देवालय का महत्त्व
प्रत्यक्ष ईश्वरीय ऊर्जा के आकर्षण, प्रक्षेपण एवं संचारण के केंद्र होते हैं ‘देवालय’ । इसलिए देवालय से ईश्वरीय ऊर्जा निरंतर आकर्षित होती है तथा उसका प्रक्षेपण सर्व दिशाओं में होता है ।
प्रत्यक्ष ईश्वरीय ऊर्जा के आकर्षण, प्रक्षेपण एवं संचारण के केंद्र होते हैं ‘देवालय’ । इसलिए देवालय से ईश्वरीय ऊर्जा निरंतर आकर्षित होती है तथा उसका प्रक्षेपण सर्व दिशाओं में होता है ।
सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर निम्नांकित कोड लिखे हैं, तो उसमें ये चीजें मिली हुई हैं – EE 322 – गाय का मांस
अंबाबाई एवं तुळजाभवानी ये जिनकी कुलदेवता होती हैं, उनके घर विवाह जैसी विधि के पश्चात देवी की स्तुति करते हैं । कुछ लोगों के यहां विवाह जैसे कार्य निर्विघ्न होने हेतु सत्यनारायण की पूजा करते हैं
उपासनामें कुमकुमार्चनका महत्वपूर्ण स्थान है। कुमकुमार्चन करने के उपरांत मूर्ति जागृत होती है। देवी को कुमकुमार्चन करने की दो पद्धतियां हैं।
साडी और चोली वस्त्र-नारियल से देवी का आंचल भरना, यह देवी के दर्शन के समय किया जानेवाला एक प्रमुख उपचार है । यह शास्त्र समझकर, इसे भावपूर्ण करने से, उसका आध्यात्मिक लाभ अधिक प्रमाण में श्रद्धालु को मिलता है ।
पढीएं देवीमांको विशिष्ट फूल चढानेका शास्त्रीय आधार, देवीपूजनमें निषिद्ध फूल, देवीमांके लिए नैवेद्य बनाना, देवी मांकी आरती ।
आइए, गुरुदेव द्वारा मन में प्रज्वलित राष्ट्र्र-धर्म के कार्य की ज्योति से अज्ञान के अंधकार में डूबे समाज को दिशा देने का कार्य करें !
जिस प्रकार माता-पिता एवं निकटवर्तीय परिजनों की जीवितावस्था में हम उनकी सेवा धर्मपालन समझकर करते हैं, उसी प्रकार उनकी मृत्यु के पश्चात् भी उनके प्रति कुछ कर्तव्य होते हैं । इन कर्तव्यों की पूर्ति एवं उनके द्वारा पितृऋण चुकाने का अवसर श्राद्धकर्म से मिलता है।
कुरुंदवाड में १० सितंबर को एक राजनीतिक पक्ष की महिला कार्यकर्ताओंद्वारा श्री गणेशमूर्तियों का दान, भक्तोंद्वारा लिया जा रहा था। हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता डॉ. उमेश लंबे ने इस बात की ओर इस पक्ष के प्रमुख का ध्यान आकृष्ट किया।
चावल पकाने की हमारी पारंपरिक पद्धति क्या है ? प्रथम चावल के १६ गुना पानी १०० सेंटीग्रेड पर उबालें ।…