अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन धूप के उपाय करें ! (शरीर को धूप से सेकें !)

आजकल की बदली हुई जीवनपद्धति के कारण, विशेषरूप से घर अथवा कार्यालय में बैठकर काम करनेवाले व्यक्तियों में शरीर को धूप लगने की संभावना बहुत ही घट गई है ।

बाढ जैसी विभिषिक संकटकालीन स्थिति का सामना करने हेतु साधना कर आत्मबल बढाएं !

‘तुफानी चक्रवात, भूस्खलन, भूकंप, बाढ, तीसरा महायुद्ध आदि संकटकालीन स्थिति किसी भी क्षण उत्पन्न हो सकती है । ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए ?, इसका ज्ञान न होने से सर्वसामान्य व्यक्ति चकरा जाता है और उसका मनोबल भी गिर जाता है ।

अपने क्षेत्र की बाढस्थिति नियंत्रण में आने के उपरांत घर जाने से पूर्व तथा जाने के पश्‍चात यह सावधानी बरतें !

कुछ जिलों में अतिवृष्टि के कारण बाढस्थिति निर्माण हुई थी । जिससे सहस्रों नागरिकों के घर जलमय होकर जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया । इसलिए वहां के नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया ।

पुणे के महान संत प.पू . आबा उपाध्येजी द्वारा व्याधि निवारण हेतु बताए गए कुछ उपाय

पुणे के महान संत प.पू . आबा उपाध्येजी द्वारा व्याधि निवारण हेतु बताए गए कुछ उपाय

गर्भ में जीवात्मा का प्रवेश कब होता है ?

मां के गर्भ में पल रहे लगभग ६ से ८ मास के शिशु में प्राणों का प्रवेश होता है, ऐसा नहीं है, अपितु जिस क्षण गर्भाशय में शुक्राणु एवं स्त्रीबीज का संयोग होता है, उसी क्षण उसमें जीवात्मा प्रवेश करता है । गर्भ की वृद्धि होने के लिए भी चैतन्य ही कारणभूत होता है ।

गर्मी के विकारोंपर घरेलु औषधियां।

गर्मी के विकारोंपर घरेलु औषधियां। गला, छाती अथवा पेट में जलन होना; मूत्रविसर्जन के समय जलन होना; शरीरपर फोडे आना; आंखें, हाथ अथवा पैरों का गर्म हो जाना; मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव होना तथा शौच में रक्त जाना।

यज्ञ का प्रथमावतार ‘अग्निहोत्र’के विषय में वैज्ञानिक शोध !

विज्ञान के माध्यम से अग्निहोत्र का वातावरणपर क्या परिणाम होता है ?, इसके अध्ययन हेतु महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण हेतु यू.टी.एस्. (युनिवर्सल थर्मो स्कैन) उपकरण का उपयोग किया गया ।

वसंत ऋतु के आरोग्यसूत्र

सृष्टिरचना के समय साक्षात ईश्वर ने ही आयुर्वेद का निर्माण किया; इसलिए आयुर्वेद के सिद्धांत विश्व के आरंभ से आजतक अबाधित हैं । युगों-युगों से प्रतिवर्ष वही ऋतु आते हैं और आयुर्वेद द्वारा बताई गई ऋतुचर्या भी वही है ।

भावी भीषण आपातकाल का सामना करने हेतु विविध स्तरों पर अभी से प्रयास आरंभ करें !

घोर आपातकाल का आरंभ होने में अब कुछ महीने ही बचे हैं । अनेक नाडीभविष्य बताने वालों ने तथा द्रष्टा साधु-संतों ने वर्ष २०१९ के पश्चात धीरे-धीरे तीसरे महायुद्ध का आरंभ होने की बात कही है ।

शीतकालीन ऋतुचर्या

शीतकाल ऋतु में जठराग्नि अच्छा होने से किसी भी प्रकार के अन्न का सरलता से पाचन होता है । उसके कारण इस ऋतु में खाने-पीने में बहुत बडा बंधन नहीं होता ।