यदि आप एन्टीबायोटिक औषध ले रहे हैं, तो एक बार विचार अवश्य करें !
एंटीबायोटिक अथवा प्रतिजैविक का अर्थ है, बैक्टीरिया (जीवाणु) मारनेवाली अथवा उसे कमजोर करनेवाली औषध ।
एंटीबायोटिक अथवा प्रतिजैविक का अर्थ है, बैक्टीरिया (जीवाणु) मारनेवाली अथवा उसे कमजोर करनेवाली औषध ।
एक आहार पचने के बाद ही दूसरा आहार करना चाहिए, यह भोजन का सबसे सरल सिद्धांत है । आयुर्वेद के अनुसार निश्चित समय पर भोजन करने से पाचनक्रिया ठीक रहती है । इस लेख में, आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने का उचित समय बताया गया है ।
मूलतः दूध अच्छा है; इसलिए दूधजन्य पदार्थ भी खाने में अच्छे होते हैं, ऐसा कुछ नहीं है । दूध और उससे बननेवाले सभी पदार्थों के गुणधर्म एक जैसे नहीं होते ।
आजकल की बदली हुई जीवनपद्धति के कारण, विशेषरूप से घर अथवा कार्यालय में बैठकर काम करनेवाले व्यक्तियों में शरीर को धूप लगने की संभावना बहुत ही घट गई है ।
‘तांबे के स्वच्छ बर्तन में २ घंटे से अधिक काल रखे हुए जल को ‘ताम्रजल’ कहते हैं ।
यदि प्रत्येक व्यक्ति नारियल तेल को अपने जीवन का अविभाज्य अंग बना ले, तो दूसरी किसी भी औषधि की आवश्यकता नहीं लगेगी
आयुर्वेद के अनुसार मिष्ठान्न अर्थात मीठे पदार्थ भोजन के प्रारंभ में खाने चाहिए । जिससे वात का शमन होता है तथा पचनक्रिया में बाधा नहीं आती ।
जंक फूड त्यागकर, आयुर्वेद अपनाएं, यही इसका सबसे अच्छा उपाय है । आयुर्वेद न केवल शरीर, अपितु मन एवं बुद्धि का भी उत्तम पालन-पोषण हो, इसके लिए सात्त्विक अन्न ग्रहण करने के लिए कहता है ।
६ माह एलोपैथी की औषधियां लेकर भी अपचन दूर न होना पिछले १ वर्ष से मुझे अपचन की समस्या है । इस कारण पेट में वायु (गैस) होना, बहुत भूख लगना, अनावश्यक खाना, इस प्रकार के कष्ट होने लगे ।
सेब मूलतः भारतीय फल है ही नहीं । अंग्रेज उसे अपने साथ लाए थे । वास्तव में इस फल में ऐसे कोई भी विशेष औषधीय गुणधर्म नहीं हैैं, जो भारतीय फलों में पाए जाते हैं ।