, उदा. परीक्षण के लिए घटक रखने पर यदि उससे बडी मात्रा में चैतन्य के स्पंदन प्रक्षेपित हो, तो प्रभामंडल में पीला रंग बढ जाता है । यदि चैतन्य के स्पंदनों का प्रक्षेपण न हो अथवा अन्य स्पंदनों की तुलना में अल्प हो, तो प्रभामंडल से पीला रंग घट जाता है । (यह ध्यान में रख कर सूत्र ६ अ. निरीक्षण १ और ६ आ. निरीक्षण २ में दी गई सारणियां पढें ।)

३ इ. प्रभामडंल में दिखाई देनेवाले रंगों की जानकारी

परीक्षण की वस्तु (अथवा व्यक्ति के) पिप छायाचित्रों में दिखाई देनेवाले प्रभामंडल के रंग, उस वस्तु के ऊर्जाक्षेत्र के विशिष्ट स्पंदन दर्शाते हैं । प्रभामंडल के प्रत्येक रंग के विषय में पिप संगणकीय प्रणाली के निर्माताओं द्वारा प्रकाशित कार्यपुस्तिका में दी (मैन्युअल में दी) जानकारी तथा महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा किए सैकडों परीक्षणों के अनुभव के आधार पर, प्रत्येक रंग कौनसे स्पंदन दर्शाता है ?, यह निश्‍चित किया है । वह सूत्र ६ अ. निरीक्षण १ में दी सारणी के दूसरे स्तंभ में दिया है । वह नीचे दिए अनुसार है ।

टिप्पणी १ – घटक के अंतर्बाह्य स्तर पर नकारात्मक स्पंदन अल्प अथवा नष्ट करने की तथा सकारात्मक स्पंदनों में वृद्धि करने की क्षमता

टिप्पणी २ – घटक के केवल बाह्य स्तर पर नकारात्मक स्पंदन अल्प अथवा नष्ट करने की तथा सकारात्मक स्पंदनों में वृद्धि करने की क्षमता

३ ई. सकारात्मक स्पंदन

पिप छायाचित्र के हलके गुलाबी, तोतापंखी, नीला-सा श्‍वेत, पीला, गहरा हरा, हरा, नीला और जामुनी रंग क्रमशः आध्यात्मिक दृष्टि से अधिक लाभदायक से अल्प लाभदायक स्पंदन (रंग) दर्शाते हैं । इन सभी आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक स्पंदनों को (रंगों को) यहां एकत्रित रूप से सकारात्मक स्पंदन संबोधित किया है ।

३ उ. नकारात्मक स्पंदन

पिप छायाचित्र में राख समान, गुलाबी, नारंगी और भगवा रंग क्रमश: आध्यात्मिक दृष्टि से अधिक पीडादायक से अल्प पीडादायक स्पंदन दर्शाते हैं । इन सभी आध्यात्मिक दृष्टि से पीडादायक स्पंदनों को (रंगों को) एकत्रित रूप से नकारात्मक स्पंदन संबोधित किया है ।

३ ऊ. पिप छायाचित्र में सामान्य की अपेक्षा उच्च सकारात्मक स्पंदनों के दर्शक रंग दिखना अधिक अच्छा होना

पिप छायाचित्र में तोतापंखी अथवा नीला-सा श्‍वेत उच्च सकारात्मक स्पंदनों का दर्शक रंग दिखाई देने लगे तो कभी कभी पीला, गहरा हरा अथवा हरा इन सामान्य सकारात्मक स्पंदनों के दर्शक रंगों की मात्रा घट जाती है अथवा यह रंग पूर्णत: अदृश्य हो जाते हैं । यह अच्छा परिवर्तन माना जाता है; क्योंकि उस समय सामान्य सकारात्मक स्पंदनों का स्थान उससे भी उच्च स्तर के सकारात्मक स्पंदन लेते हैं ।

३ ए. पिप छायाचित्र के रंगों की विशेषताआें का उस रंग की प्रत्यक्ष आध्यात्मिक विशेषता से संबंध न होना

पिप संगणकीय प्रणाली के निर्माताआें ने पिप छायाचित्र में नकारात्मक स्पंदनों के लिए भगवा और नारंगी रंग निर्धारित किए हैं । उसका और उस रंग की प्रत्यक्ष में आध्यात्मिक विशेषताआें का (उदा. भगवा रंग त्याग और वैराग्य का प्रतीक है ।) कोई भी संबंध नहीं है ।

 

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