आपातकाल में जीवनरक्षा हेतु आवश्यक पूर्वतैयारी : भाग – १

आपातकाल में रक्षा हेतु व्यक्ति अपने बल पर कितनी भी तैयार रहे, भूकम्प, त्सुनामी समान महाभीषण आपदाओं से बचने के लिए अन्ततः भगवान पर भरोसा करना ही पडता है ।

आकाश में बिजली कडक रही हो, तो निम्नांकित सावधानियां बरतकर सुरक्षित रहें !

खुले आकाश के नीचे (उदा. मैदान, समुद्रतट आदि), साथ ही बिजली के खंभे, मोबाईल टॉवर, दलदलवाले स्थान, पानी की टंकी, टीन का शेड आदि स्थानों पर न रुकें ।

चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा का सामना करने हेतु आवश्यक पूर्वतैयारी तथा प्रत्यक्ष संकटकालीन स्थिति में आवश्यक कृत्य

आज विज्ञान ने भले ही सभी क्षेत्रों में प्रगति कर ली हो; परंतु चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा को रोकना मनुष्यशक्ति के परे है । ऐसे समय में स्थिर रहकर मनोबल टिकाए रखना ही हमारे हाथ में होता है ।

धूमपान : श्‍वसनतंत्र के विकारों पर प्रतिबंधजन्य आयुर्वेदीय चिकित्सा !

धूम का अर्थ धुआं और पान का अर्थ पीना ! औषधीय धुआं नाक-मुंह से अंदर लेकर उसे बाहर छोडने को धूमपान कहते हैं ।

प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता के संदर्भ में संतों का द्रष्टापन तथा उनका कार्य

इस लेख में प्राकृतिक आपदाओं का वर्तमानकाल में भयानक स्वरूप, संतों द्वारा उनके संदर्भ में बताए गए सूत्र और उनका पालन न करने से उत्पन्न दुःस्थिति, साथ ही तीव्र संकटकाल में भी समष्टि की रक्षा हेतु संत किस प्रकार से कार्यरत हैं ?, इन सूत्रों को रखने का प्रयास किया गया है ।

आपातकाल का अर्थ एवं स्वरूप

द्वितीय महायुद्ध के समय जर्मनी और ब्रिटन में युद्ध हुआ था । ब्रिटन में पहले ४ दिनों में ही १३ लाख लोगों को स्थलांतर करना पडा था । युद्धकाल में वे प्रकाशबंदी भी आरंभ हो गई ।

आपातकालीन परिस्थिति का सामना करने के लिए की जानेवाली तैयारी

भारत में आनेवाले आपातकाल का सामना करने के लिए प्रशासन पर निर्भर न रहते हुए नागरिकों को अपने स्तर पर तैयारी करनी चाहिए ।

उत्तम स्वास्थ्य हेतु भोजन निश्‍चित समय पर करना आवश्यक !

एक आहार पचने के बाद ही दूसरा आहार करना चाहिए, यह भोजन का सबसे सरल सिद्धांत है । आयुर्वेद के अनुसार निश्चित समय पर भोजन करने से पाचनक्रिया ठीक रहती है । इस लेख में, आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने का उचित समय बताया गया है ।

सर्वत्र बढते जा रहे ‘कोरोना’के प्रकोप के कारण भयभीत न होकर निम्‍नांकित स्‍वसूचनाएं देकर आत्‍मबल बढाएं !

‘आजकल भारत के साथ अन्य कुछ देशों में भी संक्रमणकारी विषाणु ‘कोरोना’का प्रकोप हुआ है । इसके कारण सर्वत्र का जनजीवन अस्तव्यस्त होकर सर्वसामान्य नागरिकों में भय का वातावरण है ।

दूधजन्य पदार्थ किसने और कब खाने चाहिए ?

मूलतः दूध अच्छा है; इसलिए दूधजन्य पदार्थ भी खाने में अच्छे होते हैं, ऐसा कुछ नहीं है । दूध और उससे बननेवाले सभी पदार्थों के गुणधर्म एक जैसे नहीं होते ।